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Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ के 68 पावर प्लांट मजदूरों की जिंदगी के साथ कर रहे खिलवाड़, फैक्ट्री एक्ट का हो रहा उल्लंघन

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ में 68 ऐसे पावर प्लांट संचालित किए जा रहे हैं जहां काम करने वाले श्रमिकों के जानमाल के साथ खिलवाड़ हो रहा है। ये ऐसे प्लांट हैं जहां फैक्ट्री एक्ट का सीधा-सीधा उल्लंघन किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों भी खुलकर अवहेलना की जा रही है। नाराज हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिपालन में लापरवाही क्यों बरती जा रही है। नियमों का कड़ाई से पालन कराने के बजाय नोटिस-नोटिस क्यों खेला जा रहा है।

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ के 68 पावर प्लांट मजदूरों की जिंदगी के साथ कर रहे खिलवाड़, फैक्ट्री एक्ट का हो रहा उल्लंघन
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के रामबोड़ कुसुम पावर प्लांट की राख अब तक ठंडी नहीं हो पाई है। राख के नीचे अब भी तीन से चार मजदूर दबे हुए हैं। हादसे को लेकर पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। इस बीच शुक्रवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका की सुनवाई हुई। प्रदेश में 68 ऐसे पावर प्लांट हैं जहां इस तरह का हादसा कभी भी घट सकता है। यहां फैक्ट्री नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। बेपरवाही का आलम ये कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी परिपालन नहीं हो रहा है। इसे लेकर डिवीजन बेंच ने नाराजगी जताई और राज्य शासन से जवाब-तलब किया है।

जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने पावर प्लांट्स में नियमों का सीधेतौर पर किए जा रहे उल्लंघन और मजदूरों की जिंदगी के साथ किए जा रहे खिलवाड़ को लेकर नाराजगी जताई। हाई कोर्ट ने राज्य शासन से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का परिपालन क्यों नहीं हो रहा है। आदेश के परिपालन में कहां दिक्कतें आ रही है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। बीते सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच द्वारा दिये गए आदेश के परिपालन में प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट पेश की। राज्य शासन द्वारा पेश रिपोर्ट में फैक्ट्री एक्ट के उल्लंघन करने वाले पावर प्लांटों की सूची पेश की गई है। इसमें 68 पावर प्लांट गिनाए हैं। राज्य शासन ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि वर्ष 2024 में इन सभी पावर प्लांटों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

कोर्ट ने इस पर भी नाराजगी जताई कि, सुप्रीम कोर्ट के 31 जनवरी 2014 के आदेश के बावजूद 11 साल में कोई सुधार नहीं किया गया और अब केस दर्ज किया गया है।

कोर्ट कमिश्नरों ने पेश की रिपोर्ट

पावर प्लांटों में कार्यरत मजदूरों की स्थिति को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की है। अधिवक्ता प्रतीक शर्मा, अदिति सिंघवी और अन्य ने अपनी रिपोर्ट पेश की। जिसमें कुछ पावर प्लांट में काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच प्राइवेट डायग्नोसिस सेंटर में कराई गई, जिनकी रिपोर्ट पर कोर्ट कमिश्नरों ने सवाल खड़े किए गए थे। कोर्ट ने इस पर भी नाराजगी जताई और कहा कि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है।

13 जनवरी को होगी सुनवाई,इस दिन शासन को पेश करना होगा जवाब

प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने बताया कि इस पूरे मामले में विस्तृत रिपोर्ट पेश की गई है और फैक्ट्री एक्ट का उल्लंघन करने वालों पर केस दर्ज करने की कार्रवाई की है। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत की मौजूदगी नहीं होने पर शासन का पक्ष रखने कोर्ट ने सोमवार का समय देकर अगली सुनवाई भी इसी दिन 13 जनवरी को निर्धारित की है।

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