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Bilaspur High Court: यदि स्थानांतरण आदेश को निरस्त या संशोधित नहीं किया गया है तो कर्मचारी स्थानांतरित स्थल पर कर सकेगा ज्वाइिनंग

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का यह फैसला कर्मचारियों के लिए राहत भरा हो सकता है। सिंगल बेंच ने अपने आदेश में लिखा है कि यदि स्थानांतरण आदेश संशोधित या निरस्त नहीं हुआ है तो संबंधित कर्मचारी स्थानांतरित स्थल पर ज्वाइिनंग का पात्र होगा। पुलिस इंस्पेक्टर मनीष तंबोली ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय के जरिए याचिका दायर कर राज्य शासन के फैसले को चुनौती दी थी।

Bilaspur High Court: यदि स्थानांतरण आदेश को निरस्त या संशोधित नहीं किया गया है तो कर्मचारी स्थानांतरित स्थल पर कर सकेगा ज्वाइिनंग
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। प्रतिनियुक्ति समाप्त करते हुए डीजीपी ने इंस्पेक्टर मनीष तंबोली का स्थानांतरण जांजगीर-चांपा जिले के लिए कर दिया था। स्थानांतरण आदेश के बाद भी एसीबी के आला अधिकारी उसे संबंधित जिले के लिए रिलीव नहीं कर रहे थे। एसीबी अधिकारियों के इस रवैये को लेकर उसने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को स्थानांतरित स्थल के लिए रिलीव करने का आदेश राज्य शासन को दिया है।

छत्तीसगढ़, पुलिस विभाग में पदस्थ निरीक्षक मनीष तंबोली को एंटी करप्शन ब्यूरो ABC रायपुर में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया। प्रतिनियुक्ति के दौरान 27 सितंबर 2019 को पुलिस महानिदेशक DGP द्वारा एक आदेश जारी कर मनीष तंबोली का स्थानांतरण एसीबी रायपुर से जिला-जांजगीर-चांपा कर दिया गया। एसीबी रायपुर में प्रतिनियुक्ति पर होने के कारण उन्हें जिला-जांजगीर -चांपा हेतु कार्यमुक्त नहीं किया गया।

जून 2023 में प्रतिनियुक्ति समाप्त कर उन्हें पुलिस विभाग में वापस भेज दिये जाने के बावजूद भी उन्हें स्थानांतरित स्थल, जिला-जांजगीर चांपा हेतु रिलीव ना किये जाने पर अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय के माध्यम से हाई कोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की। मामले की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए कहा कि जून 2023 में याचिकाकर्ता की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर मूल विभाग, पुलिस विभाग में वापस कर दिया गया था। इसके बाद भी याचिकाकर्ता के स्थानांतरण आदेश को ना तो निरस्त किया गया और ना ही संशोधित।

हाई काेर्ट के आदेश का दिया हवाला

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने सिंगल बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए हाई कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया जिसमें हाई कोर्ट ने मनीषा अग्रवाल के मामले में फैसला दिया था। तब कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा कि यदि स्थानांतरण आदेश को पूर्व में निरस्त या संशोधित नहीं किया गया है तो संबंधित अधिकारी स्थानांतरित स्थल पर ज्वाइनिंग का पात्र होगा। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता को तत्काल उनके स्थानांतरण स्थल जांजगीर-चांपा के लिए रिलीव करने का आदेश दिया है।

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