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Bilaspur High Court: अवमानना के घेरे में फंसे डीपीआई, अब शपथ पत्र के साथ देनी होगी जानकारी

Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने डीपीआई से मांगा हलफनामा और पूछा- नियम नहीं फिर भी कितने लेक्चरर्स को बना दिया BEO

Bilaspur High Court: अवमानना के घेरे में फंसे डीपीआई, अब शपथ पत्र के साथ देनी होगी जानकारी
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए डीपीआई से पूछा है कि नियम के खिलाफ कितने लेक्चरर्स को बीईओ के पद पर पदस्थापना दे दी है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि राज्य में ऐसे कितने प्राचार्य और एबीईओ हैं, जिन्हें बीईओ के रूप में पदस्थना दी जा सकती है। यह पूरी जानकारी डीपीआई को शपथ पत्र जे साथ कोर्ट के समक्ष पेश करनी होगी।

कबीरधाम जिले के निवासी दयाल सिंह ने वर्ष 2022 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें बताया था कि वे व्याख्याता हैं। उनसे जूनियर संजय कुमार जायसवाल को प्रभारी विकासखंड शिक्षाधिकारी नियुक्त किया गया है। इस संबंध में उन्होंने शिक्षा विभाग में आवेदन दिया था। लेकिन उसके आवेदन पर विभागीय अधिकारियों ने विचार नहीं किया है।

सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने दिसंबर 2022 में शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता के आवेदन पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के निर्देश जारी किया था। कोर्ट ने इस आडेज़ह के साथ याचिका को निराकृत कर दिया था।

अवमानना के घेरे में फंसे डीपीआई

हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी जब अभ्यावेदन का निराकरण नहीं हुआ तब याचिकाकर्ता ने न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई जस्टिस

जस्टिस एनके व्यास की बेंच में सुनवाई हुई।

हाई कोर्ट ने व्याख्याता ई संवर्ग याचिकाकर्ता से जूनियर एलबी संवर्ग के व्याख्याता को विकास खंड शिक्षा अधिकारी नियुक्त करने के सम्बंध पूछा कि आखिर जूनियर को किस नियम के तहत पदस्थापना दी गई है। संचालक लोक शिक्षण संचालनालय को शपथ पत्र के साथ जानकारी देने को कहा है कि कितने व्याख्याताओं को बीईओ का काम सौंपा गया है, जबकि भर्ती नियमों के अनुसार उन्हें बीईओ नियुक्त नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट ने पूछा कितने प्राचार्य - व्याख्याता को बनाया है बीईओ

हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने पूछा है कि राज्य में कुल कितने प्राचार्य और सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी हैं।जिन्हें विकास खंड शिक्षाधिकारी बनाया जा सकता है।

कोर्ट ने यह मुद्द भी उठाया

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि शिक्षा देने का काम कर रहे व्याख्याताओं की श्रमशक्ति का उपयोग राज्य की शिक्षा की स्थिति बेहतर करने में क्यों नहीं की जा रही है। अवमानना याचिका की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 30 सितंबर की तिथि तय कर दी है।

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