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Bilaspur High Court: भाजपा पार्षद पर जमीन हड़पने का आरोप: हाईकोर्ट ने निगम आयुक्‍त की नोटिस पर लगाई रोक...

Bilaspur High Court: रिसाली नगर निगम के आयुक्त ने जिस जमीन को पहले निजी बताते हुए भूमि स्वामी महिला को क्लीन चिट दी थी,भाजपा पार्षद के इशारे पर उसी जमीन काे विवादित बताते हुए बेदखली का नोटिस जारी कर दिया है। रिसाली निगम आयुक्त ने जिस जमीन को बताया था निजी, उसे विवादित बताते हुए नोटिस जारी कर दिया है। याचिकाकर्ता नीलिमा नैयर ने अधिवक्ता संदीप दुबे के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर भाजपा पार्षद पर सत्ता का दुरुपयोग करते हुए उसकी जमीन को विवादित बातकर हड़पना चाहता है। इसके लिए निगम आयुक्त पर दबाव बनाकर नोटिस जारी करा दिया है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई तक नोटिस की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। रिसाली निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। रिसाली नगर निगम के आयुक्त ने जिस जमीन को पहले निजी बताते हुए भूमि स्वामी महिला को क्लीन चिट दी थी,भाजपा पार्षद के इशारे पर उसी जमीन काे विवादित बताते हुए बेदखली का नोटिस जारी कर दिया है।

रिसाली निगम आयुक्त ने जिस जमीन को बताया था निजी, उसे विवादित बताते हुए नोटिस जारी कर दिया है। याचिकाकर्ता नीलिमा नैयर ने अधिवक्ता संदीप दुबे के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर भाजपा पार्षद पर सत्ता का दुरुपयोग करते हुए उसकी जमीन को विवादित बातकर हड़पना चाहता है। इसके लिए निगम आयुक्त पर दबाव बनाकर नोटिस जारी करा दिया है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई तक नोटिस की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। रिसाली निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता नीलिमा नैयर ने अपनी याचिका में कहा कि जिस जमीन को पूर्व में जांच के बाद रिसाली नगर निगम आयुक्त ने जांच रिपोर्ट के आधार पर क्लीन चिट देते हुए निजी जमीन बताया था। उसी जमीन को कमिश्ननर ने विवादित और अवैध निर्माण होना बताते हुए बेदखली के लिए नोटिस जारी कर दिया है। याचिकाकर्ता ने भाजपा पार्षद पर आरोप लगाते हुए कहा कि दरअसल भाजपा पार्षद की नजर उसकी जमीन पर है। जमीन को विवादित और अवैध निर्माण घोषित कराने के बाद उसे हड़पना चाहता है। सत्ताधारी दल का पार्षद होने के कारण आयुक्त से लेकर निगम का अमला भी उसके दबाव व प्रभाव में है। याचिकाकर्ता ने अपनी निजी जमीन को सुरक्षित रखने व निगम आयुक्त जारी नोटिस को रद्द करने की गुहार हाई कोर्ट से लगाई है।

क्या है मामला

नीलिमा नैयर ने खसरा नंबर 398/2 क्षेत्रफल 4600 वर्ग फीट भूमि खरीदी है। यह जमीन वार्ड क्रमांक 61 प्रगति नगर, रिसाली, भिलाई में पंजीकृत विक्रय विलेख 5-9-2019 के तहत स्थित है। जमीन की खरीदी के बाद याचिकाकर्ता ने उस भूमि को सुरक्षित रखने के लिए तार और लोहे की छड़ से घेर दिया। इससे पहले संजय कुमार वर्मा और अन्य द्वारा शिकायत किए जाने पर जांच की गई और आयुक्त, नगर निगम, रिसाली द्वारा 6-3-2023 को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। रिपाेर्ट में शिकायत को झूठा बताते हुए उक्त जमीन को उसका होना बताया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि याचिकाकर्ता ने अपनी जमीन पर एंगल लगाया है और उसने कोई अवैध कब्जा नहीं किया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि भाजपा का एक वार्ड पार्षद उक्त जमीन को उसे बेचने के लिए दबाव बना रहा है। इसलिए उसके प्रभाव में आकर रिसाली नगर निगम के आयुक्त ने 4-12-2024 को नोटिस जारी कर अवैध निर्माण होना बताया है।

जमीन तार घेरे में है सुरक्षित

मामले की सुनवाई जस्टिस एनके चंद्रवंशी के सिंगल बेंच में हुई। याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा विवादित जमीन पर कोई निर्माण नहीं कराया जा रहा है। उसकी जमीन को हड़पने की कोशिश की जा रही है। अधिवक्ता दुबे ने कोर्ट को पूर्व में निगम आयुक्त द्वारा उक्त जमीन पर अवैध निर्माण ना होने संबंधी क्लीन चिट याचिकाकर्ता को दिया था। इसके पहले शिकायत पर जांच दल ने जांच किया था,उसके बाद कमिश्ननर को रिपोर्ट सौंप दिया था। अवैध निर्माण संबंधी नोटिस अपने आप में विवादित है। अधिवक्ता दुबे ने निगम कमिश्ननर द्वारा जारी नोटिस और उसके क्रियान्वयन पर कोर्ट से रोक लगाने की मांग की। िअधिवक्ता ने याचिकाकर्ता को अंतरिम संरक्षण देने की मांग की।

कोर्ट ने निगम कमिश्ननर द्वारा जारी नोटिस पर लगाई रोक

मामले की सुनवाई जस्टिस एनके चंद्रवंशी के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि आयुक्त नगर पालिक निगम रिसाली द्वारा प्रस्तुत विरोधाभासी दस्तावेजों अर्थात 6-3-2023 और 4-12-2024 को जारी नोटिस पर विचार करने के पश्चात, यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता को 4-12-2024 को निगम कमिश्नर द्वारा जारी किए गए विवादित नोटिस के प्रभाव और संचालन पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई जाती है।

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