CM Vishnudeo Sai: बाघ का मंदिर: छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव का परिवार करता है बाघ की पूजा, देखिए फोटो

CM Vishnudeo Sai: छत्‍तीसगढ़ के नए मुख्‍यमंत्री विष्‍णुदेव साय आदिवासी समाज से आते हैं। सीएम का पदभार संभालने के बाद पहली बार अपने गृह ग्राम पहुंचे साय ने कुलदेवता की पूजा की। इस दौरान साय ने बाघ की भी पूजा की।

Update: 2023-12-29 08:35 GMT

CM Vishnudeo Sai: जशपुर। छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री विष्‍णुदेव साय अपने गृह जिला और गृह ग्राम के प्रवास पर हैं। मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद वे पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंचे हैं। साय आदिवासी समाज से आता हैं और आदिवासियों में कुलदेवता को बहुत महत्‍व दिया जाता है। किसी भी काम से पहले कुल देवता की अनुमति ली जाती है। कोई भी नया काम होने पर कुल देवता को विधिविधान से पूजा चढ़ाया जाता है।

अपने कुल देवता की पूजा करते मुख्‍यमंत्री विष्‍णुदेव साय

सीएम बनने के बाद पहली बार अपने गृह ग्राम पहुंचे साय ने अपनी पत्‍नी कौशल्या साय के साथ आज कुल देवता की पूजा-अचर्ना की। साय के कुल देवता का मंदिर ग्राम बंदरचुवा के पास तुर्री में हैं। पारंपरिक आदिवासी वाद्य यंत्रों की गूंज के बीच गांव के पुजारी ने मुख्यमंत्री को विधि विधान से पूजा पाठ कराया। मुख्यमंत्री साय ने कुलदेवता को गुड़, नारियल, पान, सुपाड़ी अर्पित कर प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने कहा कि पूर्वजों के आशीर्वाद से ही शुभ कार्य संपन्न होते हैं। आज तुर्री में अपने कुलदेवता का आशीर्वाद लेकर प्रदेश की खुशहाली और जनहित में निरंतर कार्य करूंगा।

बाघ देवता का मंदिर

इन सबके बीच सीएम साय बाघ देवता के मंदिर मे भी गए और वहां पूजा पाठ की। इस बाघ मंदिर का निर्माण मुख्यमंत्री के पूर्वज स्व. सरदार भगत साय (सरदार बुढ़ा) की स्मृति में कराया गया है। ग्रामीणों के अनुसार इस मंदिर के प्रति न केवल सीएम साय परिवार का गहरी आस्‍था है बल्कि उनका रिश्‍ता भी है।

जानिए क्‍या है बाघ मंदिर से सीएम का रिश्‍ता

तुर्री गांव के निवासी विकास कुमार साय ने बताया कि तुर्री में घनघोर जंगल और पहाड़ियों से घिरे इसी स्थल पर मुख्यमंत्री साय के पूर्वजों के दो भाईयों भगत साय और दवेल साय में से स्व. भगत साय पर बाघ ने हमला किया था,जिससे वहीं पर उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। जहां उन्होंने प्राण त्यागे थे वहां उनका वास मानकर आस्था और विश्वास से पूजा अर्चना की जाती है। मूल स्थान के बगल में बाघ में भगत साय की देव स्वरूप वास मानकर इस स्थान पर बाघ की मूर्ति स्थापित कर पूजा पाठ किया जाता है। दूसरे भाई दवेल साय के वंश वृद्धि के फलस्वरूप मुख्यमंत्री साय आते है। साय परिवार के अलावा अन्य ग्रामीण भी तुर्री के इस स्थान को आस्था और अध्यात्म का विशेष स्थान मानते है। यह जगह चारों तरफ जंगलों से घिरा हुआ है। इस देव स्थल के विशेष महत्व के कारण यहां से गुजरने वाले लोग फूल, पत्ती आदि अर्पित करने पश्चात ही यहां से आगे बढ़ते हैं।


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