Arundhati Roy Under UAPA: 14 साल पुराने मामले में अरुंधति रॉय पर चलेगा UAPA के तहत मुकदमा, जानिए कौन हैं अरुंधति रॉय?

Arundhati Roy Under UAPA: प्रसिद्ध लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर शेख शौकत हुसैन के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।

Update: 2024-06-15 06:52 GMT

Arundhati Roy Under UAPA: प्रसिद्ध लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर शेख शौकत हुसैन के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। दिल्ली के उपराज्यपाल वीनय कुमार सक्सेना ने इसकी मंजूरी दे दी है। यह मामला करीब 14 साल पुराना है और कश्मीर को लेकर अरुंधति रॉय के एक भाषण से संबंधित है। इस मामले में सुशील पंडित ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

उपराज्यपाल का बयान

उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "दिल्ली के LTG ऑडिटोरियम में 'आजादी- द ओनली वे' नामक कॉन्फ्रेंस के बैनर तले 'कश्मीर को भारत से अलग करने' का प्रचार किया गया था। सम्मेलन में भाषण देने वालों में सैयद अली शाह गिलानी, एसएआर गिलानी, अरुंधति रॉय, डॉक्टर हुसैन और माओवादी समर्थक वरवर राव शामिल थे।"

अरुंधति रॉय पर आरोप

अरुंधति रॉय पर आरोप है कि उन्होंने जोर-शोर से प्रचार किया कि कश्मीर कभी भी भारत का हिस्सा नहीं था और उस पर भारत के सशस्त्र बलों ने जबरन कब्जा किया हुआ है। यह भी कहा गया था कि भारत से जम्मू-कश्मीर की आजादी के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। शिकायतकर्ता ने इस भाषण की रिकॉर्डिंग भी दी है। कोर्ट ने 27 नवंबर, 2010 को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था।

मामले की प्रमुख घटनाएं

पिछले साल अक्टूबर में उपराज्यपाल ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 196 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक कार्य करना), 153B (राष्ट्रीय-एकीकरण के लिए हानिकारक आरोप, दावे) और 505 (सार्वजनिक शरारत को बढ़ावा देने वाले बयान) के तहत रॉय और हुसैन पर मामला चलाने की अनुमति दी थी।

जानिए कौन हैं अरुंधति रॉय?

अरुंधति रॉय एक प्रसिद्ध लेखिका और सरकार की मुखर आलोचक रही हैं। 1997 में उन्हें अपनी किताब 'द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स' के लिए बुकर पुरस्कार मिला। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वाली वे पहली भारतीय महिला हैं। 2014 में टाइम मैगजीन ने अरुंधति को दुनिया की 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया था। अरुंधति फिल्म इंडस्ट्री में भी काम कर चुकी हैं और वे फिल्मों में अभिनय के साथ स्क्रीनप्ले भी लिख चुकी हैं।


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