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CG PSC: CG PSC को नए चेयरमैन का इंतजार: 11 महीने से कार्यवाहक के भरोसे चल रहा काम, पढ़‍िये.. पूरी कहानी

CG PSC: राज्य लोकसेवा आयोग अपने शुरुआती दिनों से ही विवाद में रहा है। वर्ष 2003 में आयोग ने पहली परीक्षा ली। यह क्या।ऐसे घोटाले हुए जो आजतलक किसी राज्य में ना देखने को मिला और ना ही सुनने को। दो साल सीजीपीएससी की कालिख सामने आई। सूचना के अधिकार के तहत जब जानकारी मिली तब घोटालों की लंबी फेहरिस्त सामने आ गई। स्केलिंग से लेकर मेरिट लिस्ट बनाने में फर्जीवाड़े किए गए। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला भी आया,जिसमें कोर्ट ने नए सिरे से स्केलिंग कर मेरिट लिस्ट बनाने कहा था। हालांकि इस पर अमल नहीं हो पाया। हाई कोर्ट के फैसले को चयनित अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दिया है।

CG PSC: CG PSC को नए चेयरमैन का इंतजार: 11 महीने से कार्यवाहक के भरोसे चल रहा काम, पढ़‍िये.. पूरी कहानी
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By Radhakishan Sharma

CG PSC: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) का कामकाज कार्यकारी अध्यक्ष और दो सदस्यों के भरोसे ही चल रहा है। सेटअप के अनुसार सीजीपीएससी में अध्यक्ष समेत पांच सदस्य होने चाहिए। अभी यहां कार्यकारी अध्यक्ष सहित तीन सदस्य कार्यरत हैं। बीते नौ महीने से पूर्णकालिक अध्यक्ष की कुर्सी खाली है। सवाल यह भी उठाए जा रहे हैं कि पूर्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति कब होगी। राज्य सरकार किस पर विचार कर रही है। कोई आईएएस को यह जिम्मेदारी मिलेगी या फिर कोई और।

बता दें कि बीते कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आयोजित सीजीपीएससी 2021 और असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा 2019 में भर्ती प्रक्रिया में किए गए घोटाले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) कर रही है। पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, सचिव जीवन किशोर ध्रुव सहित अन्य अधिकारी संदेह के दायरे में हैं। इनके कार्यकाल में हुए घोटाले में इनकी संलिप्तता के साथ ही सीबीआई अफसरों की शक की सुई भी इन पर है। एक बात और गौर करने वाली है। सीजीपीएससी में भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के बीच कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान जिनकी नियुक्ति की गई थी वे आज भी अपने पद पर काबिज हैं। इनमें सदस्य,सहायक परीक्षा नियंत्रक व अन्य अधिकारियों के नाम है। सीजीपीएससी चेयरमैन और दो मेंबरों की कुर्सी खाली है।

शुरुआत से ही दागदार

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के एक साल बाद वर्ष 2001-02 में राज्य सरकार ने सीजीपीएससी का गठन किया गया था। पीएससी एक्ट के मुताबिक चेयरमैन सहित पांच मेंबर की नियुक्ति की जानी है। बीते कुछ वर्षों में पीएससी पूर्ण सदस्यीय नहीं हो पाया। आयोग में दो से तीन सदस्यों कुर्सी खाली ही रही है।

सीजीपीएससी मेंबर डॉ. वर्मा के हाथों कमान

सीजीपीएससी का पूर्णकालिक चेयरमैन ना होने के कारण डॉ. प्रवीण वर्मा को राज्य सरकार ने जिम्मेदारी सौंप दी है। कार्यकारी अध्यक्ष की हैसियत से कामकाज निपटा रहे हैं। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान डा वर्मा 16 जुलाई 2021 को सदस्य बनाए गए थे। उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर कामकाज चलाया जा रहा है। दो अन्य सदस्यों में डा. सरिता उइके 24 जुलाई 2021 और संतकुमार नेताम पांच अक्टूबर 2023 को पीएससी के सदस्य नियुक्त किए गए थे।

