Airtel-SpaceX Partnership: एयरटेल सेवाएं अब होगा जबरदस्त: Starlink से मिलाया हाथ, दूरदराज इलाकों तक पहुंचेगा हाई स्पीड इंटरनेट...

Airtel-SpaceX Partnership: एयरटेल सेवाएं अब होगा जबरदस्त: Starlink से मिलाया हाथ, दूरदराज इलाकों तक पहुंचेगा हाई स्पीड इंटरनेट...

Update: 2025-03-12 07:44 GMT
Airtel-SpaceX Partnership: एयरटेल सेवाएं अब होगा जबरदस्त: Starlink से मिलाया हाथ, दूरदराज इलाकों तक पहुंचेगा हाई स्पीड इंटरनेट...
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Airtel-SpaceX Partnership: नईदिल्ली भारत की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों में से एक भारती एयरटेल ने देश में सैटेलाइट के जरिए कम्युनिकेशन सर्विसेज देने के लिए एलन मस्क की कंपनी SpaceX के साथ हाथ मिलाया है। दोनों कंपनियों ने इस बारे में एक डील की घोषणा की है। यह साझेदारी SpaceX के सैटेलाइट इंटरनेट डिवीजन Starlink के माध्यम से भारत में ग्राहकों को हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए की गई है।

दरअसल, एयरटेल ने एक्सचेंज फाइलिंग में यह जानकारी दी। देश में अब तक सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट सेवा शुरू नहीं हुई है। भारत में सरकार ने अब तक भारती ग्रुप के निवेश वाले वनवेब और जियो-एसईएस के जॉइंट वेंचर जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस को ही सैटकॉम का लाइसेंस जारी किया है। स्टारलिंक के अलावा ऐमजॉन ने भी लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। स्टारलिंक अब तक करीब 100 देशों में अपनी सेवाएं शुरू कर चुका है। हाल में उसने भूटान में सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट सर्विस शुरू की थी और अब बांग्लादेश में भी इसकी तैयारी की जा रही है। लेकिन भारत अब तक इससे अछूता रहा था। अमेरिका में हाल में हुए राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद माना जा रहा था कि स्टारलिंक को भारत में बैकडोर एंट्री मिल सकती है। इसकी वजह यह है कि मस्क को ट्रंप का करीबी माना जाता है। लेकिन टेलिकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ किया था कि स्टारलिंक को भारत में लाइसेंस हासिल करने के लिए सभी नियमों का पालन करना होगा। 

असल में स्पेक्ट्रम के आवंटन और इसकी कीमत को लेकर देसी और विदेशी कंपनियों में मतभेद हैं। घरेलू कंपनियों का तर्क है कि शहरी या 'खुदरा' उपभोक्ताओं को सेवा देने के लिए केवल नीलाम किए गए उपग्रह स्पेक्ट्रम का ही उपयोग किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि ग्लोबल सैटेलाइट ऑपरेटर शहरों में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की पेशकश करने की योजना बना रहे हैं, जो सीधे स्थानीय दूरसंचार कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करेगा। दूसरी ओर ग्लोबल सैटेलाइट ऑपरेटरों ने स्पेक्ट्रम की नीलामी के विचार को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह सही तरीका नहीं है। स्पेक्ट्रम एक साझा संसाधन है, इसलिए इसकी नीलामी नहीं की जानी चाहिए। स्टारलिंक और ऐमजॉन भारत में सैटेलाइट से ब्रॉडबैंड सेवाएं लाने के लिए अपने लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं अभी तक शुरू नहीं हुई हैं। इसकी वजह यह है कि सरकार मूल्य निर्धारण और स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों पर काम कर रही है। इस बारे ट्राई की सिफारिशें आने के बाद ही बात आगे बढ़ेगी।

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