Begin typing your search above and press return to search.

Bilaspur High Court: सरकार के ढिले रुख पर हाईकोर्ट सख्‍त: देखें वीडियो- जवाब ने नाराज जस्टिस ने रख दी फाइल, बोले- अर्जेंट मैटर की गंभीरता नहीं समझते

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट में सरकार के जवाब से नाराज जस्टिस ने न केवल मामले की फाइल रख दी बल्कि कोर्ट में मौजूद महाधिवक्ता कार्यालय के विधि आधिकारियों को फटकार भी लगाई।

Bilaspur High Court: सरकार के ढिले रुख पर हाईकोर्ट सख्‍त: देखें वीडियो- जवाब ने नाराज जस्टिस ने रख दी फाइल, बोले- अर्जेंट मैटर की गंभीरता नहीं समझते
X
By Sanjeet Kumar

Bilaspur High Court: बिलासपुर। बिलासपुर नगर निगम के वार्डो के परिसीमन को लेकर राज्य शासन ने आज अलग ही तर्क पेश किया। राज्य शासन का कहना था कि जिन स्लम बस्तियों को विस्थापित किया गया है और वहां के निवासियों को अलग-अलग वार्डों में शिफ्ट किया गया है, यह परिसीमन उनके लिए किया जा रहा है। इसमें वर्ष 2011 की जनगणना को आधार नहीं बनाया गया है।

मामले की सुनवाई के कोर्ट में चल रही थी। शासन के जवाब के बाद जब कोर्ट ने पूछा कि क्या केवल उन्हीं वार्डों का परिसीमन किया गया है जहां स्लम बस्ती के लोग रह रहे हैं। इस पर शासन की ओर महाधिवक्ता कार्यालय के लॉ अफसर जवाब नहीं दे पाए। राज्य सरकार के रूख को देखते हुए जस्टिस पीपी साहू ने नाराजगी जताई व फाइल सरका दी। कोर्ट ने कहा अर्जेंट मैटर होने के बाद भी रिप्लाई फाइल नहीं कर पा रहे हैं। दंतेवाड़ा से जवाब नहीं आया। यह समझ में आता है। मौसम खराब है, वर्षा हो रही है। पर आप लोग तो शहर में है। अर्जेंट मैटर की गंभीरता नहीं समझ रहे हैं। बिलासपुर नगर निगम द्वारा वार्डों के किए गए परिसीमन पर आपत्ति दर्ज करते हुए बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक शैलेष पांडेय व चार ब्लाक अध्यक्षों ने याचिका दायर की है।

रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय द्वारा रविवार को काजलिस्ट जारी कर सोमवार को डिवीजन व सिंगल बेंच में सुनवाई के लिए लगने वाले प्रकरणों की सूची जारी कर दी थी। जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में सुबह याचिका पर सुनवाई हुई। जैसे ही यह मामला लगा और कोर्ट ने परिसीमन को लेकर जानकारी मांगी तब महाधिवक्ता कार्यालय के विधि आधिकारियों दस्तावेज पेश करने के लिए मोहलत मांग ली। कोर्ट ने दोपहर बाद का समय दिया।

भोजनावकाश के बाद जैसे ही मामला लगा,राज्य शासन की ओर से दस्तावेज पेश किया गया। दस्तावेज पेश करने के साथ ही महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि स्लम फ्री सिटी योजना के तहत शहर के 13 स्लम बस्तियों को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत आइएचएसडीपी व प्रधानमंत्री आवास योजना व वाम्बे आवास योजना के तहत बने मकान में शिफ्ट किया गया है। इनकी संख्या तकरीबन दो हजार 617 है। बिलासपुर नगर निगम में वार्डों का परिसीमन का आधार यही है। वर्ष 2011 की जनगणना को आधार नहीं बनाया गया है।

