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Bilaspur High Court: सड़कों पर मवेशी बड़ी समस्‍या: हाईकोर्ट ने राज्‍य सरकार, एनएचएआई और निगम से मांगा शपथ पत्र

Bilaspur High Court: सड़कों पर आवारा मवेशियों के कारण हो रही दुर्घटनाओं और लोगों को हो रही परेशानी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से एडिशनल एजी ने जब यह कहा कि राज्य शासन प्रदेश में संचालित गौशालाओं को ग्रांट दे रही है। हम आवारा मवेशियों को गौशाला में रखेंगे। चीफ जस्टिस ने ऐसा क्यों कहा कि जब सरकार ग्रांट दे रही है और समुचित उपयोग नहीं हो रहा है तो इसका अर्थ क्या लगाया जाए। पढ़िए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने किस-किस विभाग के अफसरों से शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है और क्या निर्देश जारी किया है।

Bilaspur High Court: सड़कों पर मवेशी बड़ी समस्‍या: हाईकोर्ट ने राज्‍य सरकार, एनएचएआई और निगम से मांगा शपथ पत्र
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। सड़क पर आवारा मवेशियों के जमावड़े के कारण हो रही दुर्घटनाओं को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ने बताया कि पूरे प्रदेश में निजी संस्थाएं या संगठन 63 गोशाला संचालित कर रहे हैं। इनके अपने आय स्रोत तो हैं ही साथ ही राज्य शासन भी 20 लाख अनुदान देता है। हम जानवरों को पकड़कर गौशाला में रखेंगे।

अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि हर ग्राम पंचायत में गोठान बने हुए हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने इसका विधिवत रिकार्ड देने कहा ताकि इसकी संख्या का पता चल सके। चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्य शासन गौशालाओं को फंड दे रही है और उसका इस्तेमाल नहीं हो रहा तो इसका कोई अर्थ नहीं है।

चीफ जस्टिस ने राज्य शासन, राष्ट्रीय राजमार्ग व नगर निगम को हालत सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी और कार्ययोजना के बारे में शपथ पत्र देने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।

प्रदेश की खस्ताहाल सडकों को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सडक पर आवारा मवेशियों के जमा होने के कारण भारी वाहनों की चपेट में आकर मारे जाने का भी उल्लेख किया था। हाई कोर्ट ने इसके लिए एडवोकेट प्रांजल अग्रवाल और रविन्द्र शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए सभी जगह जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा था।

सड़कों से मवेशियों को हटाने और शिफ्टिंग की योजना ही नहीं

डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नरों ने जानकारी देते हुए बताया कि बिलासपुर और आसपास कई प्रमुख मार्गों पर निरीक्षण के बाद यह मालूम हुआ कि सडकों से मवेशियों को हटाने की कोई योजना ही नहीं है। सुबह जिन मवेशियों को हटाया जाता है, शाम को फिर वहीं पर वापस आ जाते हैं।

चारागाहों पर अतिक्रमण,चारे की है समस्या

एनएचएआई के वकील धीरज वानखेड़े ने डिवीजन बेंच को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 2011 के एक मामले में यह बात सामने आई थी कि सभी जगह चारागाहों पर बेजा कब्जा कर लिया गया है। इन्हें मुक्त कराने की जरूरत है। किसान भी अपने खेतों में पराली को जला देते हैं, जो जानवरों के खाने का काम आता है। ऐसा नहीं होने से सारी परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि आज आम पशु मालिक को कोई डर नहीं है कि उसका मवेशी कहां जा रहा है।

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