Bilaspur High Court: सायबर फ्राड के बाद अब इस तरह के भी हो रहे फ्राड, हाई कोर्ट ने किया सावधान और दी चेतावनी
Bilaspur High Court: सायबर फ्राड से दुनिया परेशान है। फ्राड के नए वर्जन डिजिटल अरेस्ट ने तो और भी परेशान कर रखा है। इस बीच अब मामले मुकदमे को लेकर भी ठग सक्रिय हो गए हैं। तभी तो छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को आम सूचना निकालनी पड़ गई है। पढ़िए रजिस्ट्रार जनरल के. विनोद कुजूर ने मामले मुकदमे के संबंध में सचेत करते हुए किस तरह की चेतावनी दी है।

Bilaspur High Court
Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के विनोद कुजूर ने आम सूचना जारी की है। जारी सूचना में उन्होंने ऐसे लोगों को जिनका मामला मुकदमा छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के अलावा प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में चल रहा है,उनको सावधान किया है। रजिस्ट्रार जनरल ने जारी पब्लिक नोटिस में कहा है कि मामले मुकदमे में जीत दिलाने को लेकर ठग सक्रिय हैं। ऐसे किसी भी ठग के झांसे में ना आए। मामले मुकदमे में न्यायालयीन प्रक्रिया के तहत सुनवाई होती है। जीत हार का फैसला भी न्यायालय से होता है। फ्राड की इसमें कोई भूमिका नहीं होती। ठगी का शिकार ना होने व अपने विवेक का उपयोग करने की सलाह दी है।
रजिस्ट्रार जनरल कुजुर ने आम सूचना में लिखा है कि अदालतों में प्रकरण जीताने या पक्ष में आदेश दिलाने का प्रलोभन देने वाले व्यक्तियों से सतर्क रहें। अगर इस तरह का कोई झांसा देता है तो उसके झांसे में आने के बजाय सूचना देने कहा गया है। ताकि फ्राड करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।
इनके खिलाफ भी होगी कार्रवाई
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने फ्राड का शिकार होने वाले व्यक्तियों को सावधान करने के साथ ही हिदायत दी है कि हर हाल में ऐसे लोगों से दूर रहें। ऐसे लोग कोर्ट की निष्पक्षता पर अकारण सवाल उठाते हैं। आरजी ने यह भी चेतावनी दी है कि लगातार समझाइश के बाद भी अगर पक्षकार या फिर याचिकाकर्ता इस तरह के ठगी के शिकार होते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
ये है आरजी का पब्लिक नोटिस
आमजन को यह सूचित किया जाता है कि छत्तीसगढ उच्च न्यायालय या छत्तीसगढ़ राज्य के किन्ही भी जिला न्यायालयो में यदि कोई प्रकरण/याचिका/आवेदन या अन्य कोई कार्यवाहियाँ संस्थित की जाती है अथवा संस्थित है, ऐसे किन्ही भी स्थितियों में कोई भी व्यक्ति जो असंगत प्रतिफल प्राप्ति या उपलब्ध कराने के प्रयोजनार्थ प्रकरण / याचिका /आवेदन अथवा अन्य कार्यवाहियों को उनके पक्ष में निराकृत/जीत / खारिज कराने के द्वारा निराकृत / सफलता प्राप्त कराने का मिथ्या आश्वासन या प्रलोभन देता है, तो वह आपराधिक अभियोजन की कार्यवाहियों के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकेगा तथा इसी प्रकार जो व्यक्ति ऐसे प्रलोभन / आश्वासन को स्वीकार करता है, तो उसे भी आपराधिक अभियोजन के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकेगा।