Bilaspur High Court: कोरबा नगर निगम के महापौर को हाईकोर्ट से राहत: उच्च स्तरीय जाती छानबीन समिति के आदेश पर लगाई रोक
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Bilaspur High Court: बिलासपुर। कोरबा नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद का पिछड़ा वर्ग का जाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति द्वारा 21/8/24 को रद्द कर दिया गया था। जिसे लेकर राजकिशोर प्रसाद ने अपने सिनियर अधिवक्ता सतीशचन्द्र वर्मा के जरिए से छानबीन समिति के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस पार्थ प्रीतम साहू के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने आगामी सुनवाई तक छानबीन समिति के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें पिछड़ा वर्ग जाति को रद्द कर दिया था।
कोरबा नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद मूलतः बिहार के रहने वाले है। प्रसाद को कोइरी जाति का प्रमाण पत्र छत्तीसगढ़ में जारी किया गया था। जिसके आधार पर उन्होंने 2019 में महापौर का चुनाव लड़ा और जीता था।
महापौर प्रसाद का जाति प्रमाणपत्र सप्ताह भर पहले यानी 21 अगस्त को छत्तीसगढ़ की उच्चस्तरीय छानबीन समिति ने निरस्त कर दिया था। इससे महापौर कुर्सी खतरे में आ गई थी। इस फैसले के खिलाफ महापौर की ओर से हाईकोर्ट बिलासपुर में अपील की गई थी। छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता तथा सीनियर अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने बताया कि गुरुवार को हाईकोर्ट के जस्टिस पार्थप्रीतम साहू ने इस मामले की सुनवाई की। इसके बाद जस्टिस साहू ने उच्चस्तरीय छानबीन समिति के जाति प्रमाणपत्र को निरस्त करने के फैसले पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है। इस रोक के कारण मेयर प्रसाद पर मंडरा रहा कुर्सी छोड़ने का खतरा फिलहाल टल गया है।
कोरबा नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद के बाद ओबीसी का जाति प्रमाणपत्र था। मूलतः बिहार के रहने वाले प्रसाद को कोइरी जाति का ओबीसी का प्रमाणपत्र जारी किया गया था। इसी प्रमाणपत्र के आधार पर उन्होंने ओबीसी प्रत्याशी के तौर पर 2019 में चुनाव लड़ा और जीता था। लेकिन उनकी जाति को लेकर लगातार शिकायतें की जा रही थीं। इस आधार पर प्रदेश की उच्चस्तरीय छानबीन समिति ने जांच की थी। 21 अगस्त को समिति ने मेयर प्रसाद के ओबीसी प्रमाणपत्र को निरस्त करने का फैसला किया। इसके बाद कोरबा में राजनैतिक बवाल मच गया था और समूचा विपक्ष महापौर को तुरंत हटाने व कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा था।