Bilaspur High Court: एक वकालतनामे पर 5 वकीलों के हस्ताक्षर, पैरवी के लिए मांगी तारीख, हाई कोर्ट ने कहा ये तो सरासर.....
Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अदालत में अजीबो-गरीब मामला आया। एक मामले में पेश वकालतनामे में एक,दो नहीं पूरे पांच अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर देखकर चीफ जस्टिस उस वक्त चौंक गए जब एक अधिवक्ता ने पैरवी करने के लिए और समय की मांग कर दी। यह पहला मामला था जिसमें चीफ जस्टिस ने आधा दर्जन से एक कम अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर वाले वकालतनामे के बाद समय मांग को लेकर गंभीरता से लिया। मामला बार कौंसिल आफ इंडिया को रेफर करने का निर्देश रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय को देते हुए कहा कि इसमें सही तरीके से गाइड लाइन बनाई जाए। यह परंपरा विधि अनुरुप नहीं है। सरासर गलत है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में सुनवाई के लिए लगा हुआ था। जैसे ही फाइल सीजे ने पढ़ी और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को अपनी बात रखने कहा, कोर्ट में मौजूदा याचिकाकर्ता के पांच में से एक अधिवक्ता ने पैरवी के लिए समय की मांग कर दी। अधिवक्ता द्वारा समय की मांग किए जाने से नाराज चीफ जस्टिस ने बार कौंसिल आफ इंडिया से कोर्ट में पैरवी के संंबंध में मापदंड करने और नियम बनाने कहा है। डिवीजन बेंच ने बीसीआई को मामला रेफर करने और इस पर गाइड लाइन जारी करने की बात कही है। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हलफनामे में पांच अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर होने के बाद पैरवी के लिए मांगी जा रही अगली तारीख को लेकर कोर्ट की नाराजगी सामने आई है।
सूरजपुर जिले के निवासी अंर्तध्यानी यादव व अन्य ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच में याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के एक अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच ने पैरवी के लिए समय की मांग कर दी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि डिवीजन बेंच ने केस के संबंध में अपनी तैयारी पूरी कर ली है। पैरवी करने के बजाय एनवक्त पर अगली तारीख की मांग करना उचित नहीं है। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि जिसे पैरवी करना है वह आज उपस्थित नहीं हो पाए हैं। अधिवक्ता के इस तरह के जवाब के बाद जब चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता द्वारा पेश फाइल की पड़ताल की तब यह देखकर हैरान रह गए कि वकालतनो में एक,दो नहीं पांच अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर हैं। चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित अधिवक्ता से पूछा कि जब हलफनामे में पांच अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर हैं तो फिर सिर्फ एक अधिवक्ता की अनुपस्थिति के कारण क्यों अगली तारीख मांगी जा रही है।
देशभर में 66.41 लाख मामले पेंडिंग
कोर्ट में अधिवक्ताओं की अनुपस्थिति और उपस्थित होने के दौरान पैरवी के लिए मांगे जाने वाले समय के चलते देशभर की जिला अदालतों में 66 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। छत्तीसगढ़ के जिला अदालतों की बात करें तो तकरीबन 17 हजार मामले पेंडिंग है। छत्तीसगढ़ की जिला अदालतों के आंकड़ों पर गौर करें तो सवा चार लाख मामले लंबित है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में लंबित मामलो की संख्या भी कम नहीं है। 85 हजार रके करीब प्रकरण लंबित है।
पेंडेंसी में गवाहों की अनुपस्थिति भी बड़ा कारण
छत्तीसगढ़ में पेंडेंसी की मुख्य वजह सुनवाई के दिन कोर्ट में अधिवक्ताओं की गैर मौजूदगी के चलते मामलों की सुनवाई में लगातार विलंब हो रहा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो वकीलों की अनुपस्थिति के कारण प्रदेश में 46 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग है।