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Bilaspur High Court: माई लार्ड.....पुलिस के अफसर मुझे तंग करते हैं, कृपया मेरा नाम गुंडासूची से हटवा दीजिए

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक रोचक मामला सामने आया है। बिल्हा थाना क्षेत्र के एक ग्रामीण ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बिल्हा थाना के पुलिस अफसरों द्वारा जबरिया परेशान करने की शिकायत करते हुए गुंडा लिस्ट से नाम हटवाने की गुहार लगाई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि एक बार 2017 में दो मामूली अपराध में उसका नाम सामने आया था। तब पुलिस ने प्रतिबंधात्मक धारा के तहत कार्रवाई की थी। उसके बाद से पुलिस उसे लगातार परेशान कर रही है। पढ़िए, मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने बिलासपुर एसपी को नोटिस जारी कर क्या कहा है।

Bilaspur High Court: माई लार्ड.....पुलिस के अफसर मुझे तंग करते हैं, कृपया मेरा नाम गुंडासूची से हटवा दीजिए
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक राेचक मामला सामने आया है। बिल्हा थाना क्षेत्र के एक ग्रामीण ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बिल्हा थाना के पुलिस अफसरों द्वारा जबरिया परेशान करने की शिकायत करते हुए गुंडा लिस्ट से नाम हटवाने की गुहार लगाई है। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने बिलासपुर एसपी को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता के आवेदन पर छह सप्ताह के भीतर निराकरण करने का निर्देश दिया है। जरुरी निर्देश के साथ कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया है।

बिलासपुर जिले के राम सप्ताह चौक वार्ड क्रमांक 6 बिल्हा निवासी लाला प्रसाद यादव ने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि पुलिस थाना बिल्हा के द्वारा वर्ष 2018 से उसका नाम गुंडा सूची बदमाश सूची में शामिल किया गया है। इसके चलते उसे पुलिस के अफसर हर मौके पर उसे थाना बुला लेते हैं। थाना तलब करने के बाद उसे अनावश्यक रूप से परेशान किया जाता है। 14 सितंबर 2024 को भी उसे सुबह से थाने में बैठाकर रात 8:00 बजे छोड़ा गया। याचिकाकर्ता ने बताया कि इस दौरान उसने कोई आपराधिक कृत्य भी नहीं किया है और ना ही किसी ऐसी घटना में शामिल रहा है जिसके चलते कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी हो। याचिका के अनुसार वर्ष 2017 के बाद से किसी भी प्रकार का उसका आपराधिक रिकार्ड नहीं रहा है। अपने जीविकोपार्जन में लगा हुआ है। शुरुआत में उसके खिलाफ वर्ष 2017 के पहले मात्र दो मामले थाने में रजिस्टर्ड थे। उसके बाद थानेदार के द्वारा प्रतिबंधात्मक धारा के तहत उसके खिलाफ कार्यवाही की गई।

आरटीआई के बाद भी नहीं मिली जानकारी

याचिका के अनुसार सूचना के अधिकार के तहत बिल्हा थाने में आवेदन देकर वर्ष 2018 अथवा अन्य भी किसी भी वर्ष की थाने के द्वारा तैयार की गई क्षेत्र के गुंडा बदमाश की सूची मांगी गई थी। उसे आजतलक सूची नहीं दी गई है। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी भी थाना से नहीं दी जा रही है।

जब मन करता है बुला लेते हैं थाने,करते हैं तंग

याचिकाकर्ता ने कहा कि बिल्हा थाने के अफसरों और पुलिस के जवानों के रवैये से वह और उसका परिवार पूरे समय भयभीत रहते हैं। पुलिस के अफसरों को जब मन करता है थाने बुला लेते हैं और घंटो बैठाकर प्रताड़ित करते हैं। इस प्रताड़ना से उसे अब डर लगने लगा है। याचिकाकर्ता ने आशंका जाहिर की है कि पुलिस उसे झूठे मामले में भी फंसा सकती है। जब भी थाने में कोई भी व्यक्ति किसी बात को लेकर अपनी शिकायत दर्ज कराता है पुलिस सबसे पहले उसे फोन कर बुला लेती है और परेशान करती है।

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