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Chhattisgarh News: हाथियों की कब्रगाह बनता जा रहा है छत्‍तीसगढ़: करंट से हो रही हाथियों की मौत, कहीं शिकार तो कहीं लापरवाही ले रही जान

Chhattisgarh News: बिजली करंट से हाथियों के मौत के मामले में देशभर में भयावह स्थिति है। अकेले छत्तीसगढ़ में बीते वर्ष करंट से 18 हाथियों की मौत हो गई। इस साल का आंकड़ा भी कम चौंकाने वाला नहीं है। अब तक छत्तीसगढ़ में 10 हाथ काल के गाल में समा गए हैं। रायगढ़ जिले के तमानार वन परिक्षेत्र में 26 अक्टूबर को दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। एक ही कुनबे के तीन हाथियों की मौत बिजली करंट से हो गई। मोटर पंप के लिए बिछाई गई तार के चपेट में आकर तीन हाथियों की मौत हो गई थी। इस मामले को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्वत: संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है।

Chhattisgarh News: हाथियों की कब्रगाह बनता जा रहा है छत्‍तीसगढ़: करंट से हो रही हाथियों की मौत, कहीं शिकार तो कहीं लापरवाही ले रही जान
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By Radhakishan Sharma

Chhattisgarh News: बिलासपुर। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़े तो और भी चौंकाने वाले हैं। देशभर से इकट्ठा किए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो देश के वन क्षेत्रों में स्वच्छंद विचरण करने वाले गजराज पर बिजली का करंट काल बनकर टूट रहा है। बिजली करंट से मौत का यह सिलसिला वर्ष 2013-14 से कुछ ज्यादा ही प्रारंभ हुआ है। इस दौर में पूरे एक साल में चार हाथियों की मौत करंट से हुई थी। करंट से मौत लगातार हो ही रही है। इसे रोकने के लिए उपाय तो किए जा रहे हैं पर प्रभावी जान नहीं पड़ रहा है। तभी तो वर्ष 2019-20 में तीन हाथियों की मौत हो गई। बिजली करंट से मौत के मामले में रायगढ़ जिले का आंकड़ा कम चौंकाने वाला नहीं है। वर्ष 2023 में 12 हाथियों की मौत करंट की चपेट में आने से हुई। बता दें कि रायगढ़ जिले में कटहल बड़ी संख्या में मिलता है। जंगल के अलावा धरमजयगढ़ से लेकर रायगढ़ जिले के ग्रामीण इलाके में ग्रामीणों की बाड़ी में कटहल का पेड़ मिल ही जाता है। कटहल हाथियों का प्रिय भोजन है। इसकी खुशबू से हाथी चले आते हैं। हाथियों की धमक और ग्रामीणों में जान का भय ही ग्रामीणों के सामने तब करंट ही एक बड़ा और सशक्त विकल्प नजर आता है। बिजली करंट से अपने आपको बचाकर हाथियों को मौत के मुंह में धकेलने का काम कर रहे हैं। तभी तो यह आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ते ही जा रहा है।

रायगढ़ जिले का यह इलाका खतरनाक

रायगढ़ जिले के लैलूंगा, छाल,धरमजयगढ़ व बाकारूमा वन परिक्षेत्र में हाथियों की धमक साल भर बनी रहती है। धान की फसल के बाद महुआ और कटहल खाने के लिए हाथियों का दल यहां विचरण करते रहता है। यही वह इलाका है जहां बिजली करंट से हाथियों की मौत भी ज्यादा होती है। मौजूदा साल में अब तक छह हाथियों की मौत हो चुकी है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और सरगुजा संभाग के साथ ही धमतरी जिले में भी बिजली करंट से हाथियों के मौत का आंकड़ा कम चौंकाने वाला नहीं है।

तमनार रेंज मे तीन हाथियों की मौत,हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान

26 अक्टूबर को रायगढ़ जिले के तमनार में करंट से तीन हाथियों की मौत हो गई। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने घटना की गंभीरता को देखते हुए स्वत: संज्ञान में लेकर पीआईएल के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस ने सीएसपीडीसीएल के एमडी और उर्जा सचिव को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

कांसाबेल में एक हाथी की मौत

जशपुर जिले के कांसाबेल वन परिक्षेत्र में एक हाथी की मौत करंट से हुई है। बीते वर्ष 28 दिसंबर को बगीचा वन परिक्षेत्र के कुरडेग में करंट से एक हाथी की मौत हो गई थी।

ये आंकड़े भी भयावह

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि देश के अलग-अलग राज्यों में रेल दुर्घटनाओं में 200 हाथी मारे गए. इसी तरह इस दौरान 223 हाथियों को शिकार के लिए मारा गया. इन राज्यों में 72 हाथियों को ज़हर देकर मार डाला गया. लेकिन इन सारे आंकड़ों की तुलना में, करंट से हाथियों की मौत के आंकड़े लगभग दोगुने हैं. वन विभाग के अनुसार इस दौरान देश में 790 हाथी करंट लगने से मारे गए हैं।

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