Bilaspur High Court: नीट यूजी एडमिशन: हाई कोर्ट ने दिया एक सीट रिजर्व रखने का निर्देश, जानिये..क्या है मामला
Bilaspur High Court: लखीराम अग्रवाल शासकीय मेडिकल कॉलेज रायगढ़ ने काउंसिलिंग के दौरान याचिकाकर्ता छात्र के जिला मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी दिव्यांगता प्रमाण पत्र को रद करते हुए प्रवेश देने से इनकार कर दिया था। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल बोर्ड, रायपुर के समक्ष उपस्थित होकर सर्टिफिकेट प्राप्त करने का निर्देश दिया है। मेडिकल कालेज प्रबंधन को याचिकाकर्ता के लिए एक सीट रिजर्व रखने कहा है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में नीट यूजी की भर्ती प्रक्रिया में दिव्यांगता साबित करने के लिए जिला मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी प्रमाण पत्र को सही ठहराया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता छात्र को राज्य मेडिकल बोर्ड के सामने जिला मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी सर्टिफिकेट के साथ उपस्थित होने कहा है। सर्टिफिकेट का परीक्षण के बाद राज्य मेडिकल बोर्ड विधि सम्मत दिव्यांगता सर्टिफिकेट जारी करेगा। तब तक छात्र के लिए एक सीट रिजर्व रखने का निर्देश दिया है।
स्व लखीराम अग्रवाल गर्वनमेंट मेडिकल कालेज रायगढ़ में काउंसलिंग के दौरान महासमुंद जिले के अर्जुन्दा निवासी छात्र विवेक भोई के दिव्यांगता प्रमाण पत्र को खारिज करते हुए मेडिकल कालेज प्रबंधन ने एडमिशन देने से मना कर दिया था। दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान प्रबंधन ने जिला मेडिकल बोर्ड महासमुंद द्वारा जारी प्रमाण पत्र को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया था। मेडिकल कालेज के डीन ने छात्र से राज्य मेडिकल बोर्ड से प्रमाण पत्र हासिल करने और जमा करने की शर्त रख दी थी। याचिकाकर्ता छात्र को छत्तीसगढ़ मेडिकल एंड डेंटल काउंसिलिंग कमेटी द्वारा सीट एलाट किया गया था। सर्टिफिकेट को अमान्य किए जाने के फैसले के खिलाफ छात्र विवेक ने अधिवक्ता धीरज वानखेड़े के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता छात्र ने अपनी याचिका में बताया है कि जिला मेडिकल बोर्ड महासमुंद ने विकलांगता नियम 2017 के नियमों के तहत प्रमाण पत्र जारी किया है। रायगढ़ मेडिकल कालेज के डीन ने इसे अस्वीकार करअधिनियम, 2016 और नियम, 2017 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। याचिका के अनुसार अफसरों ने बताया कि राज्य मेडिकल बोर्ड अभी काम नहीं कर रहा है। इस महीने में बोर्ड दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहा है।
इसलिए मिला था विकलांगता प्रमाण पत्र
याचिकाकर्ता छात्र के सिकल सेल से पीड़ित होने के कारण दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया गया है। नियमों का हवाला देते हुए याचिका में कहा है कि अधिनियम, 2016 की धारा 72 के अनुसार जिला चिकित्सा प्राधिकरण एक सक्षम प्राधिकारी हैं और वहां से जारी सर्टिफिकेट वैध है। सर्टिफिकेट को अस्वीकार करना संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत दिए गए समानता और शिक्षा के अधिकारों के विपरीत है। याचिकाकर्ता छात्र ने तय समयावधि के पूर्व राज्य मेडिकल बोर्ड के समक्ष विकलांगता की जांच करने और प्रमाण पत्र जारी करने की मांग कोर्ट से की है। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता छात्र की मांग को स्वीकार करते हुए राज्य मेडिकल बोर्ड को विकलांगता की जांच करने और विधि सम्मत प्रमाण पत्र जारी करने कहा है। रायगढ़ मेडिकल कालेज डीन को निर्दिशत करते हुए तब तक एक सीट रिजर्व रखने कहा है।