Somvati Amavasya : सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को, यह दिन पितरों की पूजा और तर्पण के लिए समर्पित... इन उपायों से बनेंगे बिगड़े काम

यह दिन पितरों की पूजा और तर्पण के लिए समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन हर किसी को करना चाहिए|

Update: 2024-04-06 04:28 GMT

हिन्दू धर्म  में अमावस्या तिथि का बेहद महत्व है। अगर यह तिथि सोमवार को पड़े तो इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। यह दिन पितरों की पूजा और तर्पण के लिए समर्पित है। 

रायपुर के ज्योतिषचार्य एवं  भगवत पंडित उत्कर्ष शर्मा के अनुसार, इस बार चैत्र मास की अमावस्या तिथि 8 अप्रैल, 2024 दिन सोमवार प्रात: 03 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन उसी दिन 8 अप्रैल, 2024 रात्रि 11 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में पंचांग के अनुसार, सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को ही मनाई जाएगी।


आइये जानते है शर्मा के अनुसार सोमवती अमावस्या तिथि पर क्या करें ?





  • अपने पितरों को भोजन, जल और अन्य वस्तुएं अर्पित करें।
  • तर्पण और श्राद्ध कर्म करें।
  • पितृ गायत्री मंत्र या अपने पूर्वजों को समर्पित अन्य मंत्रों का जाप करें।
  • धर्मग्रंथों का पाठ करें।
  • गंगा या अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाएं।
  • दान करें और जरूरतमंदों की मदद करें।
  • पूजा-पाठ पर ज्यादा से ज्यादा जोर दें।
  • बड़ों का सम्मान करें।
  • इस तिथि पर धार्मिक स्थानों पर अवश्य जाएं।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें।


क्या न करें?


  • मांसाहारी भोजन या शराब का सेवन न करें।
  • कुछ खाने की चीजें जैसे- चना, मसूर दाल, सरसों का साग और मूली न खाएं।
  • जानवरों को परेशान न करें।
  • किसी का अपमान करने से बचें।
  • कोई भी शुभ समारोह जैसे शादी या सगाई न करें।
  • इस तिथि पर क्रोध करने से बचें।
  • इस तिथि पर कोई भी ऐसा कार्य न करें, जिससे पितृ दोष लगे।

इन जगहों पर जलाये दीपक 

  1.  सोमवती अमावस्या के दिन कच्चे दूध में दही, शहद मिलाकर शिव जी अभिषेक करें और चौमुखी घी का दीपक जलाएं. इससे कार्यों में आ रही अड़चने खत्म होती है. बिगड़े काम हुए काम पूरे होते है.
  2. सोमवती अमावस्ता पर पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें और शाम को वहां तेल का दीपक लगाकर पीपल के नीचे बैठकर पितृ सूक्त का पाठ करें. इससे पितर प्रसन्न होते हैं. दरिद्रता का नाश होता है.
  3. सोमवती अमावस्ता पर पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें और शाम को वहां तेल का दीपक लगाकर पीपल के नीचे बैठकर पितृ सूक्त का पाठ करें. इससे पितर प्रसन्न होते हैं. दरिद्रता का नाश होता है.
  4. सोमवती अमावस्या पर सूर्यास्त के बाद सरोवर या नदी में आटे से बने दीपक प्रवाहित करें. अमावस्या पर पितर गण धरती पर आते हैं और सूर्यास्त पर अपने लोक लौटते हैं. पितृ लोक लौटते समय उनके रास्ते में अंधेरा न हो, इस वजह से ही पितरों के लिए दीप जलाते हैं.
  5. सोमवती अमावस्या पर सूर्यास्त के बाद सरोवर या नदी में आटे से बने दीपक प्रवाहित करें. अमावस्या पर पितर गण धरती पर आते हैं और सूर्यास्त पर अपने लोक लौटते हैं. पितृ लोक लौटते समय उनके रास्ते में अंधेरा न हो, इस वजह से ही पितरों के लिए दीप जलाते हैं.
  6. सोमवती अमावस्या पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें. इससे शत्रुओं का विनाश होता है. शनि दोष से मुक्ति मिलती है.
  7. सोमवती अमावस्या पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें. इससे शत्रुओं का विनाश होता है. शनि दोष से मुक्ति मिलती है.
  8. अमावस्या के दिन रात को घर के ईशान कोण यानी उत्तर और पूर्व दिशा के बीच में दीपक जलाने से पितरों और मां लक्ष्मी दोनों की कृपा मिलती है. धन की समस्या हल होती है.
  9. अमावस्या के दिन रात को घर के ईशान कोण यानी उत्तर और पूर्व दिशा के बीच में दीपक जलाने से पितरों और मां लक्ष्मी दोनों की कृपा मिलती है. धन की समस्या हल होती है.
  10. अमावस्या की शाम को लाल रंग के धागे के इस्तेमाल से केसर डालकर घी का दीपक जलाना चाहिए. इसके बाद श्रीसूक्त का पाठ करें इससे लक्ष्मी जी घर में वास करती हैं
  11. अमावस्या की शाम को लाल रंग के धागे के इस्तेमाल से केसर डालकर घी का दीपक जलाना चाहिए. इसके बाद श्रीसूक्त का पाठ करें इससे लक्ष्मी जी घर में वास करती हैं
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