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Bilaspur High Court: मिशन हॉस्पिटल केस में जिला प्रशासन के पक्ष में बड़ा फैसला, 1000 करोड़ की संपत्ति पर अब होगा सरकार का कब्जा

Bilaspur High Court: सेवा के नाम पर बड़ा खेला करने वाले मिशन अस्पताल प्रबंधन को हाई कोर्ट से जोर का झटका है। क्रिश्चियन वुमन बोर्ड आफ मिशन व नितिन लारेंस की याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद एक हजार करोड़ रुपये की 11 एकड़ बेशकीमती सरकारी संपत्ति पर अब प्रशासन का कब्जा होगा। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में पावर आफ अटार्नी को भी गलत ठहराया है।

Bilaspur High Court: मिशन हॉस्पिटल केस में जिला प्रशासन के पक्ष में बड़ा फैसला, 1000 करोड़ की संपत्ति पर अब होगा सरकार का कब्जा
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। सेवा के नाम पर खेला करने की शिकायत का जब खुलासा हुआ तब जिला प्रशासन ने मिशन अस्पताल परिसर की एक हजार करोड़ रुपये की 11 एकड़ बेशकीमती सरकारी संपत्ति पर कब्जे को लेकर कदम आगे बढ़ाया। मिशन अस्पताल प्रबंधन ने लीज का नवीनीकरण कराए बगैर परिसर के भीतर स्थिति जमीनों को किराए पर चढ़ाकर हर महीने मोटी रकम भी वसूल रहा है। इन सब शिकायतों के सामने आने के बाद तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए बेदखली की कार्रवाई आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था। जिला प्रशासन को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। प्रशासन के आदेश को चुनौती देते हुए क्रिश्चियन वुमन बोर्ड आफ मिशन व नितिन लारेंस ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच हुई। कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को खारिज करने के साथ ही पावर आफ अटार्नी को भी गलत ठहराया है।

लीज की अवधि समाप्त होने और लीज देते वक्त तय किए गए मापदंडों के उल्लंघन के आरोप में कलेक्टर बिलासपुर ने मिशन अस्पताल परिसर की सरकारी जमीन को अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया प्रारंभ की। सचिव डिसोसियस आफ छत्तीसगढ़ नितिन लारेंस ने कमिश्नर कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बार कमिश्नर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। कमिश्नर ने अपने फैसले में लिखा कि अस्पताल की जमीन क्रिश्चियन बोर्ड आफ मिशन की है। लारेंस द्वारा पेश की गई पावर आफ अटार्नी किसी अन्य संस्था की है। लारेंस ने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को वापस कमिश्नर कोर्ट में आवेदन पेश करने कहा। कमिश्नर कोर्ट ने दोबारा याचिका खारिज हाेने के बाद नितिन लारेंस ने दूसरी मर्तबे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मिशन अस्पताल की स्थापना वर्ष 1885 में हुई। सरकारी जमीन को सेवा के नाम पर मिशन अस्पताल को लीज पर दिया गया। था। लीज साल 2014 में खत्म हो गई है। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने लीज का नवीनीकरण नहीं कराया। नवीनीकरण के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा पेश किए गए आवेदन को नजूल कोर्ट ने वर्ष 2024 में खारिज कर दिया। नजूल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए मिशन अस्पताल प्रबंधन ने कमिश्नर कोर्ट में अपील पेश की थी। कमिश्नर कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

0 हाई कोर्ट ने 24 अप्रैल 2025 को सुरक्षित रख लिया था फैसला

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता लारेंस पर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया। एजी ने कहा कि नितिन लॉरेंस प्रत्येक याचिका में अपना पद बदल रहे हैं और विभिन्न संस्थाओं की पॉवर ऑफ अटॉर्नी प्रस्तुत कर रहे है। अदालत को गुमराह कर रहे हैं। यह कानूनी रूप से गलत है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला 24 अप्रैल 2025 को सुरक्षित रख लिया था। 18 जुलाई को हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।

0 कोर्ट की कड़ी टिप्पणी: याचिकाकर्ता का आचरण, पट्टे के घोर दुरुपयोग को दर्शाता है

