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Bilaspur High Court: डीएड-बीएड विवाद, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार लगाएगी रिव्यू पिटिशन

Bilaspur High Court: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार असमंजस की स्थिति में है। सामने नगरीय निकाय चुनाव है और बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को नौकरी से निकालकर नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती। सरकार इसे विवाद को आगे टलाने की कोशिश करते दिखाई दे रही है। सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका को इसी नजरिए से देखा जा रहा है।

Bilaspur High Court: डीएड-बीएड विवाद, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार लगाएगी रिव्यू पिटिशन
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने राज्य सरकार की परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ा दी है। डीएलएड डिप्लोमाधारी उम्मीदवारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्राइमरी स्कूल में बीएड के बजाय डीएलएड डिप्लोमाधारकों को शिक्षक के पद पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से छत्तीसगढ़ के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कार्यरत 2800 बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को नौकरी चली जाएगी। सरकार दुविधा की स्थिति में है।

सुप्रीम कोर्ट ने डीएलएड डिप्लोमाधारकों की याचिका को स्वीकार करते हुए प्राइमरी स्कूलों में डीएलएड डिप्लोमाधारकों को शिक्षक के पद पर नियुक्ति देने और ऐसे शिक्षक जो बीएड डिग्रीधारी हैं उनकी नियुक्ति निरस्त करने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दिया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी करते हुए बीएड डिग्रीधारी उम्मीदवारों को प्राइमरी स्कूल में शिक्षक के पद पर नियुक्ति दे दी थी। ऐसे शिक्षकों की संख्या 2800 के करीब है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ना मानना पूर्ववर्ती सरकार की चूक थी तो यह चूक वर्तमान में भाजपा सरकार के लिए असमंजस वाली साबित हो रही है। 2800 शिक्षकों को बेराेजगार करना सरकार के लिए बेहद कठिन हो गया है। इतने शिक्षकों की नौकरी एक झटके में लेने का सीधा अर्थ है प्रदेश के 2800 परिवार के सामने बेरोजगारी का संकट खड़ा होना है।

डीएलएड उम्मीदवारों का बढ़ता दबाव

उधर डीएलएड डिप्लोमाधारकों का दबाव भी उसी अंदाज में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। डिप्लोमाधारी उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का परिपालन करने राज्य सरकार से लगातार मांग कर रहे हैं। हजारों की संख्या में डिप्लोमाधारी युवाओं की नाराजगी भी राज्य सरकार सीधेतौर पर मोल ले रही है।

अवमानना याचिका दायर करने तलाश रहे विकल्प

राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे लेटलतीफी के चलते डिप्लोमाधारक युवाओं की नाराजगी के साथ ही गुस्सा अब फूटने लगा है। चर्चा तो इस बात की भी हो रही है कि ये युवा अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से कानूनी सलाह ले रहे हैं। तय समय सीमा के बाद राज्य सरकार के खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने की तैयारी भी कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में सरकार के सामने और बड़ा विधिक संकट खड़ा हो जाएगा। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने रिव्यू पिटिशन लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। रिव्यू पिटिशन लगाकर मामले को लंबा खींचने की योजना भी है। इस बीच निकाय और त्रि स्तरीय पंचायत के चुनाव भी पूरे हो जाएंगे। महत्वपूर्ण बात ये कि अवमानना याचिका के दायरे से सरकार बाहर हो जाएगी।

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