Bilaspur High Court: रायपुर एयरपोर्ट पार्किंग विवाद पहुंचा हाई कोर्ट , आया कुछ ऐसा फैसला
Bilaspur High Court: मेसर्स अंजनेय इंटरप्राइजेज ने स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर में वाहन पार्किंग प्रबंधन के लिए नई ई-टेंडरिंग प्रक्रिया को दी थी चुनौती, कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ कुछ तरह सुनाया फैसला
Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मेसर्स अंजनेय इंटरप्राइजेज के संचालक संतोष तिवारी द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर में वाहन पार्किंग प्रबंधन के लिए नई ई-टेंडरिंग प्रक्रिया को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता ने कोविड-19 रियायती सहायता योजना के माध्यम से राहत की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने अपने पार्किंग अनुबंध के विस्तार की मांग की थी। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। याचिकाकर्ता संतोष तिवारी को 2019 में रायपुर एयरपोर्ट पर स्वचालित पार्किंग प्रबंधन प्रणाली संचालित करने का ठेका दिया गया था। 28 अक्टूबर 2019 को शुरू हुआ यह ठेका आगामी 27 अक्टूबर 2024 को समाप्त होने वाला था। याचिकाकर्ता की कंपनी ने बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया, जिसमें फास्टैग सिस्टम स्थापना भी शामिल है। कोविड-19 महामारी के कारण हुए वित्तीय नुकसान को कम करने के लिए शुरू की गई रियायती सहायता योजना के तहत विस्तार की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अन्य हवाई अड्डों ने इस योजना के तहत अपने रियायतकर्ताओं को विस्तार दिया था। लेकिन रायपुर हवाई अड्डे ने कई अनुरोधों और अभ्यावेदनों के बावजूद ऐसा नहीं किया है।
संविदात्मक और वाणिज्यिक निर्णय, जैसे निविदाओं का अवार्ड केबलिये अफसर है स्वतंत्र
याचिकाकर्ता ने कहा कि विस्तार से उन्हें बाहर रखना मनमाना और भेदभावपूर्ण निर्णय था। जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि संविदात्मक और वाणिज्यिक निर्णय, जैसे निविदाओं का अवार्ड, संबंधित अधिकारियों के विवेक के अंतर्गत आते हैं। जब तक कि मनमानी या दुर्भावना का स्पष्ट सबूत न हो, तब तक इसमें हस्तक्षेप उचित नहीं है।