कलेक्टर, संभागीय आयुक्त और राज्य सरकार द्वारा पारित आदेश सभी प्रासंगिक तथ्यों, दस्तावेजों और कानूनी प्रावधानों की गहन और विवेकपूर्ण जांच को दर्शाते हैं। ये आदेश किसी भी प्रक्रियात्मक अनियमितता, मनमानी या दुर्भावना से प्रभावित नहीं हैं। बल्कि, ये सरकारी भूमि के पट्टों को नियंत्रित करने वाली वैधानिक योजना के अनुरूप हैं और प्रशासनिक कानून के सुस्थापित सिद्धांतों पर आधारित हैं। यह स्थापित कानून है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत, इस न्यायालय का रिट क्षेत्राधिकार विवेकाधीन प्रकृति का है। अनुच्छेद 226 के तहत राहत से इंकार किया जा सकता है यदि याचिकाकर्ता ने न्यायालय में महत्वपूर्ण तथ्यों को दबाया हो, या वैधानिक दायित्वों का उल्लंघन किया हो। वर्तमान मामले में, याचिकाकर्ता का आचरण, जो दो दशकों से अधिक समय से अनुपालन न करने की स्थिति में है, पट्टे के घोर दुरुपयोग को दर्शाता है, जिससे वह न्यायसंगत राहत से वंचित हो जाता है। याचिकाकर्ता के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं दिखाया गया है।

0 प्रशासनिक अफसरों के निर्णय को कोर्ट ने सही ठहराया

जस्टिस प्रसाद ने अपने फैसले में लिखा है कि अधिकारियों ने पट्टे को नवीनीकृत करने से इंकार करके और पट्टे को वापस लेने में अपने अधिकारों और अधिकार क्षेत्र के भीतर काम किया। भूमि पर पुनः कब्ज़ा प्राप्त करने के लिए कदम उठाएँ। उनके निर्णय में कोई त्रुटि या अवैधता नहीं है जिसके लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 या 227 के अंतर्गत इस न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप की आवश्यकता हो।

0 नियमों का किया उल्लंघन

मिशन अस्पताल की जमीन डायरेक्टर क्रिश्चियन वूमेंस बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल बिलासपुर, तहसील व जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़ को आवंटित की गई थी। यह मोहल्ला चांटापारा शीट नंबर 14 प्लाट नंबर 20/1 एवं 21 रकबा 382711 एवं 40500 वर्कफीट है। उक्त भूमि के पट्टे के नवीनीकरण हेतु रमन जोगी के द्वारा आवेदन प्रस्तुत किया गया था। पट्टे की लीज अवधि की समाप्ति 31 मार्च 1994 को थी। इसके पूर्व आवेदक द्वारा मोहल्ला चांटापारा शीट नंबर 14 प्लाट नंबर 20 एवं 21 रकबा क्रमशः 474780 एवं 40500 वर्गफीट पट्टे के नवीनीकरण के लिए 17 सितंबर 1964 को आवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिसमें उद्देश्य मिशनरी एवं अस्पताल बताया गया था। आवेदन पत्र पर पट्टे का नवीनीकरण वर्ष 1966 में दिनांक 31 अप्रैल 1994 तक के लिए किया गया था जिसमें मुख्य रूप से निर्माण में बदलाव एवं व्यावसायिक गतिविधियां बिना कलेक्टर की अनुमति के न किए जाने की शर्त थी। नवीनीकरण उपरांत शीट नंबर 14 प्लाट नंबर 20 रकबा 474790 में से 92069 वर्ग फिट अन्य व्यक्ति को रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय किया गया।

0 क्या है मामलाः

मिशन अस्पताल की स्थापना वर्ष 1885 में हुई थी। इसके लिए क्रिश्चियन वुमन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल बिलासपुर, तहसील व जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़ को जमीन आवंटित की थी। यह मोहल्ला चांटापारा शीट नंबर 17, प्लाट नंबर 20/1 एवं रकबा 382711 एवं 40500 वर्गफीट है। 1966 में लीज का नवीनीकरण कर साल 1994 तक लीज बढ़ाई गई थी। पुलिस की अवधि 31 अप्रैल 1994 तक के लिए थी। जिसमें मुख्य रूप से निर्माण में बदलाव एवं व्यवसायिक गतिविधियां बिना कलेक्टर की अनुमति के न किए जाने की शर्त थी। पुलिस की नवीनीकरण उपरांत सीट नंबर 14 प्लाट नंबर 20 रकबा 474790 में से 92069 वर्गफीट अन्य व्यक्ति को रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय भी किया गया था। इसके साथ ही किराए पर अन्य प्रतिष्ठानों को दे इसे कमाई का माध्यम बना लिया गया था। 1994 को लीज खत्म होने के बाद 30 वर्षों तक लीज का नवीनीकरण नहीं करवाया गया था।

