Bilaspur High Court: रायपुर में 11 साल पहले हुए चर्चित डबल मर्डर केस में हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
Bilaspur High Court: राजधानी रायपुर में 11 साल पहले हुए बहुचर्चित डबल मर्डर केस के मामले में मृतक मनोज मिश्रा के पिता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें ट्रायल कोर्ट ने बेटे के हत्यारों को बरी कर दिया था। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने हत्या के दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोनों आरोपियों को कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने का आदेश दिया है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। 11 साल पहले हुए बहुचर्चित डबल मर्डर केस के मामले में मृतक मनोज मिश्रा के पिता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें ट्रायल कोर्ट ने बेटे के हत्यारों को बरी कर दिया था। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने हत्या के दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोनों आरोपियों को कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने का आदेश दिया है।
सवारियों को भरने के विवाद में रायपुर में हुए डबल मर्डर केस के दो प्रमुख आरोपियों को करीब 11 साल बाद अब आजीवन कारावास भुगतना पड़ेगा। हाई कोर्ट ने मृतक के पिता की अपील स्वीकार कर ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें सबको बरी कर दिया गया था। चार में से दो आरोपियों के खिलाफ सबूत न होने पर हाई कोर्ट ने उन दोनों को ट्रायल कोर्ट के पुराने आदेश की तरह दोषमुक्त कर दिया है।
लोकल बस चलाने वाले मनोज मिश्रा व साथियों का आटो संचालक अनिल देवांगन, राजेश मित्रा व अन्य से सवारियों को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था। इसी बीच पचपेड़ी नाका रायपुर के पास 2 जनवरी 2011 को अनिल देवांगन, राजेश मित्रा , दुर्गेश देवांगन, राजकुमार सेन ने शाम लॉग इन लागिन बार में बैठे मनोज मिश्रा व कीर्ति चौबे पर बेसबाल, बल्ले और चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। इस हमले से बचकर भागते हुए कीर्ति चौबे बेसुध होकर लक्ष्मी मेडिकल के पास गिर पड़ा इससे घटना स्थल पर ही उसकी मौत हो गई। हमले से गंभीर रूप से मनोज मिश्रा को इलाज हास्पिटल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उसने भी दम तोड़ दिया।
भय के कारण किसी ने नहीं दी गवाही
पचपेड़ी नाका पुलिस स्टेशन में आरोपियों के खिलाफ भादवि की धारा 302 व 307 का जुर्म दर्ज कर ट्रायल कोर्ट में चालान पेश किया था। ट्रायल कोर्ट में मुकदमा चला मगर कोई चश्मदीद गवाह नहीं होने के कारण से चारोंआरोपियों को कोर्ट ने रिहाई का आदेश दिया था।
मनोज के पिता ने हाई कोर्ट में लगाई गुहार
मृतक मनोज मिश्र के पिता प्रभाशंकर मिश्रा ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए एडवोकेट राहुल मिश्रा के माध्यम से अपील पेश की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि हत्या के लिए उपयोग किए गए बेसबाल व चाकू पुलिस ने बरामद किया था। इसमें आरोपी अनिल देवांगन से चाकू और राजेश मित्रा से बेसबाल के बल्ले की जब्ती बनाई थी। एसएल रिपोर्ट में पाया गया कि , चाकू व बेसबाल के बल्ले में मानव रक्त लगे होने की पुष्टि भी की गई थी। गवाहों ने हथियारों की जब्ती अपने सामने होने की पुष्टि की।
चश्मदीद गवाह पर ट्र्रायल कोर्ट ने ध्यान नहीं दिया
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि घटना के बाद पुलिस ने चार गवाहों के बयान दर्ज किया था। सभी चारों गवाहों ने यह बात बताई है कि हत्या के दोनों आरोपियों ने पुलिस के सामने हत्या करना स्वीकार किया था अधिवक्ता ने यह भी बताया कि घटना का चश्मदीद गवाह भी था, इस पर ट्रायल कोर्ट ने ख़ास ध्यान नहीं दिया।
दो को किया बरी,दो भुगतेंगे आजीवन कारावास की सजा
मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने पर्याप्त सबूत ना होने के कारण दुर्गेश देवांगन ,राजकुमार सेन को बरी कर दिया है। अनिल देवांगन और राजेश मिश्रा को हत्याकांड का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। राजेश मिश्र व अनिल देवांगन को भी ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था। ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। डिवीजन बेंच ने हत्या के आरोपी अनिल देवांगन व राजेश मिश्रा को कोर्ट के समक्ष सरेंडर करने का आदेश दिया है।