Bilaspur High Court: न्यायालयीन अवमानना के घेरे में फंसे फार्मेंसी कौंसिल के चेयरमैन व रजिस्ट्रार, हाई कोर्ट ने पूछा... क्यों ना चलाया जाए अवमानना का मामला
Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेंसी कौंसिल के चेयरमैन अरुण कुमार मिश्रा व रजिस्ट्रार अश्वनी गुर्देकर न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के आरोप में फंस गए हैं। याचिकाकर्ता व कौंसिल के सदस्य डा राकेश गुप्ता की याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया था। आदेश के बाद भी फार्मेंसी कौंसिल के चेयरमैन व रजिस्ट्रार उनको हटाने पर तुले हुए हैं। डा राकेश गुप्ता ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में कौंसिल के चेयरमैन व रजिस्ट्रार के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने आदेश की अवहेलना करने को लेकर ना केवल नाराजगी जताई है, साथ ही चेयरमैन व रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना दोनों के खिलाफ अवमानना का प्रकरण चलाया जाए। एक सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आदेश व निर्देशों की अवहेलना का मामला लगातार बढ़ता ही जा रहा है। छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी कौंसिल के सदस्य डा राकेश गुप्ता की याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कौंसिल के चेयरमैन व रजिस्ट्रार को जरुरी दिशा निर्देश जारी किया था। निर्देशों का पालन करने के बाद डा गुप्ता की कौंसिल की सदस्यता समाप्त करने के लिए परिषद का विशेष सम्मेलन का आयोजन कर लिया। डा गुप्ता ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने के आरोप में कौंसिल के चेयरमैन व रजिस्ट्रार के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है।
अवमानना याचिका की सुनवाई जस्टिस अरविंद वर्मा के सिंगल बेंच में हुई। याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की नाराजगी भी सामने आई। नाराज कोर्ट ने कौंसिल के चेयरमैन अरुण कुमार मिश्रा व रजिस्ट्रार अश्वनी गुर्देकर को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने के आरोप में दाेनों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए। कोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब मांगा है। प्रकरण की अगली सुनवाई के लिए एक सप्ताह बाद की तिथि तय कर दी है। बता दें कि हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता व कौंसिल के सदस्य डा राकेश गुप्ता की याचिका पर सुनवाई के बाद उनके पक्ष में 6.12.2024 को आदेश जारी किया था। आदेश का पालन करने के बजाय याचिकाकर्ता डा गुप्ता को कौंसिल से बाहर का रास्ता दिखाने चेयरमैन व रजिस्ट्रार ने परिषद का विशेष सम्मान आयोजित कर लिया।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ फार्मेसी कौंसिल रजिस्ट्रार के उस विवादित आदेश पर रोक लगा दी है,जिसका अधिकार उनके पास नहीं है। आईएमए के चेयरमैन व फार्मेसी कौंसिल के मेंबर डा राकेश गुप्ता ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रजिस्ट्रार के उस आदेश पर रोक की मांग की थी जिसमें उसे कौंसिल के मेंबर पद से हटा दिया था। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार के आदेश और उसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 6.12.2024 को जारी अपने आदेश में छत्तीसगढ़ फार्मेसी कौंसिल रजिस्ट्रार के उस विवादित आदेश पर रोक लगा दी है,जिसका अधिकार उनके पास नहीं है। आईएमए के चेयरमैन व फार्मेसी कौंसिल के मेंबर डा राकेश गुप्ता को रजिस्ट्रार ने एक आदेश जारी कर कौंसिल के मेंबर पद से हटा दिया था। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके चंद्रवंशी के सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने फार्मेसी कौंसिल रजिस्ट्रार के आदेश और उसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी।
क्या है मामला
आईएमए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चेयरमैन व फार्मेसी कौंसिल के मेंबर डा राकेश गुप्ता ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर बताया था कि वह मेडिकल कौंसिल आफ छत्तीसगढ़ के निर्वाचित सदस्य हैं। छत्तीसगढ़ फार्मेसी कौंसिल एक्ट में दिए गए प्रावधान और व्यवस्था के तहत वह फार्मेसी कौंसिल आफ छत्तीसगढ़ के नामिनेटेड मेंबर हैं। वर्ष 2020 से वह फार्मेसी कौंसिल के नामित सदस्य हैं और अपना काम करते रहे हैं।
रजिस्ट्रार की नियुक्ति में नियमों की अवहेलना
याचिकाकर्ता ने बताया कि राज्य में सत्ता परिवर्तन के साथ ही राज्य सरकार ने फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार की नियुक्ति में प्रावधान के साथ ही नियमों व निर्देशों की खुलकर अवहेलना कर दी है। राज्य शासन ने एक आदेश जारी कर स्वास्थ्य विभाग में स्टोर कीपर के पद पर कार्यरत तृतीय वर्ग श्रेणी के कर्मचारी अश्वनी गुर्देकर को फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार के पद पर पदस्थ कर दिया है। रजिस्ट्रार के पद पर काबिज होने के बाद अश्वनी गुर्देेकर ने उसे पद से हटा दिया। पद से हटाने के जो कारण बताए गए हैं वह नियमों के विपरीत है। फार्मेसी कौंसिल के मेंबर से हटाने के लिए आरोप लगाए गए हैं कि वे लगातार तीन मीटिंग में अनुपस्थित रहे। याचिकाकर्ता ने रजिस्ट्रार के अधिकारों का उल्लेख करते हुए बताया कि रजिस्ट्रार को इस तरह के आरोप लगाकर मेंबर को उनके पद से हटाने का अधिकार ही नहीं है। रजिस्ट्रार ने नियमों के विपरीत जाते हुए आदेश जारी किया है।
रजिस्ट्रार को अपने अधिकार की जानकारी ही नहीं
पूर्व में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता संदीप दुबे ने फार्मेसी कौंसिल एक्ट और दिए गए प्रावधान की जानकारी देते हुए कोर्ट को बताया कि फार्मेसी कौंसिल एक्ट के अनुसार कौंसिल के मेंबर्स को हटाने का अधिकार रजिस्ट्रार को नहीं है। नियमानुसार सामान्य सभा की बैठक आयोजित करनी पड़ती है। परिषद की मीटिंग में आरोपों को रखा जाता है। सामान्य सभा में उपस्थित मेंबर्स के फैसले के आधार पर कार्रवाई का प्रावधान है। रजिस्ट्रार ने नियमों व निर्देशों की खुलकर अवहेलना की है। सामान्य सभा के अधिकार का यह सीधा-सीधा हस्तक्षेप है। अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को यह भी बताया था कि रजिस्ट्रार ने सामान्य सभा के अधिकारों पर हस्तक्षेप के साथ ही क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर यह आदेश जारी किया है जो नियमों व निर्देशों के साथ ही फार्मेसी कौंसिल के प्रावधानों के विपरीत है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फार्मेसी कौंसिल रजिस्ट्रार के विवादित आदेश और उसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी।
गठन के लिए इन शर्तों का पालन करना जरुरी
फार्मेसी कौंसिल एक्ट में दिए गए प्रावधान के अनुसार कौंसिल में कुल 15 मेंबर्स होते हैं। इसमें छह इलेक्टेड व छह नामिनेटेड मेंबर्स का चयन किया जाता है। कोई भी निर्णय सामान्य सभा की बैठक में बहुमत के आधार पर लिया जाता है।
कौंसिल के रजिस्ट्रार के लिए यह योग्यता है जरुरी
फार्मेसी कौंसिल एक्ट व प्रावधान के अनुसार कौंसिल के रजिस्ट्रार के लिए सीनियर रिटायर्ड चिकित्सा अधिकारी की नियुक्ति की जाती है। एक्ट में स्पष्ट लिखा है कि सीनियर रिटायर्ड चिकित्सा अधिकारी फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार होंगे। गुर्देकर की नियुक्ति में नियमों व प्रावधानों का सीधेतौर पर उल्लंघन किया गया है।