Sanchar Saathi App: क्या है संचार साथी मोबाइल ऐप? एक क्लिक में पकड़े जाएंगे फ्रॉड कॉल, मोबाइल चोरी और नकली SIM, अभी समझें इसके पावरफुल फीचर्स

Sanchar Saathi App Features: संचार साथी ऐप अब सभी फोन में अनिवार्य। जानें कैसे एक क्लिक में चोरी मोबाइल ब्लॉक, फ्रॉड कॉल रिपोर्ट, नकली सिम डिटेक्ट और IMEI से फोन की पूरी हिस्ट्री पता चलेगी।

Update: 2025-12-02 13:59 GMT

Sanchar Saathi App: भारत सरकार ने डिजिटल फ्रॉड, मोबाइल चोरी और साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए संचार साथी ऐप को हर नए मोबाइल फोन में अनिवार्य कर दिया है। यानी आने वाले महीनों में भारत में बिकने वाले हर स्मार्टफोन में यह ऐप पहले से इंस्टॉल मिलेगा और इसे हटाया भी नहीं जा सकेगा। यह फैसला इसलिए अहम है क्योंकि मोबाइल चोरी, सिम स्वैप, डिजिटल अरेस्ट, विदेशी फ्रॉड कॉल और नकली सिम कनेक्शन जैसे मामलों में संचार साथी एक ही प्लेटफॉर्म पर समाधान देता है वह भी कुछ सेकंड में। सरकार ने Apple, Samsung, Xiaomi, Vivo, Oppo समेत सभी कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि फोन सेटअप करते ही यूजर को संचार साथी ऐप स्पष्ट दिखना चाहिए और उसकी कोई भी सुविधा बंद नहीं होनी चाहिए।

संचार साथी ऐप आखिर इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

क्योंकि सिर्फ एक क्लिक में आप फ्रॉड कॉल रिपोर्ट कर सकते हैं, गुम या चोरी मोबाइल को तत्काल ब्लॉक करवा सकते हैं, अपने नाम पर चल रहे सभी मोबाइल कनेक्शन चेक कर सकते हैं, इंटरनेशनल स्कैम कॉल पकड़वा सकते हैं और यह तक पता लगा सकते हैं कि आपका मोबाइल असली है या पहले किसी और के नाम पर था। आइये जानते है इसके 5 मेगा फीचर्स जिन्हें समझना जरूरी है क्योंकि आने वाले समय में यह ऐप आपका सबसे बड़ा डिजिटल सुरक्षाकवच बनने वाला है।

1 CHAKSHU: रियल टाइम में फ्रॉड कॉल, डिजिटल अरेस्ट और स्कैम नंबरों की रिपोर्ट

संचार साथी ऐप का सबसे शक्तिशाली फीचर है “चक्षु”। यह फीचर रियल टाइम में किसी भी फ्रॉड कॉल, वॉट्सऐप स्कैम, डिजिटल अरेस्ट या संदिग्ध लिंक को तुरंत रिपोर्ट करने की सुविधा देता है। अगर किसी इंटरनेशनल नंबर से आपको धमकी, फंसाने, KYC अपडेट, बैंक ब्लॉक या डिजिटल अरेस्ट का मैसेज/वीडियो कॉल आता है, तो आप तुरंत चक्षु में उस नंबर की रिपोर्ट कर सकते हैं। ऐप फोटो, वीडियो या स्क्रीनशॉट अपलोड करने की सुविधा देता है, जिसके बाद DoT उस नंबर को ब्लॉक करता है और संबंधित एजेंसियां जांच शुरू करती हैं।

