शिक्षा नीति लागू होते ही बदल जायेगा स्कूल से कॉलेज तक की पढ़ाई का तरीका… पढ़िये क्या कुछ होने वाला है बदलाव… छात्रों को कितनी मिलेगी सुविधाएं

Update: 2020-07-29 09:45 GMT

रायपुर 29 जुलाई 2020। केंद्र की नरेद्र मोदी सरकार बुधवार को कैबिनेट बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे सकती है. इसका मतलब है कि पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी होगी ताकि शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था को खत्म किया जा सके. सरकार की तरफ से बुधवार शाम 4 बजे इसके बारे में जानकारी दी जाएगी. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि मंत्रालय का मौजूदा नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया जाए. कैबिनेट बैठक में इस पर फैसला हो सकता है.

1.सिंगल रेगुलेटर- मानव संसाधन विकास मंत्रालय यूजीसी और एआईसीटीई को एक साथ मिलाने की तैयारी कर रहा है. इससे एक रेगुलेटरी बॉडी बनाई जाएगी और मौजूदा रेगुलेटरी बॉडी को नए रोल में लगाया जाएगा. पूरे उच्च शिक्षा के लिए नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा.

2.बोर्ड परीक्षा का पुनर्गठन- नई शिक्षा नीति में बोर्ड परीक्षाओं को लेकर बड़ा बदलाव किया जा सकता है. छात्रों के मुताबिक कोर्स चुनने की आजादी हो सकती है. स्किल पर खास ध्यान दिया जाएगा. सबसे बड़ा बदलाव परीक्षा के तौर-तरीकों में किया जा सकता है. ऐसा हो सकता है कि छात्रों को साल में परीक्षा के लिए दो या तीन बार मौका मिले ताकि वे दबाव से खुद को बचा सकें. बोर्ड की एक परीक्षा के बजाय सेमेस्ट प्रणाली की सलाह दी जा सकती है.

3. नई शिक्षा नीति में शिक्षा का अधिकार (Right to Eductaion) कानून के दायरे को व्यापक बनाया गया है। अब 3 साल से 18 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर लाया जाएगा।

4. अब कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम (co-curricular) या अतिरिक्त पाठ्यक्रम ( extra- curricular) नहीं कहा जाएगा।

5. नई शिक्षा नीति बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल (life skills) और जरूरी क्षमताओं को विकसित किए जाने पर जोर देती है।

6. नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शैक्षणिक संस्थानों (High Education Institutions) में विश्वस्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई (High Quality Teaching) पर जोर दिया गया है। अब हाइयर एजुकेशन में वर्ल्ड क्लास रिसर्च पर फोकस किया जाएगा।

7. अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम का ढांचा भी बदला जाएगा। अब कोर्स के दौरान कई कक्षा से निकलने या प्रवेश करने के कई विकल्प दिए जाएंगे।

8. पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है।

9. आयोग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की है।

10 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 को भारतीय लोगों, उनकी परम्पराओं,संस्कृतियों और भाषाओँ की विविधता को ध्यान में रखते हुए तेज़ी से बदलते समाज की ज़रूरतों के आधार पर तैयार किया गया है।

11 शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए उच्च गुणवत्ता और व्यापक शिक्षा तक सबकी पहुँच सुनिश्चित की गई है। इसके ज़रिए भारत का निरंतर विकास सुनिश्चित होगा साथ ही वैश्विक मंचों पर – आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, समानता और पर्यावरण की देख – रेख, वैज्ञानिक उन्नति और सांस्कृतिक संरक्षण के नेतृत्व का समर्थन करेगा।

12. इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।

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