शुरुआत से लेकर अब तक विवादों में रहा सीजीपीएससी

11 साल बाद आया था फैसला

वर्ष 2003 की सीजी पीएससी परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई। पीएससी ने वर्ष 2005 में ही हाई कोर्ट के समक्ष अपनी गलती स्वीकार कर ली थी। उन्होंने कहा था कि चयन में उनसे चूक हुई है। पीएससी के जवाब के बाद भी 11 साल तक मामला लटका रहा। वर्ष 2016 में डिवीजन बेंच का फैसला आया।

वर्ष 2003 से लेकर अब तक इस तरह सामने आईं गड़बड़ियां

- 2003 में परीक्षा को लेकर सर्वाधिक विवाद हुआ। 2005 में परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद मामला हाई कोर्ट गया। जहां नए सिरे से मेरिट सूची बनाने और पदस्थापना का आदेश जारी किया।

- 2008 की परीक्षाओं में गड़बड़ी पर हाई कोर्ट में याचिका दायर हुई और कोर्ट ने गलती सुधारने निर्देश दिए

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- 2016 में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें गलत सवाल पूछे गए। अंग्रेजी विषय के 100 सवाल में से माडल आंसर में 47 सवाल विलोपित कर दिए। आठ से 10 सवाल पाठ्यक्रम के बाहर से थे। फिर सीजी पीएससी ने तय किया कि सिर्फ 53 सवालों का ही मूल्यांकन होगा। पीएससी ने अंग्रेजी विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती परीक्षा को रद कर दिया।

- 2017 मई में पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए सवालों में 50 से अधिक सवाल ही गलत निकले। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद कुछ सवालों को लेकर फिर से जांच कर इसके नतीजे दोबारा जारी किए गए।

- 2018 में पीएससी की इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा के माडल आंसर मार्च में जारी हुए। परीक्षा में 150 सवाल पूछे गए थे। सवालों के जवाब के लिए पांच विकल्प ए,बी,सी,डी और ई थे। माडल आंसर जारी हुए तो प्रश्न क्रमांक एक से 76 तक का जवाब आप्शन ए ही था। इसे लेकर भी विवाद हुआ।

- 2019 में सिविल जज के 39 पदों के लिए परीक्षा ली। इसे भी हाई कोर्ट में चुनौती दी गई कि परीक्षा में पूछे गए 100 में से 70 प्रश्नों में स्पेलिंग मिस्टेक है।

- 2020 में भी अफसरों के बच्चों के चयनित होने का आरोप लगा।

-2021 में अधिकारियों के साथ ही कांग्रेस नेताओं के रिश्तेदारों के चयन का आरोप लगा।

पूर्व गृहमंत्री ने लगाई है याचिका

छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग वर्ष 2021-22 भर्ती में हुई गड़बड़ी को लेकर पूर्व गृहमंत्री व रामपुर के विधायक ननकी राम कंवर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जनहित याचिका दायर की है। इसमें राज्य लोक सेवा आयोग के सचिव अमृत खलखो के बेटी व बेटे, मुंगेली के तत्कालीन कलेक्टर पीएएस एल्मा के बेटे, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के बेटे, बस्तर नक्सल आपरेशन डीआइजी की बेटी समेत ऐसे 18 लोगों की सूची पेश करते हुए आरोप लगाया है कि यह सभी नियुक्तियां प्रभाव के चलते पिछले दरवाजे से कर दी गई हैं। उन उम्मीदवारों के भविष्य के साथ धोखा किया गया है जिनकी नियुक्ति होनी थी। पिछले दरवाजे से की गई नियुक्तियों को रद करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।

सीबीआई जांच जारी

पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने पीआईएल में जो मांगे हाई कोर्ट से की थी। पीएम मोदी ने इसे पूरा कर दिया है। विधानसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़वासियों से पीएम मोदी ने वादा किया था कि सरकार आते ही सीजीपीएससी फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच कराएंगे। पीएम ने अपना वादा पूरा किया। इसी के साथ पूरे पांच साल बाद छत्तीसगढ़ में सीबीआई की एंट्री हुई। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने सीबीआई पर बैन लगा रखा था।

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