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Bilaspur High Court: MBBS के NRI कोटे पर हाईकोर्ट का फैसला: महाधिवक्ता के अभिमत के बाद कोर्ट ने कहा..

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश पूरे देश में लागू नहीं हो सकता। हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा NRI कोटे के एडमिशन निरस्त करने के आदेश को खारिज कर दिया है।

Bilaspur High Court: MBBS के NRI कोटे पर हाईकोर्ट का फैसला: महाधिवक्ता के अभिमत के बाद कोर्ट ने कहा..
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश पूरे देश में लागू नहीं हो सकता। इसे कानून मानकर किसी नियम को लागू नहीं की जा सकती। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा NRI कोटे के एडमिशन निरस्त करने के आदेश को खारिज कर दिया है।

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद प्प्रदेश बके मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले एनआरआई कोटे के छात्रों को राहत मिली है।

राज्य शासन के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 18 अक्टूबर को एक आदेश जारी क्र एनआरआई कोटे से. प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में दिए गए प्रवेश के आदेश को निरस्त कर दिया. था. राज्य शासन के इस आदेश को चुनौती देते हुए एनआरआई. कोटे से एडमिशन लेने वाले छात्र अंतश तिवारी सहित 40 अन्य. स्टूडेंट्स ने अधिवक्ता अभिषेक सिन्हा व् अनुराग श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की है।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश छत्तीसगढ़ में नहीं होगा लागू

याचिकाकर्ता छात्रों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि छत्तीसगढ़ मेडिकल एजुकेशन प्रवेश नियम 2008 के तहत एनआरआई कोटे की सीटें तय की गई है। नियम 13 (स) में एनआरआई छात्रों की पात्रता भी तय है। तय किये गए नियम व् मापदंड के आधार पर छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई छात्रों को एडमिशन दिया गया है।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एनआरआई कोटे के नियम में बदलाव किया है, जिसके तहत एनआरआई कोटे में केवल भाई-पुत्र व पहली पीढ़ी के रिश्तेदार को ही प्रवेश दिया जा सकता है। हाईकोर्ट ने दूसरी पीढ़ी के छात्रों को प्रवेश नहीं देने का आदेश दिया है। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई, जिसे खारिज कर दिया गया है।

बिना विधिक सलाह के प्रवेश किया निरस्त

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के इस फैसले के आधार पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों ने बिना विधिक सलाह लिएसीधे तौर पर एनआरआई कोटे के छात्रों का प्रवेश निरस्त कर दिया है। याचिकाकर्ता छात्रों ने इसे असंवैधानिक बताया है।

महाधिवक्ता ने कहा, पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश छत्तीसगढ़ में लागू नहीं होगा

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने महाधिवक्ता से विधिक अभिमत मांगा, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट का एसएलपी और पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश छत्तीसगढ़ में लागू नहीं होगा। एजी प्रफुल्ल भारत ने कहा यह कोई कानून नहीं है। इस अभिमत के आधार पर हाईकोर्ट ने एनआरआई छात्रों के प्रवेश निरस्त करने के आदेश को खारिज कर दिया है।

राज्य शासन को प्रवेश नियम में करना होगा बदलाव

इस मामले की सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि राज्य शासन एनआरआई कोटे में अगर बदलाव करना चाहता है और पंजाब व हरियाणा की तरह नियम लागू करना है तो इसके लिए प्रवेश नियम में बदलाव करना होगा। साथ ही एनआरआई कोटे के नियम को संशोधित कर लागू करना पड़ेगा। तब इसे अमल में लाया जा सकता है।

रद्द होने वाला था 45 छात्रों का एडमिशन

डायरेक्टर ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन से निकले आदेश के अनुसार 22 सितंबर के बाद 45 छात्रों को एनआरआई कोटा में एडमिशन दिया गया था। उन्हें तीन दिनों मे एनआरआई होने संबंधी दस्तावेज लेकर सत्यापन के निर्देश दिए गए थे। तीन दिनों में एक भी स्टूडेंट्स ने दस्तावेजों का सत्यापन नहीं करवाया। जिसके चलते उनके एडमिशन रद्द करने की कार्यवाही डीएमई करने वाला था। कार्रवाई होने से पहले ही हाईकोर्ट का आदेश आ गया।

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