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Bilaspur High Court: डीजी जेल के शपथ पत्र को देखते ही चीफ जस्टिस हुए नाराज, बोलें...

Bilaspur High Court: प्रदेश के जेलों में ओवर क्राउड के अलावा अन्य सुविधाओं को लेकर डीजी जेल ने महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों के माध्यम से शपथ पत्र के साथ जानकारियों को लेकर भारी भरकम दस्तोवज पेश किया था। दस्तावेजों की फाइल देखते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा नाराज हो गए। नाराज सीजे ने कहा कि ऐसा लगता है कि डीजी जेल भी इन दस्तावेजों को देखे होंगे और ना ही पढ़े होंगे। पढ़िए चीफ जस्टिस ने डीजी जेल को क्या आदेश जारी किया है।

Bilaspur High Court: डीजी जेल के शपथ पत्र को देखते ही चीफ जस्टिस हुए नाराज, बोलें...
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखे जाने के अलावा, बन रही विवाद और गैंगवार की स्थिति,स्वास्थ्य सुविधाओं सहित अन्य मुद्दों को लेकर बीते 11 साल पहले एक जनहित याचिका दायर की गई थी। पीआईएल की सुनवाई के दौरान वर्ष 2017 में जेल की अव्यवस्थाओं को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लेते हुए एक और पीआईएल पर सुनवाई प्रारंभ की है। दोनों पीआईएल की एकसाथ सुनवाई हो रही है।

दोनों पीआईएल की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने डीजी जेल को नोटिस जारी कर प्रदेश में संचालित हो रहे जेलों की स्थिति को लेकर शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करने का निर्देश दिया था। मंगलवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसरों के माध्यम से डीजी की ओर से शपथ पत्र के साथ जानकारियों का पुलिंदा पेश किया गया। फाइल को देखते हुए चीफ जस्टिस भड़क गए। नाराजगी जताते हुए कहा कि हमने कांक्रीट रिपोर्ट मांगी है। एक ऐसा तुलनात्मक अध्ययन जिसमें बीते वर्षों की तुलना में जेलों की स्थितियों में क्या बदलाव आया है और क्या सुधार के काम किए गए हैं। नाराज चीफ जस्टिस ने कहा कि जानकारी के संबंध में जिस तरह फाइल पेश की गई है इससे तो यही लगता है कि गृह विभाग ने औपचारिकताा पूरी कर दी है। हमें नहीं लगता कि जो जानकारी हाई कोर्ट के समक्ष उपलब्ध कराई गई है डीजी जेल ने शपथ पत्र के साथ पेश करने से पहले इसका अध्ययन किया होगा। सीजे ने कहा कि हमने डीजी जेल से तुलनात्मक जानकारी मांगी थी,पहले की तुलना में कितना काम हुआ,सुधार हुआ है या नहीं। नाराज डिवीजन बेंच ने डीजी जेल को दोबारा शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है। इसके लिए 26 नवंबर की तिथि तय कर दी है।

पेश जनहित याचिका,जिसमें इन बातों का है उल्लेख

प्रदेश के जेलों में ओवर क्राउड,इसके चलते बन रही विवाद और गैंगवार की स्थिति के अलावा सुविधाओं में कमी को लेकर शिवराज सिंह ने अधिवक्ता सुनील पिल्लई के जरिए वर्ष 2013 में जनहित याचिका दायर की थी। पीआईएल में सुनवाई चल रही थी। इसी बीच वर्ष 2017 में कैदियों के स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पीआईएल के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। दोनों जनहित याचिका पर एकसाथ सुनवाई चल रही है।

डिवीजन बेंच की तल्ख टिप्पणी

जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने डीजी जेल द्वारा पेश दस्तावेजों को लेकर तल्ख टिप्पणी की, कोर्ट ने कहा कि इस तरह पेश दस्तावेज सिर्फ औपचारिकता मात्र है। डीजी जेल को पेश इन दस्तावेजों और शपथ पत्र का अवलोकन करना चाहिए। इन सब चीजों का अध्ययन करने के बाद नए सिरे से शपथ पत्र के साथ कांक्रीट रिपोर्ट पेश करने का निर्देश डिवीजन बेंच ने दिया है।

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