कोर्ट के सवाल का नहीं दे पाए जवाब

राज्य शासन के जवाब के बाद हाई कोर्ट ने पूछा कि स्लम बस्तियों को उजाड़ा गया और शिफ्ट किया गया है क्या केवल इन्हीं वार्डों का परिसीमन किया गया है। वर्तमान में स्लम बस्ती के लोग कहां-कहां रह रहे हैं। निगम सीमा के भीतर बने वार्ड में ही तो रह रहे होंगे। कोर्ट के सवालों का शासन के पास कोई जवाब नहीं था। निरुत्तर होने के बाद शासन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं ने एक बार फिर समय की मांग की। इस पर कोर्ट नाराज हो गया। कोर्ट ने कहा कि बिलासपुर नगर निगम के अलावा प्रदेश के अन्य निकायों में वार्ड परिसीमन के खिलाफ खबरों का प्रकाशन हो रहा है। इलेक्ट्रानिक मीडिया में खबरें चल रही है। इसके बाद भी जवाब के लिए समय मांगा जाना आश्चर्यजनक है। नाराज कोर्ट ने फाइल फेंक दी। खास बात ये कि आज पूरे दिन याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता को अपनी बात रखने का समय ही नहीं मिल पाया।

याचिका में इस पर जताई है आपत्ति

राज्य सरकार ने प्रदेशभर के निकायों के वार्ड परिसीमन के लिए जो आदेश जारी किया है उसमें वर्ष 2011 के जनगणना को आधार माना है। इसी आधार पर परिसीमन का कार्य करने कहा गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि वार्ड परिसीमन के लिए बनाए गए नियमों के अनुसार अंतिम जनगणना को आधार माना गया है। राज्य सरकार ने अपने सरकुलर में भी परिसीमन के लिए अंतिम जनगणना को आधार माना है। राज्य सरकार ने इसके पहले वर्ष 2014 व 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का कार्य किया है। जब आधार एक ही है तो इस बार क्यों परिसीमन का कार्य किया जा रहा है।याचिका के अनुसार वर्ष 2011 के बाद जनगणना हुई नहीं है। तो फिर उसी जनगणना को आधार मानकर तीसरी मर्तबे परिसीमन कराने की जरुरत क्यों पड़ रही है।

चार नगरीय निकायों के परिसीमन पर हाई कोर्ट ने लगाई है रोक

राजनादगांव नगर निगम, कुम्हारी व तखतपुर नगर पालिका, बेमेतरा नगर पंचायत में वार्डों के परिसीमन को चुनौती दी गई थी। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस पीपी साहू ने परिसीमन की प्रक्रिया और अधिसूचना पर रोक लगा दी है।

दावा आपत्तियों का नहीं हुआ निराकरण

याचिका में इस बात को लेकर भी आपत्ति दर्ज कराई है कि परिसीमन के बाद कलेक्टर ने शहरवासियों से दावा आपत्ति मंगाई थी। उसका निराकरण नहीं किया गया है। आवेदन पत्र को रद्दी की टोकरी में डाल दी गई है। ऐसा लगता है कि कलेक्टर ने कानूनी अड़चनों से बचने और औपचारिकता निभाने के लिए शहरवासियों से दावा आपत्ति मंगाई गई थी। सक्षम प्राधिकारी के पास आपत्ति दर्ज कराई गई है तो उनका दायित्व बनता है निराकरण किया जाए। पर ऐसा नहीं हो रहा है। शासन द्वारा तय मापदंड व प्रक्रिया का पालन कहीं नहीं किया जा रहा है। अधिकारीगण केवल औपचारिकता निभाते रहे है। लोगों की आने वाली मुसिबतों पर ध्यान नहीं दिया गया है। वार्ड परिसीमन के बाद लोगों का पता बदल जाएगा,परिस्थितियां बदल जाएगी। आधारकार्ड से लेकर पेन कार्ड सहित जरुरी दस्तावेजों में पता बदलवाना पड़ेगा।


Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

Read MoreRead Less

Next Story