Begin typing your search above and press return to search.

Bilaspur High Court: हाई कोर्ट का यह फैसला-कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए राहत भरा

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बैंक अफसर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि रिटायरमेंट के बाद विभागीय जांच नहीं की जा सकती। कोर्ट ने इस फैसले के साथ ही बैंक अफसर के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश को रद कर दिया है। पढ़िए हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला जिसमें दी है महत्वपूर्ण व्यवस्था।

Bilaspur High Court: हाई कोर्ट का यह फैसला-कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए राहत भरा
X
By Sanjeet Kumar

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि यदि सेवानिवृत्ति के पहले विभागीय जांच प्रारंभ नहीं की गयी है तो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक विनियम 2010 के अनुसार सेवानिवृत्ति के बाद छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश जारी नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता रिटायर बैंक अफसर के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश को निरस्त कर दिया है।

इस फैसले के साथ ही हाई कोर्ट ने विभागीय अफसर को 45 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता बैंक अधिकारी के रिटारमेंट ड्यूज का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि विभागीय जांच आरोप पत्र देने की तिथि से ही संस्थित होता है, न कि विभागीय जांच प्रारंभ करने की सूचना से।

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के अंतर्गत स्केल तीन आफिसर के पद पर कार्यरत रविंद्र कुमार कुकरेजा 31.मई.2014 को सेवानिवृत्त हो गये। सेवानिवृत्ति के दो पूर्व 29.मई 2014 को उन्हें सूचित किया गया कि उनके खिलाफ विभागीय जांच संस्थित करने का निर्णय लिया गया है। सूचना के साथ ही सेवानिवृति लाभ को रोक दिया गया। इसके बाद 26.जुलाई .2014 को उन्हें आरोप पत्र दिया गया।

बैंक द्वारा जारी आरोप पत्र को दी चुनौती

याचिकाकर्ता रिटायर बैंक अफसर ने बैंक द्वारा जारी आरोप पत्र को चुनाैती देते हुए अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (अधिकारी तथा कमचारी) विनियम 2010 के तहत् यदि विभागीय जांच सेवानिवृत्ति के पहले आरंभ की गई है तो वह सेवानिवृत्ति के पश्चात् चालू रहेगी। नियमों के अनुसार विभागीय जांच सेवानिवृत्ति के बाद संस्थित नहीं की जा सकती। विभागीय जांच, आरोप पत्र देने की तिथि से संस्थित होती है।

रिटायरमेंट के दो दिन पहले दी सूचना,दो महीने बाद दिया आरोप पत्र

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्रीवास्तव ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि याचिकाकर्ता के मामले में रिटायरमेंट के दो दिन पहले विभागीय जांच की सूचना दी गई। विभागीय अफसरों ने दो महीने बाद आरोप पत्र जारी किया। जो कि रिटायरमेंट के बाद की अवधिक का है। लिहाजा विभागीय जांच नहीं की जा सकती।

बैंक ने इस तरह दिया जवाब

बैंक ने अपने अधिक्ता के माध्यम से कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता अधिकारी को सेवानिवृत्ति के पूर्व ही कारण बताओ नोटिस दिया गया था। जिसके जवाब के पश्चात् निर्णय लेकर 29.मई.2014 को सेवानिवृत्ति के पहले याचिकाकर्ता को सूचित कर दिया गया था कि विभागीय जांच संस्थित करने का निर्णय लिया गया। लिहाजा विभागीय जांच सेवानिवृत्ति के पूर्व संस्थित किया जाना माना जायेगा।

हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश

मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई। जस्टिस अग्रवाल ने अपने फैसले में लिखा है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (अधिकारी तथा कमचारी) विनियम 2010 के विनियम 45 के तहत् यदि सेवानिवृत्ति के बाद विभागीय जांच संस्थित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इस प्रकरण में मात्र विभागीय जांच संस्थित करने का निर्णय सेवानिवृत्ति के दो दिन पूर्व लिया गया थ। किंतु विभागीय जांच के लिए आरोप पत्र 26.जुलाई.2014 को दिया गया था जो कि सेवानिवृत्ति के दो माह बाद का है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि विभागीय जांच आरोप पत्र जारी करने की तिथि से ही संस्थित होता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी विभागीय जांच के आदेश को रद कर दिया है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

Read MoreRead Less

Next Story