Bilaspur High Court: दिव्यांगजनों के लिए बनेगी अलग ट्रांसफर पोस्टिंग नीति: हाईकोर्ट का निर्देश, कहा- राज्य आयुक्त की करें नियुक्ति
Bilaspur High Court: नगर पालिका परिषद बेमेतरा में सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर पदस्थ हरमन सिंह वर्मा ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका में याचिका दायर शासन के तबादला को चुनौती दी थी। दरअसल याचिकाकर्ता का एक हाथ नहीं है और वह 70 फीसदी दिव्यांग की श्रेणी में है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन द्वारा किए गए तबादला आदेश पर रोक लगा दिया है। पढ़िए जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच ने राज्य शासन को क्या निर्देश दिया है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के विभिन्न सरकारी कार्यालयों कें पदस्थ दिव्यांग अधिकारी व कर्मचारियों के लिए यह राहत वाली खबर हो सकती है। एक मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए राज्य शासन को दिव्यांग अधिकारियों व कर्मचारियों के ट्रांसफर व पोस्टिंग के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य शासन को विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत राज्य आयुक्त की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है। धारा 80 के तहत आयुक्त को अलग-अलग सक्षम व्यक्तियों के अधिकारों के हनन के संबंध में स्वप्रेरणा से विचार करना होगा।
जस्टिस पीपी साहू ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख किया है। कोर्ट ने लिखा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने दिव्यांग कर्मचारी व अधिकारियों के स्थानांतरण के मुद्दे पर कहा है कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों द्वारा सामना की जाने वाली बाधाओं में से एक है स्वतंत्र रूप से और आसानी से घूमने में असमर्थता। दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा सामना की जाने वाली बाधाओं पर विचार करते हुए, देशभर के राज्य सरकार को दिव्यांग व्यक्तियों को उनकी पसंद के स्थानों पर यथासंभव तैनात करने के लिए 20 जुलाई 2000 को अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को दिए जाने वाले इस लाभ का उद्देश्य, अन्य बातों के साथ-साथ, शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को ऐसे स्थान पर तैनात करने में सक्षम बनाना है, जहां उनको आसानी से मदद मिल सके और शासकीय कामकाज के संचालन में दिक्कतें ना आए।
निवास के करीब हो पदस्थापना
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि लंबी दूरी की यात्रा से बचने के लिए निवास से दूरी एक प्रासंगिक विचार हो सकता है। सरकारी आदेश के माध्यम से विकलांगों को जो लाभ दिया गया है, उसे ऐसे नियमों और शर्तों पर लाभ प्राप्त करने के अधिकार के प्रयोग के अधीन करके नहीं छीना जा सकता है, जिससे लाभ निरर्थक हो जाएगा।
क्या है मामला
सचिव नगरीय प्रशासन ने 12.9.2023 काे आदेश को एक आदेश जारी कर नगर पालिका परिषद बेमेतरा में सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर याचिकाकर्ता का तबादला नगर पालिका परिषद कुम्हारी, जिला दुर्ग कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने 21.8.2024 के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसके तहत उसे वर्तमान पदस्थापना स्थान से हटाकर स्थानांतरित स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने के लिए कहा गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में पैरवी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को प्रारंभ में शारीरिक रूप से विकलांग श्रेणी के तहत नगर पालिका परिषद बेमेतरा में भृत्य के पद पर नियुक्त किया गया था।
याचिकाकर्ता 70 प्रतिशत चलने-फिरने में अक्षम है (एक हाथ पूरी तरह से कटा हुआ है)। 13.9.2000 को याचिकाकर्ता को सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर पदोन्नत किया गया। नियुक्ति की तिथि से याचिकाकर्ता लगातार नगर पालिका परिषद बेमेतरा में काम कर रहा है। सचिव नगरीय प्रशासन ने याचिकाकर्ता सहित विभिन्न नगर पालिका परिषदों के विभिन्न कर्मचारियों को स्थानांतरित करते हुए 12.9.2023 को स्थानांतरण आदेश जारी किया। याचिकाकर्ता ने कहा है कि हालांकि स्थानांतरण आदेश 12.9.2023 है, लेकिन उसे अभी तक तामील नहीं किया गया है और पिछले एक साल से याचिकाकर्ता को उसकी नियुक्ति के स्थान यानी नगर परिषद बेमेतरा में लगातार काम करने की अनुमति दी गई है। हालांकि, रिलीविंग ऑर्डर जारी होने पर याचिकाकर्ता ने पता किया तब उसे 12.9.2023 के आदेश के तहत उसके स्थानांतरण के बारे में पता चला।
संवैधानिक पहलुओं का दिया हवाला
कोर्ट ने कहा है कि इस न्यायालय की समन्वय पीठ ने एक दिव्यांग की याचिका पर विचार करते हुए, जिसमें उसकी विकलांगता के आधार पर उपयुक्त स्थान पर उसके स्थानांतरण की मांग की गई थी, यह देखा है कि विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत राज्य में एक राज्य आयुक्त की नियुक्ति की जानी है और धारा 80 के तहत आयुक्त को अलग-अलग सक्षम व्यक्तियों के अधिकारों के हनन के संबंध में स्वप्रेरणा से विचार करना होगा।
शासन ने किया विरोध
याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों का विरोध करते हुए राज्य शासन के अधिवक्ता ने कहा कि विवादित स्थानांतरण आदेश एक वर्ष पहले पारित किया गया था। रिलीविंग आदेश जारी होने के बाद ही याचिकाकर्ता ने स्थानांतरण आदेश और रिलीविंग आदेश दोनों को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट से मिली राहत
मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस पीपी साहू ने अपने फैसले में लिखा है कि सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय को ध्यान में रखते हुए और इस रिट याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, विशेष रूप से याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे की दलील कि याचिकाकर्ता 70 प्रतिशत लोकोमोटर विकलांगता (ओएच) से पीड़ित है, जो कि 29.8.2023 के प्रमाण पत्र से स्पष्ट है। कोर्ट ने राज्य शासन द्वारा जारी स्थानांतरण आदेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को नगर पालिका परिषद बेमेतरा में काम करने की अनुमति दी है।
सचिव नगरीय प्रशासन के समक्ष पेश करना होगा अभ्यावेदप
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सचिव नगरीय प्रशासन विभाग के समक्ष 10 दिनों के भीतर संपूर्ण दस्तोवजों के साथ विस्तृत अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि याचिकाकर्ता ऐसा अभ्यावेदन प्रस्तुत करता है, तो सचिव नगरीय प्रशासन उस पर कानून के अनुसार शीघ्रता से विचार कर निर्णय लेंगे। अभ्यावेदन प्राप्त होने की तिथि से चार सप्ताह की अवधि के भीतर सचिव नगरीय प्रशासन विभाग को निराकरण करना होगा।