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Bilaspur High Court: सिम्‍स की बदहाली पर हाईकोर्ट नाराज: हटाए गए अस्‍पताल अधीक्षक, सीएस, हेल्‍थ सेकेटरी से कोर्ट ने मांगा व्‍यक्तिगत हलफनामा

Bilaspur High Court:

Bilaspur High Court: सिम्‍स की बदहाली पर हाईकोर्ट नाराज: हटाए गए अस्‍पताल अधीक्षक, सीएस, हेल्‍थ सेकेटरी से कोर्ट ने मांगा व्‍यक्तिगत हलफनामा
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By Sanjeet Kumar

Bilaspur High Court: बिलासपुर। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल सिम्स (Chhattisgarh Institute of Medical Sciences) की बदहाली पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। अस्‍पताल में अव्‍यवस्‍था को लेकर आ रही खबरों को हाईकोर्ट ने स्‍वत: संज्ञान लिया है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच कर रही है। हाईकोर्ट ने अस्‍पताल की अव्‍यवस्‍था पर जवाब तलब किया था। अस्‍पताल प्रबंधन की तरफ से कोर्ट में पेश हुए अधीक्षक को देखकर कोर्ट ने उन्‍हें ही फटकार लगा दिया। कोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति स्वयं अनफिट है, उसे अधीक्षक कैसे बना दिया गया। कोर्ट ने मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव के साथ कलेक्टर को सिम्स अस्पताल की पूरी रिपोर्ट के साथ आज कोट में तलब किया है।

मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि समाचारों और सोशल मीडिया के माध्यम से सिम्स में खराब कामकाज की स्थिति और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के बारे में नियमित रूप से रिपोर्ट आ रही है, लेकिन न्यायालय ने इस उम्मीद के साथ स्वतः संज्ञान लेने से खुद को रोक लिया कि चीजों में सुधार होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। लगातार सिम्स की खामियां सामने आ रही हैं। सिम्स पहुंचने वाले मरीजों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें बीमारियों का इलाज कराने में कठिनाई हो रही है, इसलिए दशहरा की छुट्टियों के दौरान संज्ञान लेने को विवश हो रहे हैं। कोर्ट ने डॉक्टरों की संख्या, सुविधाओं और पिछले तीन वर्षों के लिए सिम्स को आवंटित धन और उसके उपयोग के संबंध में हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, सचिव स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग को व्यक्तिगत हलफनामा दो दिन के भीतर दाखिल करने कहा है।

जाना था डीन को पहुंच गए अधीक्षक

सिम्स की तरफ से हाईकोर्ट में जवाब देने के लिए डीन डॉ. केके सहारे को जाना था, लेकिन निजी कारणों से वे हाईकोर्ट नहीं गए। उनके स्‍थान पर अस्‍पताल अधीक्षक डॉ. नीरज शिंदे हाईकोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने अस्पताल में मेडिकल प्रैक्टिशियर की जानकारी मांगी, यह पूछा कि यहां कितने एमडी और कितने एमबीबीएस डॉक्टर हैं? इसके बारे में भी डॉ. शिंदे जवाब नहीं दे पाए। उनसे स्ट्रेचर और व्हील चेयर के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि केजुअल्टी में 10 व्हील चेयर और 10 स्ट्रेचर हैं। चीफ जस्टिस सिन्हा ने कहा कि आप अपने चेंबर तक जाते हैं तो आपकों बदहाली नजर नहीं आती क्या ? मरीजों को सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्य की है, हमारे पास बहुत काम है, लेकिन अब हम मजबूर होकर स्वतः संज्ञान ले रहे हैं।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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