GOOD न्यूज : हजारों लोग कोरोना से खुद ही ठीक हो गये… ICMR की सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा….हॉटस्पॉट एरिया में एक तिहाई लोगों को हुआ कोरोना, पता भी नहीं चला और ठीक हो गये…

Update: 2020-06-09 07:22 GMT

नयी दिल्ली 9 जून 2020।देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच एक अच्छी खबर भी आई है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने ताजा सर्वे में बताया है कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्‍सा कोरोना वायरस संक्रमण के बाद खुद ही ठीक हो गया है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने एक सर्वे किया है। जिसमें उन्होंने पाया है कि कंटेनमेंट जोन्स यानी वो इलाके जहां पहले से कोरोना केस हैं, यहां हर तीसरा व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है। लेकिन संक्रमण का पता चले बगैर ही मरीज ठीक भी हो गए हैं।

रिपोर्ट इस तथ्य की ओर भी इशारा करती है कि संक्रमण दर मुंबई, पुणे, दिल्ली, अहमदाबाद और इंदौर जैसे शहरों में अधिक है। इन शहरों में संक्रमण दर अन्य उच्च बोझ वाले हॉटस्पॉटों की तुलना में लगभग 100 गुना अधिक है। सर्वे में ये भी पता चला है कि देश में कई लोगों में वायरस से संक्रमित होने के बाद भी कोरोना के लक्षण नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में भारत में संक्रमित मरीजों की संख्या सरकारी आकड़ों से काफी ज्यादा हो सकती है।

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह सर्वे आईसीएमआर, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC), राज्य सरकार और WHO ने मिलकर किया है। इसके सर्वे के तहत देश के 70 जिलों से 24 हज़ार सैंपल लिए गए थे।

ब्‍लड सीरम में मौजूद थीं ऐंटीबॉडीज

ICMR के सीरोलॉजिकल सर्वे में देश के 70 जिलों से करीब 24 हजार लोगों के सैंपल लिए गए थे। सीरोसर्वे में, खास ऐंटीबॉडीज की पहचान के लिए ब्‍लड सैंपल लिए जाते हैं। इस बार टेस्‍ट IgG ऐंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए था जो SARS-CoV-2 से लड़ती हैं। यह इन्‍फेक्‍शन के 14 दिन बाद शरीर में मिलने लगती हैं और महीनों तक ब्‍लड सीरम में रहती हैं। ICMR ने पाया कि हाई केसलोड वाले जिलों के कई कंटेनमेंट एरियाज में 15 से 30 फीसदी आबादी को इन्‍फेक्‍शन हो चुका है।

क्या है सीरो सर्वे या ऐंटीबॉडी टेस्‍ट?

ब्‍लड सैंपल का ऐंटीबॉडी टेस्‍ट बड़ी अहम जाानकारी देता है। इससे शरीर में ऐंटीबॉडीज का पता चलता है, जो बताती हैं कि आप वायरस के शिकार हुए थे या नहीं। ऐंटीबॉडीज दरअसल वो प्रोटीन्‍स हैं जो इन्‍फेक्‍शंस से लड़ने में मदद करती हैं। सीरो सर्वे के लिए पुणे के नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ वायरॉलजी (NIV) की बनाई कोविड कवच एलिसा किट्स इस्‍तेमाल की गई हैं।

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