2 गुम या चोरी मोबाइल ब्लॉक करवाने की सुविधा

अगर आपका फोन चोरी हो जाए या गुम हो जाए तो संचार साथी ऐप आपके IMEI नंबर के आधार पर पूरे भारत में उस मोबाइल को तत्काल ब्लॉक कर देता है ताकि उसे कोई गलत काम में इस्तेमाल न कर सके। पहले पुलिस के पास शिकायत देने और ब्लॉक करवाने में कई दिन लग जाते थे, लेकिन अब केवल IMEI डालते ही फोन ब्लैकलिस्ट हो जाता है। मोबाइल मिल जाने पर उसी ऐप से अनब्लॉक भी किया जा सकता है। इस फीचर ने मोबाइल चोरी के मामलों में गेमचेंजर का काम किया है और सरकार अब तक 42 लाख से अधिक चोरी/गुम मोबाइल ब्लॉक कर चुकी है।

3 अपने नाम पर चल रहे सभी मोबाइल कनेक्शन instantly देखें

भारत में लाखों लोग बिना जानकारी के अपने नाम से जारी मोबाइल कनेक्शनों का शिकार बनते हैं। कई बार साइबर अपराधी किसी के दस्तावेज़ का दुरुपयोग कर फर्जी सिम जारी करवाते हैं। संचार साथी ऐप में अपना नंबर डालते ही आप देख सकते हैं कि आपके नाम पर कितने कनेक्शन चालू हैं, कौन-कौन से नंबर एक्टिव हैं और आप तुरंत गलत एंट्री को रिपोर्ट करके बंद करवाने का अनुरोध कर सकते हैं। अब तक 2.88 करोड़ से अधिक यूजर्स इस सुविधा का इस्तेमाल कर चुके हैं।

4 मोबाइल असली है या पहले किसी और ने इस्तेमाल किया- एक क्लिक में पता चलेगा

सेकेंड हैंड मोबाइल लेने वालों के लिए यह फीचर बेहद उपयोगी है। संचार साथी IMEI के जरिए यह बताता है कि फोन पहले किसके नाम पर था, उस पर पहले कोई शिकायत तो नहीं कहीं वह चोरी/फ्रॉड हैंडसेट तो नहीं। यानी आप कोई पुराना फोन खरीदने से पहले सिर्फ IMEI डालकर उसकी पूरी हिस्ट्री एक क्लिक में देख सकते हैं।

5 इंटरनेशनल कॉल स्कैम की तुरंत रिपोर्टिंग

साइबर अपराधियों के सबसे बड़े हथियार हैं इंटरनेशनल नंबर से किए जाने वाले स्कैम कॉल जैसे डिजिटल अरेस्ट, पार्सल फ्रॉड, KYC ब्लॉक, इनकम टैक्स नोटिस, बैंक वेरिफिकेशन, लॉटरी स्कैम आदि। संचार साथी ऐप में ऐसे नंबर को तुरंत दर्ज किया जा सकता है, और DoT उसे हाई-प्रायोरिटी पर ब्लॉक करता है। ऐप का दावा है कि इन रिपोर्टिंग के बाद विदेशी कॉल आधारित फ्रॉड में तेजी से कमी आई है।

क्या निजता (Privacy) को खतरा है?

संचार साथी की प्राइवेसी पॉलिसी कहती है कि ऐप केवल आवश्यक डेटा को उपयोग करता है, उसे स्टोर नहीं करता, न ही किसी थर्ड पार्टी के साथ साझा करता है। साइबर एक्सपर्ट्स की माने तो यह ऐप सिर्फ रिपोर्टिंग और वेरिफिकेशन के लिए डेटा प्रोसेस करता है, लेकिन उसे सेव नहीं करता। यानी दूसरे मोबाइल ऐप की तुलना में यह ज्यादा सुरक्षित है।

पहले फ्रॉड नंबर ट्रैक क्यों नहीं हो पाते थे?

पहले सिर्फ मोबाइल नंबर की लोकेशन मिलती थी जब तक पुलिस पहुंचती थी, अपराधी वहां से गायब हो चुका होता था। नंबर किसी और के नाम पर, फोन किसी तीसरे के हाथ में और सिम किसी और जगह सक्रिय इस वजह से ट्रैकिंग लगभग असंभव थी। संचार साथी ने IMEI, कनेक्शन ओनरशिप और रियल टाइम रिपोर्टिंग के जरिए इस समस्या को खत्म कर दिया है। 

Tags:    

Similar News