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Bilaspur High Court: बीईओ के प्रभार को लेकर हाईकोर्ट का आदेश: लेक्चरर को प्रभारी बीईओ बनाए जाने पर कोर्ट ने कहा...

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि बीईओ के प्रभार के लिए एबीईओ ही उपयुक्त हैं और एबीईओ ही इस पद का प्रभार ले सकते हैं। लेक्चरर को बीईओ का प्रभार सौंपना नियमों के विपरीत है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने लेक्चरर को बीईओ के प्रभार से हटाने का निर्देश दिया है।

Bilaspur High Court: बीईओ के प्रभार को लेकर हाईकोर्ट का आदेश: लेक्चरर को प्रभारी बीईओ बनाए जाने पर कोर्ट ने कहा...
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि बीईओ के प्रभार के लिए एबीईओ ही उपयुक्त हैं और एबीईओ ही इस पद का प्रभार ले सकते हैं। लेक्चरर को बीईओ का प्रभार सौंपना नियमों के विपरीत है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने लेक्चरर को बीईओ के प्रभार से हटाने का निर्देश दिया है।

हाई कोर्ट ने कहा कि बीईओ के पद पर कभी भी व्याख्याता की नियुक्ति नहीं की जा सकती। यदि ऐसा मामला कोर्ट के संज्ञान में आएगा तो तुरंत उस आदेश को रद्द कर दिया जाएगा। मामला सारंगढ़–बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला का है। वर्ष 2022 में लेक्चरर नरेंद्र जांगड़े को बीईओ बनाने का आदेश जारी किया था।

इस बीच नरेंद्र जांगड़े के खिलाफ अनियमितता की शिकायत डीईओ से की गई थी। शिकायत के चलते कलेक्टर ने नरेंद्र जांगड़े को हटाकर लेक्चरर नरेश चौहान को बीईओ का प्रभार सौंप दिया। लेकिन कुछ समय बाद फिर से नरेंद्र जांगड़े को बीईओ बना दिया गया। मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडे के सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि बीईओ के पद पर कभी भी व्याख्याता को नियुक्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने निर्देशित किया कि ना तो नरेश चौहान और ना नरेंद्र जांगड़े बीईओ रहेंगे। दोनों की जगह पर एबीईओ को बीईओ का प्रभार सौंपा जाए। साथ ही अदालत ने यह स्पष्ट किया कि दोबारा अगर इस तरह का कोई मामला कोर्ट में आता है तो उस तरह के आदेश को तुरंत रद्द कर दिया जायेगा।

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