Begin typing your search above and press return to search.

Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने सिकरेट्री नगरीय प्रशासन से पूछा- हाई कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद ही क्यों आती है कार्रवाई की याद.....

Bilaspur High Court: औद्योगिक कचरे के निपटान को लेकर बरती जा रही लापरवाही को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सिकरेट्री नगरीय प्रशासन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण बोर्ड व निगम आयुक्त से पूछा है कि किसी मामले को हाई कोर्ट द्वारा संज्ञान में लेने के बाद नोटिस और कार्रवाई की क्यों याद आती है। इसके पहले क्यों नहीं। आप लोगों की क्या ड्यूटी बनती है। नाराज हाई कोर्ट ने सिरकेट्री नगरीय प्रशासन व राज्य शासन को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने सिकरेट्री नगरीय प्रशासन से पूछा- हाई कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद ही क्यों आती है कार्रवाई की याद.....
X
By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। औद्योगिक कचरे के निपटान को लेकर बरती जा रही लापरवाही से हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सिकरेट्री नगरीय प्रशासन व राज्य शासन को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने आठ जनवरी की तिथि तय कर दी है।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने मीडिया में प्रकाशित खबर को संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रुप में सुनवाई प्रारंभ की है। कोर्ट ने कहा कि इसमें शामिल मुद्दा आम जनता के स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण से संबंधित है, इसलिए मामले की सुनवाई शीतकालीन अवकाश के दौरान की जा रही है।

प्रकाशित रिपोर्ट में बताया है कि बिलासपुर जिले के औद्योगिक क्षेत्र तिफरा और सिरगिट्टी में औद्योगिक अपशिष्ट/कूड़े के निपटान के लिए जिम्मेदार छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (CSIDC) और नगर निगम, बिलासपुर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे हैं और जो अपशिष्ट डंप किया जा रहा है वह अव्यवस्थित पड़ा है, जिससे गंभीर पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में डंप किए गए कचरे को मवेशी खा रहे हैं। यह कचरा तिफरा और सिरगिट्टी की 300 औद्योगिक इकाइयों से निकलता है।

एक साल पहले खत्म हुआ एग्रीमेंट

एक साल पहले नगर निगम और एक निजी ठेकेदार के बीच अनुबंध हुआ था, लेकिन उक्त ठेकेदार ने व्यक्तिगत कारणों से उस कचरे और कूड़े को उठाने से मना कर दिया है। बिलासपुर शहर को स्मार्ट सिटी घोषित किए जाने के बावजूद औद्योगिक कचरे के निपटान के लिए क्रशर मशीन की उपलब्धता नहीं है और न ही नगर निगम बिलासपुर या सीएसआईडीसी की ओर से कोई ठोस योजना है। निगम आयुक्त ने इस बात को स्वीकार किया है कि नगर निगम और निजी ठेकेदार के बीच अनुबंध की अवधि तीन महीने पहले समाप्त हो चुकी है और सीएसआईडीसी को नए सिरे से अनुबंध करना है।

राज्य शासन ने दिया कुछ इस तरह जवाब

यह मामला संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में आया, त्वरित कार्रवाई की गई और चूंकि अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र पहले ही स्थापित किया जा चुका है और अधिकारियों द्वारा छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के समक्ष 19.12.2024 को संयंत्र को चालू करने के लिए आवेदन दिया गया है और बहुत जल्द अनुमति मिलने की उम्मीद है। ला अफसर ने कोर्ट को बताया कि कूड़े और औद्योगिक अपशिष्टों के विशाल ढेर को हटा दिया गया है और फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।

डिवीजन बेंच ने पूछा, बोर्ड ने इसके पहले क्यों नहीं की कार्रवाई

इस प्रश्न पर कि पर्यावरण संरक्षण बोर्ड ने आज तक स्वयं कोई कार्रवाई क्यों नहीं की है तथा न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही बोर्ड द्वारा कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि बोर्ड द्वारा शीघ्र ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी ताकि औद्योगिक कचरे की डंपिंग तथा उसके निपटान की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।

कोर्ट ने जताई नाराजगी और ये कहा

यह बहुत खेदजनक स्थिति है कि राज्य और उसके सभी शक्तियां, संसाधन और क्षमताएं होने के बावजूद, केंद्रीय पर्यावरण संरक्षण एजेंसी और केंद्रीय पर्यावरण संरक्षण बोर्ड (सीईसीबी), जिसकी एकमात्र जिम्मेदारी पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण है, समय पर प्रभावी कदम नहीं उठा रहे हैं।

सचिव नगरीय प्रशासन व राज्य शासन से मांगा जवाब

मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, हम सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास, छत्तीसगढ़ सरकार को यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि वे अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि जनहित याचिका के पंजीकरण के बाद ही संबंधित अधिकारियों द्वारा कार्रवाई क्यों की गई। उन्हें यह भी बताना होगा कि अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र की स्थापना के बावजूद, इसे क्रियाशील बनाने के लिए सक्षम अधिकारियों से कोई सहमति क्यों नहीं ली गई और जब औद्योगिक कचरे के निपटान के लिए समझौता तीन महीने पहले समाप्त हो गया था, तो त्वरित कदम क्यों नहीं उठाए गए। उन्हें यह भी बताना होगा कि केसदा अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र के चालू होने तक औद्योगिक कचरे/कूड़े के निपटान के लिए क्या वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। पीआईएल की अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने आठ जनवरी की तिथि तय कर दी है।

हाई कोर्ट ने इन जिम्मेदारों को बनाया प्रमुख पक्षकार

चीफ सिकरेट्री,सिकरेट्री नगरीय प्रशासन विभाग, छत्तीसगढ़ राज्य सचिव, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग,,अध्यक्ष छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल, रायपुर, (छ.ग.), प्रबंध निदेशक सी.एस.आई.डी.सी., कलेक्टर बिलासपुर, जिला बिलासपुर, (छ.ग.),आयुक्त नगर पालिक निगम, बिलासपुर (छ.ग.), मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिक निगम, बिलासपुर (छ.ग.), महाप्रबंधक रामकी ग्रैंडियोस, रामकी टॉवर कॉम्प्लेक्स, गाचीबोवली, हैदराबाद।

Next Story