नाग पंचमी : छत्तीसगढ़ में लगता है नागों का मेला, इंसान सांप और नाग की तरह जमीन पर लेटकर पीते हैं दूध

Nag Panchami Special : छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र गौरेला पेंड्रा मरवाही के आमाडांड गांव में नागों का लगता है मेला, इंसान नाग और सांप की तरह जमीन पर लोटते और दूध पीते दिखाई देते हैं. जानिए जहाँ सर्प विशेषज्ञ का मानना है की सांप या नाग दूध नहीं पीते, वहीँ छत्तीसगढ़ के इस गाँव में साँपों की आत्मा मानव शारीर में प्रवेश कर दूध पीते है, आइये जानते है की इसके पीछे क्या सच्चाई है या फिर ये प्रथा-मान्यता है अन्धविश्वास जो सदियों से चली आ रही है.

Update: 2024-08-08 09:15 GMT

Nag Panchami in Chattisgarh : कल नागपंचमी है. नाग पंचमी के इस खास मौके पर हम आपको छत्तीसगढ़ के एक ऐसे इलाके के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ सांप और नाग इंसानी रूप में दूध पीने आते हैं. जी हाँ यह कोई फ़िल्मी कहानी नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी अंचल आमाडांड गांव की एक सच्ची परंपरा है. एक तरफ जहाँ सर्प विशेषज्ञ के अनुसार सांप दूध नहीं पीते.

सांप और नांग को नागपंचमी के हफ्ते भर पहले से भूखा प्यासा रखा जाता है, जिससे उनके सामने कुछ भी आते ही वे खाने-पीने लगते है. ऐसे में उनके सामने दूध रख दिया जाता है, तो वे दूध ही पी जाते हैं. लेकिन नाग पंचमी से कुछ दिनों बाद ही उन्हें अपने जान से हाथ धोना पड़ जाता है, क्योंकि दूध उनके फेफड़ों में जमा हो जाती  है और निमोनिया से उनकी मृत्यु हो जाती है, वहीँ अंधविश्वास कहे या फिर मान्यता सांप और नाग इंसान के रूप में छत्तीसगढ़ के इस गांव में दूध पीते हैं. 

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र गौरेला पेंड्रा मरवाही में यह अनोखी घटना नाग पंचमी के दिन यह घटना देखने को मिलती है. छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र गौरेला पेंड्रा मरवाही के आमाडांड गांव में नाग पंचमी के दिन अनोखा मेला लगता है, जिसमें इंसान नाग और सांप की तरह जमीन पर लोटते और दूध पीते दिखाई देते हैं. नागों के मेले के लिए बड़ी संख्या में गांव और आसपास के लोग जुटते हैं.

नाग की आत्मा सवार होती है इसलिए वह ऐसा करते हैं


ग्रामीणों के अनुसार  पूजा के बाद मंत्र के जरिए नाग देवताओं को बुलाया जाता है. उसके बाद नाग और सांप की आत्मा लोगों के शरीर में प्रवेश कर जाती है. गांव वालों के मुताबिक यह आस्था का मेला है. बताया जाता है कि इन इंसानों पर नाग की आत्मा सवार होती है इसलिए वह ऐसा करते हैं. वह नाग और सांप की तरह दूध पीते हुए भी दिखाई देते हैं. 


सांप और नाग दूध नहीं पीते 



सर्प विशेषज्ञ  मोएज अहमद ने बताया की सांप और नाग दूध नहीं पीते. सांप और नांग को नागपंचमी के हफ्ते भर पहले से भूखा प्यासा रखा जाता है, जिससे उनके सामने कुछ भी आते ही वे खाने-पीने लगते है. ऐसे में उनके सामने दूध रख दिया जाता है, तो वे दूध ही पी जाते हैं. लेकिन नाग पंचमी से कुछ दिनों बाद ही उन्हें अपने जान से हाथ धोना पड़ जाता है, क्योंकि दूध उनके फेफड़ों में जमा हो जाती है और निमोनिया से उनकी मृत्यु हो जाती है. इसलिए इंसान के रूप में सर्प दूध पी रहे यह सिर्फ अन्धविश्वास हो सकता है. इसलिए अगर इंसान दूध पी रहे तो पीने दीजिये, लेकिन नाग पंचमी को पुण्य करने के चक्कर में सांप को दूध पिलाकर उनके मृत्यु का कारण बनकर पाप मत कमाइए. 


आदिवासी बाहुल्य जिला है गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही

बिलासपुर (Bilaspur) से अलग कर गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही (Gorela-Pandra-Marwahi) को 28वां जिला बनाया गया है. गौरतलब है कि गौरेला-पेंड्रा-मरवाही पूर्णता अधिसूचित क्षेत्र में है. आदिवासी बहुल एवं विशेष पिछड़ी जनजाति तथा बैगा जनजाति यहाँ पाए जाते हैं. अगर आप इस घटना को अपने आँखों में कैद करना चाहते हैं, तो आप नाग पंचमी के दिन गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के आमाडांड गांव में पहुंचकर देख सकते हैं. आस-पास के इलाकों में इस मेले को गांव के बच्चे-बच्चे भी जानते हैं. आप जिले पहुंचकर आसानी से इस गांव में पहुंच सकते हैं. 

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