MLA संतराम नेताम: पुलिस की नौकरी छोड़कर विधायक बने, रामलीला में करते हैं कुंभकर्ण का रोल पर स्वभाव के संत
NPG.News
कभी शादी-समारोह में बैंड बजाते तो कभी रामलीला के मंच में कुंभकर्ण की भूमिका निभाते, कभी जूठे बर्तन साफ करते और कभी हल चलाते हुए वीडियो में आपने संतराम नेताम को देखा होगा। नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के केशकाल विधानसभा के विधायक नेताम को लोग इस तरह की कई भूमिकाओं में देख चुके हैं। नेताम को डाउन टू अर्थ रहना पसंद है। विधानसभा में विपक्ष के विधायक के रूप में या सत्ता पक्ष के रूप में अपनी बात पुरजोर तरीके से रखते हैं। आइए जानते हैं, संतराम नेताम क्यों अपने क्षेत्र के लोगों के संत हैं...
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होता है, जिसमें संतराम नेताम एक महिला डीएफओ को फटकार लगा रहे हैं। वीडियो में मजदूरी भुगतान के मसले पर विधायक नेताम डीएफओ से जवाब-तलब कर रहे हैं कि मजदूरों को उनकी राशि का भुगतान नहीं करना गलत है। हम दोनों इनकी सेवा करने के लिए हैं। दिनभर बैठाया जाता है और मजदूरों का काम नहीं होता। आप काम करने आई हो तो काम करो, मैं साथ दूंगा, अन्यथा मैं नहीं चाहूंगा तो आप भी यहां नहीं रह पाओगी। लोगों के मुताबिक संतराम नेताम इसी मिजाज के हैं, इसलिए लोगों में काफी चर्चित भी हैं।
17 साल तक की पुलिस की नौकरी, मां रह चुकी हैं सरपंच
संतराम नेताम का जन्म 2 मई 1972 को कोंडागांव के विश्रामपुरी ब्लॉक के पलना गांव में हुआ था। उन्होंने एमए एलएलबी तक की शिक्षा ग्रहण की और फिर 17 साल तक पुलिस विभाग में नौकरी की। उन्होंने 25 फरवरी 1999 को दुर्गा नेताम के साथ शादी की। उनके एक पुत्र व दो पुत्रियां हैं। समाज सेवा में विशेष रुचि को देखते हुए नेताम ने पुलिस की नौकरी छोड़ी और राजनीति में आए। कांग्रेस पार्टी से जुड़े। नौकरी छोड़कर खेती को पेशे के रूप में अपनाया। विधायक बनने से पहले बड़े राजपुर जनपद पंचायत से बीडीसी मेंबर (जनपद सदस्य) भी चुने गए। उनके माता-पिता बड़े राजपुर ब्लॉक के ग्राम पलना में रहते हैं। उनके पिता बीरसिंह नेताम सहकारी समिति सलना के अध्यक्ष हैं। उनकी मां मुन्नी नेताम ग्राम पंचायत पलना की 2005 से 10 तक सरपंच रह चुकी हैं।
2013 में पहली बार चुने गए विधायक
संतराम नेताम 2013 में पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद 2018 में दूसरी बार विधायक बने। वे 2014-15 में विधानसभा में शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति के सदस्य रहे। 2016-17 में प्राक्कलन समिति, आचरण समिति, याचिका समिति और 2017-18 में पुस्तकालय समिति के सदस्य रहे। 2018-20 में प्राक्कलन समिति और 2018-19 में याचिका समिति के सदस्य रहे। 2019-20 में सभापति प्रश्न एवं संदर्भ समिति रहे। 2019-21 में सदस्य सामान्य प्रयोजन समिति रहे। 2020 में उपाध्यक्ष बस्तर विकास प्राधिकरण बने।
केशकाल विधानसभा
केशकाल विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यहां कुल 185799 मतदाता हैं। इनमें 2018 के विधानसभा चुनाव में 152004 मतदाताओं ने अपना मत दिया था। 81.81 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। संतकुमार नेताम ने 73470 वोट हासिल किया था। उनके निकटम प्रत्याशी हरिशंकर नेताम को 56498 वोट मिले थे।
देसी अंदाज के कारण लोगों के प्रिय
संतराम नेताम अपनी सादगी के लिए लोगों के प्रिय हैं। उनका खेत मे काम करने के अलावा बोरे- बासी खाने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होता है, तो कभी वे दशहरा उत्सव में कुंभकरण बन कर लोगों को रिझाते नजर आते हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान वे 407 में बैठ कर चुनाव प्रचार करते हुए दिखे थे। उनका मानना है कि भले ही वे विधायक हैं पर हैं तो जनसेवक। लिहाजा जनता के बीच आम आदमी बन कर ही जनता की सेवा अच्छे से की जा सकती है। वे बगैर सरकारी वाहन का इंतजार किए पब्लिक ट्रांसपोर्ट, ट्रकों व बसों की सवारी करने से गुरेज नहीं करते।