Satanami Dharmaguru Baladas, Chhattisgarh Assembly Election 2023: गुरु बालदास के हाथ में अब कमल: जानिए... उनके कांग्रेस छोड़ने से छत्‍तीसगढ़ की एससी सीटों का कितना बदलेगा समीकरण

Satanami Dharmaguru Baladas, Chhattisgarh Assembly Election 2023: सतनामी समाज के धर्मगुरु बालदास ने आज अपने पुत्र के साथ भाजपा प्रवेश किया। विधानसभा चुनाव की दृष्ठि से इस बड़ा घटनाक्रम मना जा रहा है।

Update: 2023-08-22 15:12 GMT

सतनामी समाज के धर्मगुरु बालदास ने का भाजपा प्रवेश कार्यक्रम

Satanami Dharmaguru Baladas: रायपुर। सतनामी समाज के बड़े धर्मगुरु बालदास करीब पांच वर्ष बाद भाजपा में लौट आए हैं। समर्थकों की भारी भीड़ के बीच बड़े मंच पर आज उनका भाजपा प्रवेश हुआ। गुरु बालदास के प्रभाव का अंजादा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके भाजपा प्रवेश के दौरान पार्टी के प्रदेशस्‍तर के लगभग सभी बड़े नेता मौजूद थे। मंच पर मौजूद प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, पार्टी के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष और पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने उनका पार्टी स्‍वागत किया। इस आयोजन से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा के लिए वे कितना महत्‍व रखते हैं। लेकिन गुरु बालदास के इस कदम का विधानसभा चुनाव 2023 के परिणामों पर कितना असर पड़ेगा, यह चर्चा का विषय बना हुआ है।

Satanami Dharmaguru Baladas: गुरुबाल दास व उनके पुत्र के भाजपा प्रवेश के दौरान मंच पर मौजूद प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, डॉ. रमन सिंह, प्रदेश अध्‍यक्ष अरुण साव, सांसद सुनील सेानी सहित अन्‍य नेता। 

छत्‍तीसगढ़ राज्‍य बनने के बाद से अब तक हुए चार चुनावों के आंकड़ें बता रहे हैं कि 2018 के पहले तक अनुसूचित जाति (एससी) सीटों पर वोटरों का झुकाव भाजपा की तरफ ज्‍यादा रहा है। 2013 के चुनाव में एससी वोटरों ने भाजपा को भर-भर कर वोट दिया था। पार्टी के खाते में 9 सीटें आई थीं।

राज्‍य में एससी आरक्षित 10 सीटें

राज्‍य की 90 में से 10 सीटें एससी आरक्षित हैं। यह स्थिति पिछले कई चुनावों से बनी हुई है। 2008 के पहले विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन हुआ इसमें एससी आरक्षित कई सीटें खत्‍म हो गई, लेकिन उनके स्‍थान पर फिर नई सीटें एससी वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई। यानी परिसीमन के बाद भी एससी आरक्षित सीटों की संख्‍या 10 ही रही।

राज्‍य की एससी सीटों का चुनाव परिणाम

जानिए चार चुनावों में एससी सीटों पर किसका पलड़ा रहा भारी

राज्‍य स्‍थापना के बाद 2003 में हुए पहले चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रदेश की सत्‍ता में थी। अजीत जोगी जैसे दिग्‍गज नेता मुख्‍यमंत्री थी। ऐसे में 2003 के चुनाव में इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्‍कर रही। दोनों के हिस्‍से में 4-4 सीटें आई, जबकि दो सीट बसपा कब्जा करने में सफल रही। 2008 के चुनाव में बसपा को एक ही सीट मिल पाई, जबकि भाजपा 4 से बढ़कर 5 सीटों पर पहुंच गई। कांग्रेस अपनी चारों सीट बचाने में सफल रही। 2013 के चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ। एससी सीटों पर भाजपा ने एक तरफा जीत दर्ज की। 10 में से 9 सीटें भाजपा जीत गई लेकिन 2018 में कांग्रेस की आंधी ऐसी चली की भाजपा 9 से फिसल कर सीधे 2 पर आ गई। बसपा भी 1 सीट जीती, जबकि बाकी 7 सीट कांग्रेस के खाते में चली गई।

Satanami Dharmaguru Baladas गुरु बालदास के भाजपा प्रवेश कार्यक्रम में मौजूद समर्थकों की भीड़ 

2013 के चमत्‍कार में बालदास का बड़ा योगदान

विधनसभा चुनाव 2013 में भाजपा ने एससी आरक्षित 9 सीटों पर एक तरफा जीत दर्ज करके एक तरह से इतिहास रच दिया। माना जाता है कि भाजपा की इस जीत में गुरु बालदास की बड़ी भूमिका थी। 2013 में बालदास ने भाजपा के लिए प्रचार किया था। इसके लिए के चुनाव के दौरान तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बालदास को हेलीकॉप्टर भी उपलब्ध कराया था।

जिसकी वजह से पार्टी छोड़ा, उसी शर्त पर वापसी

2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गुरु बालदास ने भाजपा पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। गुरु बालदास अपने बेटे गुरु खुशवंत गोसाई राजनीति में लाना चाहते हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार 2018 के चुनाव में गुरु खुशवंत ने आरंग विधानसभा से टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। इससे नाराज होकर वे कांग्रेस में चले गए। इस बार भाजपा में वापसी के साथ ही गुरु बालदास ने आरंग सीट से बेटे के लिए टिकट की दावेदारी पेश कर दी है।

राजनीति में सक्रिय गुरु घासीदास के वंशज

समाज प्रमुखों के अनुसार छत्‍तीसगढ़ में सतनामी समाज की आबादी करीब 35 से 40 लाख है। सतनामी समाज के लोग गुरु घासीदास के अनुयायी हैं। गुरु घासीदास जी सतनामी समाज प्रवर्तक हैं और गुरु बालदास उनके वंशज हैं। गुरु बालदास के अलावा गुरुघासी दास जी के दूसरे वंशज भी राजनीति में सक्रिय हैं। अहिवारा सीट से विधायक चुने गए गुरु रुद्र कुमार भी गुरुघासी दास जी के वंशज हैं। गुरु रुद्र कुमार कैबिनेट मंत्री हैं। इनके पिता विजय गुरु भी राजनीति में सक्रिय रहे हैं। गुरु घासीदास जी की पांचवीं- छठवीं पीढ़ी के इन गुरुओं का राजनीति में अच्‍छा प्रभाव है। बावजूद इसके गुरु रुद्र कुमार 2013 आरंट सीट से चुनाव हार गए थे, जबकि 2008 में वे आरंट सीट से ही विधाकय चुने गए थे।




 


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