Begin typing your search above and press return to search.

Bilaspur News: सोलर स्ट्रीट लाइट में 18 करोड़ का खेला..... राज्य शासन से हाई कोर्ट ने शपथ पत्र के साथ मांगा जवाब

Bilaspur News: पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में अफसरों ने ग्रामीण विद्युतीकरण के नाम पर जमकर फर्जीवाड़ा किया है। बस्तर और सुकमा के ग्रामीण क्षेत्रों में साेलर स्ट्रीट लाइट के नाम पर 18 करोड़ से ज्यादा का खेला हुआ है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच के समक्ष राज्य शासन की ओर से पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने कहा कि इस मामले में जांच समिति का गठन राज्य सरकार ने कर दिया है। समिति ने जांच प्रारंभ कर दी है। डिवीजन बेंच ने राज्य शासन की ओर से इस पूरे मामले को लेकर शपथ पत्र के साथ जवाब दाखिल करने कहा है। पीआईएल की अगली सुनवाई के लिए हाई कोर्ट ने 18 मार्च की तिथि तय कर दी है।

Standing Counsil in Bilaspur High Court: NMC के स्टेंडिंग कौंसिल बने एडवोकेट नंदे व वानखेड़े, देखें NMC का पत्र
X

Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

Bilaspur News: बिलासपुर। सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने के नाम पर बस्तर और सुकमा के ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल के दौरान ग्रामीण विद्युतीकरण के नाम पर 18 करोड़ से अधिक के खेला को लेकर मीडिया में खबर प्रकाशित की गई थी। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इसे स्वत: संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड करने का निर्देश रजिस्ट्रार जनरल को दिया था। चीफ जस्टिस के निर्देश पर पीआईएल के रूप में इस मामले को पंजीकृत किया गया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई चल रही है।

बस्तर और सुकमा जिले के 190 गांवों में बिना टेंडर और वर्कआर्डर के 3500 से ज्यादा सोलर स्ट्रीट लाइट लगा दी गई है। 2021 से लेकर 2022 के बीच इस पूरे फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया गया है। अचरज की बात ये कि क्रेडा ने भी सारे नियम कायदे को दरकिनार कर दिया। बीते सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से जवाब पेश करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसरों ने बताया था कि नियमानुसार पूरी निविदा प्रक्रिया क्रेडा के माध्यम से होनी चाहिए थी, जो नहीं की गई है। राज्य के अधिकारियों को पूरी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इसकी अनदेखी की है। यहां तक कि भंडार क्रय नियम के तहत निर्धारित नियमों का भी उल्लंघन किया गया है।

अतिरिक्त महाधिवक्ता राज कुमार गुप्ता ने कोर्ट को बताया था कि जब उपरोक्त तथ्य अधिकारियों के संज्ञान में आया, तब 09.04.2024 को आयुक्त, आदिवासी विकास रायपुर द्वारा जांच का आदेश दिया गया। जांच भी पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट भी संबंधित अधिकारी को प्रस्तुत कर दी गई है। जल्द ही इस पूरे मामले की जानकारी सामने आ जाएगी। अतिरिक्त महाधिवक्ता के जवाब के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि राज्य शासन की ओर से शपथ पत्र के माध्यम से इस पूरे मामले और जांच को लेकर विस्तृत जानकारी पेश करें।

Next Story