Bilaspur High Court News: छत्तीसगढ़ की महिला तहसीलदार इसलिए यूपी की निवासी बनना चाह रहीं, पहुंची हाई कोर्ट, कोर्ट ने दिया ये अहम निर्देश
Bilaspur High Court News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की एक महिला तहसीलदार गृह जिला बदलवाने हाई कोर्ट की शरण ली। तहसीलदार चाहती हैं, उनका गृह जिला बिलासपुर से बदलकर जिला भदोही, उत्तर प्रदेश किया जाए। कोर्ट ने आज इस मामले को 45 दिन में निराकरण करने का आदेश दिया।
मामला इस प्रकार है... पूनम तिवारी का चयन 04 मार्च 2014 को नायब तहसीलदार के पद पर हुआ था। उनकी पदस्थापना काँकेर जिले में हुई। वर्ष 2016 में इनका स्थानान्तरण काँकेर से बिलासपुर हुआ। वर्ष 2018 में इनका स्थानान्तरण बिलासपुर मुँगेली हुआ। वर्ष 2020 में इनकी पदोन्नति नायब तहसीलदार से तहसीलदार के पद पर हुई एवं पदस्थापना मुँगेली में यथावत रही। 30 सितम्बर 2022 को इनका स्थानान्तरण मुँगेली जिले से तहसीलदार राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण शाला बिलासपुर हुआ।
तिवारी ने सचिव, छत्तीसगढ़ शासन, राजस्व व आपदा प्रबन्धन विभाग के समक्ष एक अभ्यावेदन 26 दिसंबर 2022 को प्रस्तुत किया, जिसमें कि यह उल्लेख किया कि उनकी सेवा पुस्तिका में उनके गृह जिले का पता सिरगिट्टी बिलासपुर दर्ज है। चूँकि इनका विवाह वर्ष 2019 में नीरज मिश्रा के साथ हुआ है, जो कि जिला भदोही उत्तरप्रदेश के निवासी हैं, अतः इनका गृह जिला में परिवर्तन करते हुए भदोही ( सन्त रविदास नगर ) कर दिया जावे। इनके अभ्यावेदन का निराकरण नहीं होने के कारण श्रीमति तिवारी ने अधिवक्त मतीन सिद्दीकी, सन्दीप सिंह, मोनिका ठाकुर के माध्यम से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की। याचिका में उल्लेख किया गया कि आज दिनांक तक इनके अभ्यावेदन का निराकरण नहीं किया गया एवं इसी तरह के एक अन्य मामले में, जिसमें कि गृह जिला बिलासपुर के अतिरिक्त तहसीलदार का विवाह जिला शहडोल, मध्यप्रदेश में हुआ है, एवं छ.ग. राज्य शासन के राजस्व विभाग ने माह जून 2022 में अपने आदेश के द्वारा यह उल्लेख करते हुए, कि वित्त विभाग के ज्ञाप क्र. 1342/सीआर-2645 / चार / आर-1 / 12 17 जनवरी 1972 में सम्पूर्ण सेवाकाल में मात्र एक बार बदले जा सकने के दिए प्रावधान अनुसार गृह जिला बदलने की अनुमति प्रदान की गई। जबकि इस याचिकाकर्ती के मामले में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि भारत निर्वाचन आयोग ने 02 जून 2023 को एक दिशानिर्देश जारी किया है, जिसमें कि छ.ग., म.प्र. एवं अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव के तारतम्य में दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें कि कण्डिका-3 में यह उल्लेख किया गया है कि जो भी अधिकारी / कर्मचारी सीधे / प्रत्यक्ष रूप से चुनाव संबंधी कार्यों में लिप्त हैं, उन्हें उनके गृह जिले में पदस्थ न किया जावे तथा 31 जनवरी 2024 को वह अधिकारी / कर्मचारी तीन साल से ज्यादा एक ही जिले में पदस्थ हैं, ऐसे अधिकारियों / कर्मचारियों को स्थानान्तरित किया जावे। साथ ही कण्डिका-5 में उल्लेखित है कि जो अधिकारी / कर्मचारी, जो कि नोडल ऑफिसर के पद पर पदस्थ हैं, या एडीएम, एसडीएम, डैप्युटी कलेक्टर, ज्वाईन्ट कलेक्टर, तहसीलदार, बीडीओ या ऐसे अधिकारी, जो कि समकक्ष पद पर चुनाव कार्यों में लिप्त हैं, वह भी उपरोक्त स्थानान्तरण के दिशानिर्देशों की श्रेणी में आएँगे। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि चूँकि याचिकाकर्ती की वर्तमान पदस्थापना 28/10/2022 से बिलासपुर जिले में है एवं 31/01/2024 को वह
मात्र 14 माह ही पूर्ण कर रही हैं, किन्तु उन्हें संशय है कि चूँकि उनका वर्तमान् गृहजिला बिलासपुर दर्शित हो रहा है, इसलिए उनका स्थानान्तरण बिलासपुर से किसी अन्य जिले में होने की सम्भावना है। अगर राज्य शासन उनके गृह जिले पर तत्काल निर्णय नहीं लेता है, तो उनको जिले से बाहर स्थानान्तरित किया जा सकता है। साथ ही याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि याचिकार्ती की वर्तमान पदस्थापना तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक प्रशिक्षण शाला बिलासपुर है, एवं यह पद राज्य शासन संवर्ग का इसलिए भारत निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देश इन पर लागू नहीं होता एवं प्रत्यक्ष रूप से याचिकाकर्ती का चुनाव संबंधी कोई भी कार्य आबंटी नहीं किया गया है।
मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी के न्यायालय में हुई। उच्च न्यायालय ने याचिका को निराकृत करते हुए सचिव, राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन विभाग को यह निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ती के गृह जिले के मामले में यथाशीघ्र अधिकतम 45 दिनों में निर्णय लें।