इसलिए हटाए गए पुनिया: कांग्रेस की जीत के शिल्पकार रहे पर अपना गुट बनाने की शिकायतें, शैलजा का ये है समीकरण...

जुलाई, 2017 में पीएल पुनिया कांग्रेस के प्रभारी महासचिव बनाए गए थे। इससे पहले बीके हरिप्रसाद के पास यह जिम्मेदारी थी, लेकिन वे कांग्रेस को एकजुट करने में असफल रहे।

Update: 2022-12-05 21:35 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से सालभर पहले कांग्रेस आलाकमान ने प्रभारी महासचिव पीएल पुनिया को हटा दिया। पुनिया जुलाई, 2017 से छत्तीसगढ़ प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। बीके हरिप्रसाद के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ प्रभारी बनाया गया। 2018 में कांग्रेस की जीत के शिल्पकार थे। इससे पहले खंड-खंड में बंटी कांग्रेस को एक करने की जिम्मेदारी निभाई थी।

एक नजरिए से देखा जाए तो यह संगठन का एक रूटीन फैसला है। यह भी जोड़ सकते हैं कि उदयपुर अधिवेशन में कांग्रेस ने यह तय किया था कि कोई भी व्यक्ति 5 साल के बाद एक ही पद में नहीं रह सकता। कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे की नियुक्ति के बाद वैसे भी नए सिरे से नियुक्तियां होनी हैं। इस लिहाज से भी यह एक रूटीन एक्सरसाइज की तरह है।


हालांकि छत्तीसगढ़ जैसे कांग्रेस के लिए सूखे राज्य में इतने बड़े पैमाने पर जीत की फसल लहलहाने वाले पुनिया को हटाने को कांग्रेस सामान्य प्रक्रिया नहीं मानते। कांग्रेस के एक गुट का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले पुनिया ने अच्छे संगठक की भूमिका में मजबूती दी, लेकिन सरकार बनने के बाद उनकी भूमिका निष्पक्ष नहीं रही। वे पक्ष लेने लगे थे। उनका अपना गुट बन गया था।

कुछ खास लोगों को आगे बढ़ाने के भी आरोप पुनिया पर हैं। प्रभारी महामंत्री (संगठन) के साथ बदसलूकी करने वाले सन्नी अग्रवाल के माफीनामे के आधार पर कार्रवाई पर रोक लगाने के पीछे पुनिया का ही हाथ बताया गया था। ऐसे कई और मामले सामने आए थे, जिनमें पुनिया ने वीटो का इस्तेमाल किया। ये शिकायतें कांग्रेस आलाकमान तक पहुंची थी। कहा जा रहा है कि इन शिकायतों पर संज्ञान लेकर पुनिया को हटाया गया है।

कुमारी शैलजा के साथ पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम और प्रभारी महामंत्री (संगठन) अमरजीत चावला।

मिशन-2023 के लिए शैलजा की क्या होगी रणनीति

कुमारी शैलजा चार बार की सांसद रह चुकी हैं। वे पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दोनों कार्यकाल में केंद्र में मंत्री रहीं। इसके अलावा हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष भी रहीं। इससे पहले उनके पिता दलबीर सिंह भी प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। कुमारी शैलजा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1990 में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में की। तब उनकी उम्र 28 साल थी।

कांग्रेस नेताओं के मुताबिक पीएल पुनिया की तरह की कुमारी शैलजा भी अनुसूचित जाति की नेता हैं। उनका राजनीतिक अनुभव छत्तीसगढ़ के काम आएगा। हालांकि कांग्रेस नेताओं का यह भी मानना है कि हरियाणा में भूपेंद्र हुड्‌डा और कुमारी शैलजा के बीच चल रहे टकराव को कम करने के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ प्रभारी बनाकर इंगेज किया गया है, जिससे हुड्‌डा को काम करने में कोई दिक्कत न आए। 

यह भी चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में 2023 में चुनाव होने हैं। इसके बाद 2024 में हरियाणा में चुनाव होंगे। 2023 में कांग्रेस की जीत के बाद 2024 में कांग्रेस हरियाणा में बहुमत में आती है तो वे सीएम कैंडीडेट भी हो सकती हैं।

पुरंदेश्वरी को हटाया, शैलजा के सामने चुनौती

पीएल पुनिया के छत्तीसगढ़ प्रभारी रहते भाजपा ने तीन प्रभारी बनाए। 2018 का चुनाव अनिल जैन के नेतृत्व में लड़ा। इसके बाद डी. पुरंदेश्वरी को जिम्मेदारी दी गई। आखिरकार कुछ महीने पहले ओमप्रकाश माथुर प्रदेश प्रभारी बनाए गए हैं। पुरंदेश्वरी को लेकर कांग्रेस संगठन की ओर से लगातार हमले किए गए। उन्हें हंटरवाली कहा गया। अब कांग्रेस में कुमारी शैलजा के रूप में एक महिला को प्रभारी नियुक्त किया गया है।

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