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Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पूछा- भाटिया शराब फैक्ट्री का प्रदूषित पानी शिवनाथ में क्यों छोड़ा जा रहा

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने पर्यावरण संरक्षण मंडल के अफसरों से पूछा है कि भाटिया शराब फैक्ट्री का प्रदूषित पानी बिना शोधित किए सीधे शिवनाथ नदी में क्यों छोड़ा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के बाद ही अफसर क्यों जागते हैं। यह कब से चल रहा है और इस पर प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। जानमाल की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है। इस तरह की लापरवाही क्यों की जा रही है।

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पूछा- भाटिया शराब फैक्ट्री का प्रदूषित पानी शिवनाथ में क्यों छोड़ा जा रहा
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के मोहभट्टा-धूमा में शराब कारखाना का संचालन मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। शराब कारखाना से निकलने वाले प्रदूषित व जहरीला पानी को बिना शोधन किए सीधे शिवनाथ नदी में डाला जा रहा है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने पर्यावरण संरक्षण मंडल के अफसरों से पूछा कि बिना शोधन किए पानी को किसकी अनुमति से शराब कारखाना संचालक द्वारा सीधे नदी में छोड़ा जा रहा है। नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार को लेकर निगरानी करने का निर्देश हाई कोर्ट ने दिया है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 2 अप्रैल की तिथि तय कर दी है।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में शिवनाथ नदी में शराब फैक्ट्री के वेस्ट से प्रदूषण को लेकर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई डिवीजन बेंच में चल रही है। सोमवार को इस पूरे मामले में एक बार फिर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान शिवनाथ नदी के संबंध में पानी की रिपोर्ट के साथ ही छत्तीसगढ़, पर्यावरण संरक्षण मंडल से एक नया हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने क्षेत्रीय कार्यालय छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने इसके साथ-साथ अन्य उद्योगों पर कड़ी और नियमित निगरानी रखने का निर्देश दिया था। जिसका जवाब पेश किया गया है। वहीं कोर्ट में रिपोर्ट के माध्यम से जानकारी दी गई कि शिवनाथ नदी का पानी साफ है और प्रदूषित नहीं है। इस मामले में शासन का पक्ष उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने रखा है।

क्या है मामला

20 जुलाई 2024 को मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। मीडिया रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस ने जनहित याचिका के रूप में पंजीकृत करने का निर्देश दिया था। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्राम मोहभट्टा-धूमा, जिला मुंगेली में स्थित मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड से उत्सर्जित/निस्तारित होने वाले प्रदूषक पर्यावरण एवं आस-पास के क्षेत्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। मेसर्स भाटिया वाइन की औद्योगिक गतिविधियों से तकरीबन 20 हजार लोगों की पूरी आबादी प्रभावित हो रही है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यद्यपि विभिन्न पर्यावरण अधिनियमों के तहत घटिया गुणवत्ता वाले उत्पादों को निस्तारित करने का प्रावधान है। लेकिन उसके उपचार के बाद ही, जिसका उल्लंघन उक्त उद्योग द्वारा किया जा रहा है। जहरीले अपशिष्टों के कारण 350 एकड़ से अधिक धान की फसल प्रभावित हुई है। इन अपशिष्टों की दुर्गंध ने आसपास के लोगों का जीवन दूभर कर दिया है, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो रही है। खुजली, आंखों में जलन, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी हो रही है। पुलिस ने मौके से पानी का नमूना भी लिया था।

इस तरह की गई जांच पड़ताल

क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर के अधिकारियों ने खजरी नाला, शिवनाथ नदी में नाला संगम बिंदु, शिवनाथ नदी और आरओ. 21/11/2024 और 04/12/2024 को मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट के आउटलेट पानी में क्रमशः 1.5 मिलीग्राम/लीटर पानी पाया गया। दोनों ही सैंपलिंग तिथियों के दौरान, खजरी नाले में पानी बह नहीं रहा था, बल्कि स्थिर था। हाई कोर्ट ने क्षेत्रीय कार्यालय, छत्तीसगढ़, पर्यावरण संरक्षण मंडल ने इसके साथ-साथ अन्य उद्योगों पर कड़ी और नियमित निगरानी रखने का निर्देश दिया है, ताकि इस तरह की घटना दोबारा ना हो।

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