2 साल की उम्र में पोलियो को दी थी मात ,अब IRS बनने वालीं सारिका जैन कोरोना से जंग में यूं कर रहीं सरकार की मदद….IAS अरुण बोथरा ने भी ट्वीट कर उनके इस काम को सराहा

Update: 2020-03-26 06:12 GMT

नई दिल्ली 26 मार्च 2020 कोरोना वायरस (COVID-19) से लड़ने के लिए पूरा देश एकजुट है। हर कोई सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। फिर चाहे ‘जनता कर्फ्यू’ का समर्थन करने की बात हो या फिर अपने स्तर पर सहयोग करने की। इस महामारी से निपटने के लिए देश की जनता सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है।

कोरोना के दौर में ऐसी ही मदद की कई तस्वीरें सामने आ रही हैं। भारतीय रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) अधिकारी सारिका जैन भी कोरोना से लड़ने में अपना योगदान दे रही हैं जिनकी हर कोई तारीफ कर रहा है। रविवार को ‘जनता कर्फ्यू’ के दिन जहां अधिकतर लोग फिल्में देखने और बाकी घर के कामों में बिता रहे थे। उस दिन सारिका जैन ने घर पर रहकर मास्क तैयार किए जिन्हें वे अपने आसपास के इलाके के लोगों में बांटेंगी।

इस बारे में उनके पति सीए विराग शाह ने ट्वीट कर जानकारी दी। ट्वीट में उन्होंने एक विडियो पोस्ट किया। साथ में लिखा, ‘इस जनता कर्फ्यू के दिन मेरी माता जी और मेरी पत्नी घर पर ही मास्क बना रही हैं। मेरी पत्नी आईआरएस सारिका जैन, डेप्युटी कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स, मुंबई में पोस्टेड हैं। हम ये मास्क हमारे इलाके के जरूरतमंद लोगों में बाटेंगे।’

यह विडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने उनकी तारीफ की। उनके फोटो को आईपीएस अरुण बोथरा ने भी ट्वीट किया। अरुण बोथरा ने लिखा, ‘लॉकडाउन के दौरान क्या किया जाए? सारिका जैन अपने समय का उपयोग मास्क बनाने में कर रही हैं जिन्हें वे बांद्रा में अपने जरूरतमंद पड़ोसियों में बांटेंगी। सारिका एक आईआरएस ऑफिसर हैं जो मुंबई में डेप्युटी कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स हैं। वह ओडिशा के कांताबंजी से ताल्लुक रखती हैं।’

2 साल की उम्र में हो गया था पोलियो, समाज से लड़ते हुए सीए के बाद आईआरएस बनीं सारिका जैन सारिका जैन ओडिशा के एक छोटे से गांव काटावांझी में एक संयुक्त परिवार में जन्मीं। 2 साल की उम्र में उन्हें पोलियो हो गया था। इसके बाद घरवालों ने उनका डॉक्टर से इलाज करवाया। डॉक्टर को लगा कि उन्हें मलेरिया है तो उसने मलेरिया का इंजेक्शन लगा दिया और इस कारण उनकी हालत और बिगड़ गई। उनके 50% शरीर ने काम करना बंद कर दिया। वह 1.5 साल तक कोमा की सिचुएशन में बेड पर पड़ी रहीं। उन्होंने 4 साल की उम्र में चलना शुरू किया। आसपास में कोई भी स्कूल उन्हें एडमिशन नहीं देना चाहता था।

कैसे जैसे करके एक स्कूल में एडमिशन मिला। हाल ऐसा कि स्कूल वापस आते वक्त कई बच्चे उन्हें चिढ़ाते और पत्थर तक मारते थे। वह कहती हैं कि मेरे शरीर में पोलिया था लेकिन मेरे मन में नहीं। उनकी इच्छा डॉक्टर बनने की थी लेकिन घरवालों ने वित्तीय हालत का हवाला देकर बाहर जाने से मना कर दिया। उन्होंने पास के कॉलेज से कॉमर्स से ग्रेजुएशन की। धीरे-धीरे कई मुश्किलों और परेशानियों का सामना करते हुए उन्होंने पढ़ाई पूरी की और सीए की तैयारियां शुरू कीं। उनकी मेहनत का ही परिणाम था कि वह सीए में सफल हो गईं।

Tags:    

Similar News