Baramulla Earthquake: जम्मू-कश्मीर के बारामूला में लगातार 2 भूकंप के झटके, सड़कों पर आये लोग

Baramulla Earthquake: आज सुबह जम्मू-कश्मीर के बारामुला में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए। सीसमोलॉजी सेंटर के अनुसार, बारामुला में दो बार भूकंप आया, जिसमें पहली बार की तीव्रता 4.9 और दूसरी बार की तीव्रता 4.8 मापी गई।

Update: 2024-08-20 06:13 GMT

Baramulla Earthquake: आज सुबह जम्मू-कश्मीर के बारामुला में भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए। सीसमोलॉजी सेंटर के अनुसार, बारामुला में दो बार भूकंप आया, जिसमें पहली बार की तीव्रता 4.9 और दूसरी बार की तीव्रता 4.8 मापी गई। इन झटकों के कारण लोगों में दहशत फैल गई और कई लोग अपने घरों से बाहर निकल आए।

क्यों आते हैं भूकंप?

पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स होती हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह इलाका फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं, और जब ज्यादा दबाव बनता है, तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। यह टूटने की प्रक्रिया ऊर्जा को बाहर निकालती है, जिससे धरती के भीतर डिस्टर्बेंस होता है और भूकंप आता है।

भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है, जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन सबसे अधिक होता है, और जैसे-जैसे यह दूरी पर फैलता है, इसका प्रभाव कम हो जाता है। रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप 40 किमी के दायरे में अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन इसका प्रभाव इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति किस दिशा में फैली है।

भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?

भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का उपयोग किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल भी कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के पैमाने पर मापा जाता है। भूकंप के केंद्र से मापने पर उसकी तीव्रता का पता चलता है, जिससे यह समझा जा सकता है कि झटके की भयावहता कितनी हो सकती है।

रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता के हिसाब से असर

  • 0 से 1.9: सिर्फ सीज्मोग्राफ ही महसूस कर सकता है।
  • 2 से 2.9: हल्का कंपन होता है।
  • 3 से 3.9: किसी ट्रक के गुजरने जैसा असर महसूस होता है।
  • 4 से 4.9: खिड़कियां टूट सकती हैं, दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं।
  • 5 से 5.9: फर्नीचर हिल सकता है।
  • 6 से 6.9: इमारतों की नींव दरक सकती है, ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।
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