एनआईओएस के विरोध के बाद अलग-अलग खेमे में बटे बेरोजगार…. एनआईओएस संघ के अध्यक्ष ने कहा – कुछ लोगों का उद्देश्य है सिर्फ राजनीतिक रोटी सेंकना…. भर्ती प्रक्रिया को टालने में लगे हुए है कुछ तथाकथित बेरोजगार नेता !

Update: 2020-02-08 07:07 GMT

रायपुर 8 फरवरी 2020। प्रदेश में नियमित शिक्षक भर्ती को लेकर बयानों और विवादों का दौर जारी है । अब तक जहां छत्तीसगढ़ डीएड/बीएड प्रशिक्षित संघ के प्रदेश सचिव सुशांत शेखर धराई ही बयान जारी करके विरोध कर रहे थे वहीं अब उनके खिलाफ अन्य बेरोजगार साथियों का भी विरोध शुरू हो गया है और वह भी मुखर होकर सुशांत शेखर धराई पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं । शिक्षाकर्मियों के साथ शुरू हुई लड़ाई अब स्थानीय उम्मीदवारों के बाद NIOS द्वारा डीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों पर आकर ठहर गई है कल डीएड बीएड प्रशिक्षित संघ ने जहां इसके विरोध में स्वर बुलंद किए वही अब तेजी से अन्य लोग भी लामबंद होते जा रहे है और इसका सबसे बड़ा नुकसान उन अभ्यार्थियों को होने वाला है जिनका परीक्षा में अच्छा नंबर है और जिनकी नियुक्ति तय है क्योंकि जिस प्रकार विवादों का दौर जारी है और हर मुद्दे को लेकर विवाद किया जा रहा है उससे न्यायालय में दायर होने वाले याचिकाओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है और अधिकारी भी लगातार परेशान होते जा रहे हैं कि आखिर किस किस मुद्दे पर ध्यान दे । लोक शिक्षण संचनालय का घेराव तो मानो फैशन सा हो गया है , आये दिन इसके लिए एक मुद्दे को लेकर रणनीति तय कर दी जा रही है और इन हरकतों से अधिकारी वर्ग में भी नाराजगी है क्योंकि सलीके से अपनी बात रखने के बजाय हो हल्ला और नारेबाजी को प्राथमिकता दी जा रही है ताकि खुद को बड़ा नेता साबित किया जा सके ।

राजनीतिक रोटी सेकने के लिए कुछ लोग कर रहे हैं बेरोजगारों को गुमराह – NIOS अध्यक्ष

इधर इस मुद्दे पर NIOS डीएड प्रशिक्षित संघ के अध्यक्ष राजा बाबू का कहना है कि महज कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए हर मुद्दे को लेकर विवाद खड़ा करने में लगे हुए हैं और इन्हीं के चलते ऐसा माहौल तैयार हुआ है , उन्हें इस बात से दरअसल मतलब ही नहीं है की नियुक्ति जल्दी हो, उन्हें केवल अपनी राजनीतिक रोटी सेकना है फिर चाहे भर्ती प्रक्रिया निरस्त ही क्यों ना हो जाए और इसी तर्ज पर ही काम किया जा रहा है। NIOS के जरिये स्कूलों में पहले से कार्यरत शिक्षकों को डीएड कराने का फैसला केंद्र और राज्य का संयुक्त फैसला था और राज्य सरकार ही नोडल एजेंसी थी ऐसे में उसको न लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता और पटना हाई कोर्ट का भी इस पर स्पष्ट फैसला आ चुका है जो एनआईओएस के वेबसाइट पर देखा भी जा सकता है ऐसे में इस विषय को तूल देकर केवल और केवल चयनित उम्मीदवारों की भर्ती प्रक्रिया को लेट करने का खेल खेला जा रहा है , हल्ला मचाने वालों को खुद पता है कि न्यायालय जाने पर वह मुंह की खाएंगे इसलिए दूसरे तरीके से पहले बेरोजगारों को उकसाया जा रहा है और बाद में फिर उनसे चंदा वसूली करके न्यायालय का खेल खेला जाएगा । एनआईओएस वालों को किसी भी प्रकार से परेशान होने की जरूरत नहीं है बल्कि प्रदेश के इन सभी बेरोजगारों को जिनका चयन तय है उन्हें ऐसे लोगो को जो राजनीति कर रहे है उनका चेहरा पहचानने की जरूरत है ताकि बाद में पछताना न पड़े।

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