Bilaspur High Court: हाईकोर्ट के मीडिएशन सेंटर में एक हुआ बिखरा परिवार: सुप्रीम कोर्ट की पहल की गई है इस सेंटर की स्थापना
Bilaspur High Court: पति-पत्नी के बीच आपसी विवाद के बाद अक्सर घर टूटने और बच्चों की परवरिश को लेकर दिक्कतें आती है। सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सुलह से मामलों को सुलझाने के लिए देशभर के हाई कोर्ट व जिला न्यायालयों में मीडिएशन सेंटर की स्थापना का निर्देश दिया है। मध्यस्थता केंद्र के जरिए आपसी समझौते सुलझाए जा रहे हैं। इसी तरह का एक मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मीडिएशन सेंटर के विशेषज्ञ अधिवक्ताओं ने सुलझाया है। मासूम बच्चे को अब माता-पिता का प्यार मिलेगा। पति-पत्नी ने आपस में रहना स्वीकार कर लिया है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। डेढ़ साल के अपने जिगर के टुकड़ को पाने के लिए मां ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर गुहार लगाई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इसे गंभीरता से लेते हुए पति को बच्चे के साथ कोर्ट में उपस्थित करने आला अफसरों को नोटिस जारी किया था। चीफ जस्टिस ने पति-पत्नी को हाई कोर्ट मीडिएशन सेंटर में उपस्थित होने और सुलह करने का निर्देश दिया था। मीडिएशन सेंटर में बच्चे की भविष्य की खातिर साथ रहने आपस में समझौता कर लिया है।
याचिकाकर्ता महिला की वर्ष 2019 में जबलपुर निवासी युवक से शादी हुई। 2022 में बेटा हुआ। पुत्र के जन्म के बाद दोनों के बीच विवाद बढ़ा और याचिकाकर्ता महिला अपने मासूम बेटे को साथ लेकर मायके चली आई। दो साल बाद दोनों के बीच समझौता हुआ। पति ससुराल आया और पत्नी व बेटे को साथ ले जाने की अनुमति मांगी। पति का नियत खराब था। पत्नी व बेटे को कोलकाता घुमाने ले गया। कोलकाता में बेटे को लेकर गायब हो गया और पत्नी को अकेली छोड़ दी। कोलकाता से वापस लौटने के बाद परेशान महिला ने सिविल लाइन थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई। आला अफसरों से मिलकर बेटे को वापस लाने अनुरोध का कोई असर नहीं हुआ तब उन्होंने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर जिगर के टुकड़े को वापस लाने की गुहार लगाई। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। पति को तलब कर चीफ जस्टिस ने मासूम बच्चे के भविष्य को लेकर दोनों को समझाइश दी।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने पति को बच्चे के साथ हाई कोर्ट मध्यस्थता केन्द्र में उपस्थित होने का आदेश दिया। कोर्ट के निर्देश पर मध्यस्थता केन्द्र में पति-पत्नी के मध्य चल रहे विवाद को समाप्त करने की समझाइश दी गई। इसके बाद दोनों के बीच समझौता हुआ। मध्यस्थता केन्द्र की रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट में याचिका को निराकृत कर दिया है।
क्या है मीडिएशन
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाई कोर्ट से लेकर जिला न्यायालयों में मध्यस्थता केंद्र (मीडिएशन सेंटर) की स्थापना की गई है। मध्यस्थता केंद्र में काम करने वाले अधिवक्ताओं को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के बैनर तले तीन दिनों का आवासीय प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षित होने के बाद वे अपने कार्यक्षेत्र वाले जिला न्यायालयों में आपसी समझौते से हल होने वाले मामलों की फाइल लेकर आपस में समझौता कराने की कोशिश करते हैं। इसमें पति पत्नी के बीच विवाद के अलावा ऐसे मामले में जिसमें समझौते की गुंजाइश दिखती है कोर्ट द्वारा फाइल मीडिएशन सेंटर के हवाले कर दिया जाता है। मध्यस्थता केंद्र के जरिए आपसी समझौते के तहत प्रकरणों का निराकरण किया जा रहा है।