0 सेवा के नाम से जमीन ली और लाखों का करने लगे खेला

मिशन अस्पताल के लीज का मामला काफी चर्चाओं में रहा था। यह जमीन शहर के मध्य में स्थित है। जिसे सेवा के नाम से 11 एकड़ जमीन लीज पर दी गई थी। लीज पर जमीन लेकर डायरेक्टर रमन जोगी ने इसे चौपाटी बनाकर किराए पर चढ़ा दिया था। एक रेस्टोरेंट का कैम्पस में संचालन किया जा रहा था। लीज की शर्तों का उल्लंघन कर व्यावसायिक उपयोग करने पर तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण की तिरछी नजर पड़ी। जब इसके रिकॉर्ड मंगवाए गए तब चौंकाने वाले खुलासे हुए। सन 1966 में लीज का नवीनीकरण साल 1994 तक के लिए कर लीज बढ़ाई गई थी। 31 अप्रैल 1994 तक लीज की अवधि थी।

लीज की अवधि बढ़ाने के समय इसमें कई शर्तें भी लागू की गई थी। पर शर्तों का उल्लंघन कर न केवल इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा था बल्कि 92069 वर्ग फिट अन्य व्यक्तियों के नाम रजिस्टर विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय भी किया गया था। लीज अवधि समाप्त होने के बाद भी लीजधारक कब्जे पर कायम था।

0 लीज की शर्तों का किया उल्लंघन

लीज की शर्तों का उल्लंघन कर व्यावसायिक उपयोग करने पर कलेक्टर अवनीश शरण ने दस्तावेजों की पड़ताल करने का निर्देश दिया था। जब रिकॉर्ड मंगवाए गए तब चौंकाने वाले खुलासे हुए। सन 1966 में लीज का नवीनीकरण कराते हुए इसे 1994 तक के लिए बढ़ाई गई थी। 31 अप्रैल 1994 तक लीज की अवधि थी। लीज की अवधि बढ़ाने के समय इसमें कई शर्तें भी लागू की गई थी। लीज धारकों ने शर्तों का उल्लंघन करते हुए सेवा के नाम पर लीज लेकर व्यवासायिक उपयोग करने लगे और लाखों रुपये किराए भी वसूल करने लगे थे।

0 सेवा के नाम पर अस्पताल प्रबंधन ने ऐसे किया खेला

1-मिशन अस्पताल 10770 वर्ग फीट में है।

2- महादेव नर्सिंग कॉलेज एवं हॉस्टल 14462 वर्गफीट एवं 16196 वर्ग फीट 80000 मासिक किराए पर दिया गया है।

3- वंदना हॉस्पिटल 5269 वर्ग फीट 175000 मासिक किराए पर दिया गया है। वेल्लाह मिनी चौपाटी 4696 वर्गफीट 5 हजार मासिक राहुल

4- डा जोगी को एवं 30 हजार रुपए वार्षिक यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्दर्न इंडिया ट्रस्ट संगठन को दिया गया है।

5- तिब्बती वूलन मार्केट के लिए प्लाट नंबर 21 रकबा 40500 वर्ग फीट में से खुले क्षेत्र को शीतकाल में किराए पर दिया गया।

6- यूनिवर्सल मोटर सर्विस को 10 हजार वर्ग फिट दिया गया है।

7- चर्च एवं प्रेयर हाल के लिए 6967 वर्गफीट रखा गया है।

8- कम्युनिटी सेंटर को 2330 वर्ग फिट दिया गया है।

9- स्टाफ क्वार्टर के लिए 20046 वर्गफीट रखा गया है।

10- डायरेक्टर आवास के लिए 6889 वर्गफीट रखा गया है।

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