वित्त मंत्री का ऐलान: बैंक डूबे या बंद हो, 90 दिन में ग्राहकों को मिल जाएगी 5 लाख तक की बीमा की रकम

Update: 2021-07-28 08:38 GMT

नईदिल्ली 28 जुलाई 2021। अगर कोई बैंक डूब जाता है या फिर आरबीआई की ओर से लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है तो ग्राहकों को डरने की जरूरत नहीं है। बैंक के ग्राहकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत 90 दिन के भीतर 5 लाख रुपए तक की बीमा रकम मिल जाएगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट) ने बुधवार को हुई बैठक में DICGC एक्ट में बदलाव को मंजूरी दे दी है।

इस बदलाव की जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दी है।बुधवार को कैबिनेट मीटिंग में यह बिल संशोधन पास किया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीटिंग के बाद एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि इस संशोधित बिल को इसी मॉनसून सत्र में पेश किया जाएगा.

प्रमुख बातें:
1. डीआईसीजीसी विधेयक
बैंक ग्राहकों के हित को ध्यान में रखते हुए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC) संशोधन बिल को मंजूरी दे दी गई है। इसके जरिए बंद हो चुके बैकों के ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी। अब बैंक के डूबने की स्थिति पर जमाकर्ताओं को 90 दिनों के भीतर ही पांच लाख रुपये मिल जाएंगे। पहले 45 दिनों में संकट में फंसे बैंक अपने सभी खातों को जमा करेंगे, जहां क्लेम करने होंगे। इन्हें प्रस्तावित DICGC को दिया जाएगा।
हाल ही में यस बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक सहित कई बैंक दिवालिया हो गए थे। ऐसे में यह खबर जमाकर्ताओं के लिए राहत भरी है। यदि बैंक का लाइसेंस रद्द होता है तो बैंक ग्राहकों को पांच लाख रुपये तक का डिपॉजिट इंश्योरेंस मिलता है। यह नियम चार फरवरी 2020 से लागू है। डिपॉजिट इंश्योरेंस में 1993 के 27 साल बाद पहली बार बदलव किया गया है।
सरकार ने 2020 में ही डिपॉजिट इंश्योरेंस की लिमिट पांच गुना बढ़ाई थी। पहले इसकी लिमिट एक लाख रुपये थी।
यह अधिनियम सभी प्रकार के बैंकों में पांच लाख तक की सभी प्रकार की जमा राशियों को कवर करेगा। वित्त मंत्री ने बताया कि डीआईसीजीसी अधिनियम द्वारा सभी जमा खातों का 98.3 फीसदी और जमा मूल्य का 50.98 फीसदी कवर किया जाएगा।
सीतारमण ने कहा कि हर बैंक में जमा राशि के 100 रुपये के लिए 10 पैसे का प्रीमियम हुआ करता था। लेकिन इसे बढ़ाकर 12 पैसे किया जा रहा है। वहीं यह प्रति 100 रुपये के लिए 15 पैसे से ज्यादा नहीं हो सकता।
2. एलएलपी विधेयक
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) अधिनियम में पहला संशोधन प्रस्तावित किया है। यह अधिनियम 2008-2009 में अस्तित्व में आया।
एलएलपी के लिए कुल 12 अपराधों को मुक्त किया जाना है।
वित्त मंत्री ने बताया कि मौजूदा समय में एलएलपी अधिनियम में 24 दंडात्मक प्रावधान, 21 कंपाउंडेबल अपराध और तीन गैर-शमनीय अपराध हैं। लेकिन आज के बाद दंड प्रावधानों को 22 तक काट दिया जाएगा, कंपाउंडेबल अपराध केवल सात होंगे, गैर-कंपाउंडेबल अपराध केवल तीन होंगे। निपटाए जाने वाले डिफॉल्ट्स की संख्या 12 होगी।
इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस अभियान को गति मिलेगी। छोटी एलएलपी के दायरे का विस्तार होगा।
मौजूदा समय में 25 लाख रुपये या उससे कम योगदान वाले और 40 लाख रुपये से कम टर्नओवर वाले एलएलपी को छोटे एलएलपी माना जाता है। लेकिन अब 25 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये तक कर दिया गया है और टर्नओवर का आकार 50 करोड़ हो गया है।
3. MoU पर हस्ताक्षर- केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों और बहुपक्षीय एजेंसियों, सुरक्षा आयोगों के अंतरराष्ट्रीय संगठन और बीमा पर्यवेक्षकों के अंतरराष्ट्रीय संघ के बीच एक बहुपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

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