Bilaspur High Court: विधवा से धोखाधड़ी और FIR: वकील पर व्यवसायिक कदाचरण का आरोप, हाई कोर्ट ने वकील औऱ राज्य सरकार से मांगा जवाब...
Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट में सनसनीखेज मामला सामने आया है। एक विधवा महिला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर वकील के खिलाफ व्यवसायिक कदाचरण का आरोप लगाया है। शिकायत के अनुसार वकील ने विधवा महिला से धोखाधड़ी की और पुलिस से मिलीभगत कर एफआईआर भी दर्ज करा दिया। हाई कोर्ट ने वकील व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने जवाब पेश करने के लिए टाइम लिमिट भी तय कर दिया है।

Bilaspur High Court
Bilaspur High Court: बिलासपुर। विधवा महिला ने घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं होने की स्थिति में अधिवक्ता को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अधिकृत किया था। अधिवक्ता ने पेशे के खिलाफ कदाचरण करते हुए विधवा महिला से मोटी रकम वसूल ली। महिला को केस के लंबित रहने के दौरान जानकारी मिलने पर उन्होंने अपना वकील बदल लिया। वकील बदलने के साथ ही महिला ने स्टेट बार कौंसिल छत्तीसगढ़ में उक्त वकील के खिलाफ लिखित शिकायत में व्यवसायिक कदाचरण का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। स्टेट बार कौंसिल में शिकायत की जानकारी मिलते ही वकील ने महिला के खिलाफ झूठी एफआईआर करा दी। पुलिस ने मामले में चालान भी पेश कर दिया। परेशान महिला ने वकील के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में लंबित आपराधिक प्रकरण पर रोक लगाने के साथ संबंधित वकील और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
कोंडागांव में रहने वाली वंशिका अग्निहोत्री विधवा है, उसके परिवार में कोई पुरुष सदस्य जीवित नहीं है। बीमा राशि के लिए उसने और उसकी बड़ी भाभी ने उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए ट्रायल कोर्ट में आवेदन दिया। इसके लिए उन्होंने कोंडागांव निवासी एक अधिवक्ता को पैरवी के लिए नियुक्त किया। वकील ने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 372 के तहत सिविल न्यायाधीश, वर्ग-1, कोंडागांव के समक्ष उत्तराधिकार प्रकरण प्रस्तुत किया। ट्रायल कोर्ट ने 5 अक्टूबर 2023 को इन मामलों को मंजूरी दी। कोर्ट के आदेश के खिलाफ बसंत अग्निहोत्री ने अपील की। कोंडागांव के जिला न्यायाधीश ने 23 सितंबर 2024 को अपील खारिज कर दी।अपील लंबित रहने के दौरान वंशिका को पता चला कि वकील ने उसे गुमराह किया। पेशेवर आचरण के खिलाफ जाकर कोर्ट फीस और अन्य खर्चों के नाम पर बड़ी रकम ले लिया है। इस बात की जानकारी मिलने के बाद महिला ने अपील के दौरान वकील बदल दिया।
स्टेट और डिस्ट्रिक्ट बार कौंसिल में शिकायत की जानकारी लगते ही करा दी एफआईआर
वंशिका ने वकील से कहा कि वह उसके खिलाफ स्टेट बार काउंसिल और कोंडागांव के अधिवक्ता संघ में व्यवसायिक कदाचरण की शिकायत करने जा रही है। वकील ने इसके बाद वंशिका और उसकी महिला मित्र के खिलाफ कोंडागांव थाने में एफआईआर करा दी। पुलिस ने मामले में आईपीसी की धारा 294, 506, 500, 341, 34 के तहत अपराध दर्ज किया गया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। 28 मार्च 2024 को उन्हें जमानत पर रिहा किया गया।
पुलिस ने पेश कर दिया है आरोप पत्र
जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोंडागांव के समक्ष आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया है। मामला फिलहाल लंबित है। आरोप तय करने के लिए कोर्ट में बहस होनी है। इधर,वंशिका व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर वकील के खिलाफ कार्रवाई करने व पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने वकील व राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। इसके लिए चार सप्ताह की मोहलत दी है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई होते तक जेएमएफसी को लंबित प्रकरण पर कार्यवाही स्थगित रखने का आदेश जारी किया है।