Nag Panchami 2024 : नाग न दूध पीता है, न करता है बीन की धुन पर डांस, ना लेता है बदला...सब फ़िल्मों के दिखावे, जानिये क्या कहते हैं "सर्प विशेषज्ञ"
Nag Panchami 2024 : ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि सांप दूध पीता है. मगर, विज्ञान इसे भ्रांति मानता है. ना ही सांप बदला लेते हैं ना ही बिन की धुन पर नाचते हैं।
Nag Panchami 2024 : नागपंचमी के दिन नाग देवता को ग्राम से लेकर शहरों तक दूध पिलाने की होड़ मची रहती है. मगर विज्ञान और सर्प एक्सपर्ट कहते है कि दूध सांप के लिए जानलेवा हो सकता है। इतना ही नहीं सपेरे के बीन की धुन पर सांप का नाचना भी एक भ्रांति है।
भारतीय परंपरा में सांप को भगवान का रुप माना गया है। दादी-नानी की कहानियों से लेकर बॉलीवुड की फिल्मों तक सांपों का महत्व साफ झलकता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में भी सांप का विशेष उल्लेख मिलता है। लेकिन हम जाने अनजाने में पुण्य कमाने के बजाय और पाप कमाते हैं।
'नाग पंचमी' के दिन नाग देवता की पूजा होती है। मगर सांप से जुड़े ऐसी कई भ्रांतियां और अंधविश्वास समाज में मौजूद हैं, जिसे विज्ञान पूरी तरह से नकारता है।
आइए सांप से जुड़ी कुछ ऐसी भ्रांतियां और उसकी सच्चाई के बारे में बताते हैं, जिन पर आज से पहले आप भी यकीन करते रहे होंगे-
सांप दूध नहीं पीते
नागपंचमी के दिन सांप को दूध पिलाना आस्था का प्रतीक माना गया है। मगर क्या आप जानते हैं कि सांप दूध पीते ही नहीं! जी हां, विज्ञान के अनुसार, सांप एक मांसाहारी जीव है। यह अपना आहार मेंढक, चूहा, पक्षियों के अंडे और दूसरे जीवों को बनाता है। सांप दूध नहीं पीता है।
नोवा नेचर सोसाइटी के सचिव मोएज अहमद के अनुसार लोगों को करतब दिखाने के लिए सपेरे सांप को एक हफ़्ते तक भूखा प्यासा रखते हैं। भूखे-प्यासे सांप को जब दूध मिलता है तो वो इसे पी लेता है। लेकिन कई बार दूध सांप के फेफड़ों में घुस जाता है जिससे उसे निमोनिया हो जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो दूध पीने से सांप मर भी सकते हैं। इसके बावजूद हम सभी अंधविश्वास में सांप को दूध का चढावा चढाते हैं।
सांप कभी बदला नहीं लेते
अहमद के अनुसार हिंदी फिल्मों में ऐसे कई उदाहरण है जिनमें सांप अपने साथी की मौत का बदला लेता है। हालांकि, यह सिर्फ एक अंधविश्वास है। विज्ञान की मानें तो सांप अल्पबुद्धि जीव होते हैं और सांप की रेंज पावर 5-6 किमी से ज्यादा नहीं होती है. इन्हें कुछ भी याद नहीं रहता। इसलिए सांप केवल फिल्मों में ही बदला ले सकते हैं। अगर ऐसा होता तो हम हर साल सैकडों नाग पकड़ते हैं सोचिए हमारा क्या होता।
सांप को बीन की धुन नहीं सुनाई देती
बीन की धुन पर सांप को नचाने का दावा कई सपेरे करते हैं। मगर सच तो यह है कि सांप सुन ही नहीं सकते क्योंकि उनके कान नहीं होते। वह सिर्फ देख सकते हैं। जब सपेरा बीन बजाता है तो धरती में कंपन होती है, जिससे सांप की केंचुली भी कांपती है। इससे सांप को उसके आसपास आहट का भ्रम होता है, और वह अपने शरीर को घुमाने लगता है। देखने वालों को लगता है कि सांप नाच रहा है, लेकिन ऐसा नहीं होता है।
सांप इच्छाधारी नहीं होते
आपने अक्सर फिल्मों में देखा होगा कि इच्छाधारी नाग-नागिन अपनी इच्छा के अनुसार अपना रुप बदल लेते हैं। कभी कभी तो वह मनुष्य बनकर चकमा भी देते हैं। मगर विज्ञान इसे नहीं मानता। विशेषज्ञ कहते हैं कि इच्छाधारी सांप केवल एक कल्पना है, जिसमें बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है।
सांप को पकड़ना या प्रदर्शनी लगाना गैर कानूनी
नागपंचमी के दिन शहर से लेकर गांव तक सांपों की प्रदर्शनी लगाई जाती है। मगर यह गैर कानूनी है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत सांप शेड्यूल वन श्रेणी के प्राणी है। सांप मारना या पकड़ना, डिब्बा में बंद करना, विष की थैली निकालना, चोट पहुंचाना, प्रदर्शनी लगाना कानूनी अपराध है। अधिनियम के तहत पहली बार सांपों के पकड़ने पर सात साल की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान है। वहीं अगर दोबारा सांपों के साथ पकड़े गए तो सात साल की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है.