Video-गवां जाहि का रे…ठेठरी अउ खुरमी…तीजा अउ पोरा…सुनिये मीर अली मीर ने अपनी गीत को दूसरी बार कुछ यूं गाया…सरकार के कामों को लोगों तक पहुंचाने जनसंपर्क विभाग लोकसंगीत को बना रहा जरिया

Update: 2021-03-09 08:35 GMT

रायपुर, 9 मार्च 2021। छत्तीसगढ़ की विलुप्त होती लोक संस्कृति, खान-पान पर कवि और गीतकार मीर अली मीर का बड़ा टचिंग गीत आपने सुना होगा…नंदा जाहि का रे…गांव व नरवा…खेती संग बारी…बिछिया अउ करघन…आमा अउ अमली…हर्रा संग बहेरा…पत्ता अउ महुआ…बैला संग गाड़ी…आमा और अमली…तीजा अउ पोरा… बांटी अउ भौरा…ठेठरी अउ खुरमी…सुआ ददरिया…मांदर और तुरही…नंदा जाहि का रे….। नंदा जाहि बोले तो खतम होना।जनसंपर्क विभाग ने इसी थीम और धुन पर संगीतकार मीर अली मीर से ऐसी गीत तैयार कराया है, जो काफी हिट हो रही है। अपनी ही गीत नंदा जाहि का रे…की जगह मीर अली की नई गीत के बोल है…गवां जाहि का रे…ठेठरी और खुरमी, तीजा अउ पोरा….। उनके बाद एक महिला गीतकार गाती है…हवै रखवैया, नई गवावैय गा…। फ्लैशबैक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गेड़ी पर चल रहे, झूला झुल रहे हैं, सीएम हाउस में तीज और हरेली का आयोजन दिख रहा है। इस लोकसंगीत के जरिये बताया गया है कि छत्तीगसढ़ की लुप्त होती संस्कृति को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल संरक्षित कर रहे हैं। जाहिर है, सरकार की छबि बनाने जनसंपर्क विभाग लोक संगीत का बढ़ियां इस्तेमाल कर रहा है।

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इससे पहिले भोजपुर गीत, जुग-जुग जीय सु ललनवा…भवनवा के भाग जागि हो…भोजपुरी के इस सोहर को इस तरह छत्तीसगढ़ी में पिरोया…धीरे-धीरे बाजत हे आनंद, बधाई…। जनसंपर्क द्वारा तैयार कराया गया यह सांग विव्यू के मामले में रिकार्ड बना दिया है। दरअसल, भोजपुर भाषियों की संख्या करोड़ों में है। सीधे उन्हें ये अट्रैक्ट कर रहा। इस गीत के जरिये छत्तीसगढ़ में किए जा रहे काम दूसरे कई राज्यों तक पहुंच गए हैं।

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