Bilaspur High Court: सिस्टम से नाखुश चीफ जस्टिस की तल्खी: बोले- इनके खिलाफ तो मीसा की कार्रवाई होनी चाहिए
Bilaspur High Court: अरपा नदी वर्तमान में जिस स्वरूप में नजर आ रही है,कमोबेश प्रदेशभर की नदियां भी इस तरह बदहाल है। खनिज माफियाओं ने नदी से रेत निकालने के लिए मशीनों के जरिए बेतरतीब और बेदर्दी से खुदाई कर दी है। नदियों के भीतर जानलेवा गड्ढा बन गया है। अरपा तो अब पूरी तरह बंजर ही हो गई है। नदी का स्वरूप बदलने लगा है। यह सब छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा से देखा नहीं जा रहा है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उनकी नाराजगी भी सामने आई। नाराज चीफ जस्टिस ने माफियाओं और कानून तोड़ने वालों पर मीसा की कार्रवाई की बात भी कह दी। सिस्टम को लेकर नाराज भी दिखे।

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित अरपा नदी के संरक्षण व संवर्धन को लेकर दायर की गई अलग-अलग जनहित याचिकाओं की छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एकसाथ सुनवाई हो रही है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में पीआईएल की सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने कहा कि अरपा की हालत बेहद खराब है। नदी में घास उग आया है। लोगों को पानी नहीं मिल रहा है। रेत के बेतहाशा उत्खनन के कारण नदी का स्वरूप बिगड़ रहा है। अरपा खोखली हो गई है। माफियाओं की ओर इशारा करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि दिक्कत ये कि आप कोई भी कानून बनाइए अपनी ताकत दिखाने के लिए उसे तोड़ देंगे, आप मूकदर्शक बने रहेंगे। सिस्टम को लेकर उनकी नाराजगी सामने आई। उन्होंने राज्य शासन के अधिवक्ताओं से पूछा कि अमला होने के बाद इस पर प्रभावी रोक नहीं क्यों नहीं लग पा रहा है। नाराज डिवीजन बेंच ने यहां तक कहा कि गंभीर घटना सामने आती है तो कोर्ट दोषी अफसरों के साथ-साथ संबंधितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से नहीं हिचकेगा।
पीआईएल की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने अरपा सहित प्रदेश की नदियों कें रेत के नाम पर की जा रही अवैध खुदाई को लेकर नाराजगी जताई। नाराज डिवीजन बेंच ने पर्यावरण के खिलाफ काम करने वालों के ऊपर कड़ी कार्रवाई की बात भी कही। पर्यावरण व जल संरक्षण की दिशा में नियमों को तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि अरपा नदी में घास उग आया है। लोगों को पानी नहीं मिल रहा। अवैध उत्खनन के कारण नदी पूरी तरह खोखली हो गई है। अरपा में पानी नजर नहीं आ रहा है।
राज्य शासन की ओर से पेश किया जवाब
राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि 12 फरवरी 2025 को नगर निगम आयुक्त ने शपथपत्र पेश कर जानकारी दी है। वर्तमान में बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड नाले व नालियों के 60 प्रतिशत सीवरेज जल को ही ट्रिटमेंट कर सकता है। वर्तमान में मौजूद संसाधनों की क्षमता इतनी ही है। 40 प्रतिशत सीवरेज वाटर को ट्रिटमेंट के लिए कंसलटेंट कंपनी ब्लू स्ट्रीम इंफ्रा डेवलपमेंट कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड पुणे से प्रोजेक्ट रिपोर्ट मिल गई है। इसे सीई पीएचई को भेजा गया है। सीई पीएचई के एप्रुव्हल के बाद डीपीआर जारी किया जाएगा। कंसलटेंट कंपनी का रिवाइज्ड प्लान 10 फरवरी 2025 को मिल गया है। तकनीकी जांच के बाद इसे स्वीकृति के लिए राज्य शासन को भेजा जाएगा। महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसर के जवाब के बाद डिवीजन बेंच ने बिलासपुर नगर निगम कमिश्नर को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ दोबारा विस्तृत जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।
कलेक्टर की रिपोर्ट पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
डिवीजन बेंच ने कलेक्टर के इस रिपोर्ट पर नाराजगी जताई जिसमें उन्होंने बताया है कि वर्ष 2022-23, 2023-24 के अलावा वर्तमान समय में अवैध उत्खनन का मामला तेजी के साथ बढ़ा है। कोर्ट ने अवैध उत्खनन और परिवहन में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश राज्य शासन को दिया है। कोर्ट ने ऐसे लाेगों के खिलाफ अपराध दर्ज करने का निर्देश भी दिया है।