चार दिनों तक घूमाते रहे पीड़िता को, पर ना लिया आवेदन, ना की FIR……IG रतन डांगी ने थाना प्रभारी को किया लाईन हाजिर.. SI और दोषी थाना स्टाफ़ के ख़िलाफ़ 15 दिनों के भीतर कार्यवाही के आदेश

Update: 2020-09-16 05:28 GMT

अंबिकापुर, 16 सितंबर 2020।अश्लीलता अभद्रता और जातिगत दुर्व्यवहार को लेकर थाने से इंसाफ़ माँगने गई महिला को टरकाना समूचे थाने के लिए मुसीबत का सबब बन गया है।मामले की शिकायत आईजी को हुई तो आईजी ने थानेदार को लाईन हाज़िर तो किया ही, थानेदार समेत जवाबदेह थाना स्टाफ़ के ख़िलाफ़ जाँच के निर्देश दे दिए।

मसला थाना आस्ता का है जहां एक महिला अपने साथ हुए अश्लील दुर्व्यवहार और जातिगत आधार पर किए गए अपमानजनक टिप्पणी पर कार्यवाही कराने पहुँची थी.. लेकिन उसे चार दिनों तक थाना घुमाते रहा। पहले दिन महिला को कहा गया कि “टाईप करने वाला आरक्षक डाक देने जशपुर गया है थाने में नहीं है.. दो दिन बाद आना” दो दिन बाद महिला पहुँची तो थाने से कहा गया “दरोगा साहब नहीं है और वो सिपाही नहीं लौटा है” महिला अगले दिन फिर पहुँची तो उसका आवेदन तो लिया गया पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, उल्टे शिकायत आवेदन को लेकर गुमराह करने वाली बातें लिखी गईं।

महिला ने पूरे वाक़ये की जानकारी पत्र के ज़रिए एसपी और आईजी को लिख भेजी। जिस पर आईजी सरगुजा ने सख्त रुख अपना लिया। आरोपी थानेदार को लाईन अटैच करते हुए थानेदार समेत दोषी थाना स्टाफ़ के विरुद्ध दस दिन के भीतर अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
आईजी रतन डांगी ने NPG से कहा


“ ग्रामीण परिवेश हो या शहरी.. पुलिस का काम थाने पहुँचे नागरिक की बात सुनना और आवश्यक वैधानिक कार्रवाई कर उसे राहत देना और न्याय दिलाने की कार्रवाई करना है, यह क़तई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता कि, महिला बेहद अशोभनीय दुर्व्यवहार का शिकार हो कर थाने पहुँचे और बजाय कार्यवाही के उसे चार चार दिन भटकाया जाए और शिकायत जाँच में गुमराह करने वाली बातें लिख दी जाएँ.. मैंने निर्देश दिए है कि थानेदार समेत दोषी थाना स्टाफ़ के विरुद्ध पंद्रह दिन के भीतर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए साथ ही महिला के आवेदन पर वैधानिक कार्रवाई करें”

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