Mahakal Bhasm Aarti Today : साल 2025 की अंतिम भस्म आरती में उमड़ा आस्था का सैलाब, जय श्री महाकाल के जयघोष से गूंजी अवंतिका नगरी

Mahakal Bhasm Aarti Today : विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकालेश्वर के दरबार में आज तड़के साल की अंतिम भस्म आरती अत्यंत गरिमामय और दिव्य वातावरण में संपन्न हुई।

Update: 2025-12-31 01:28 GMT

Mahakal Bhasm Aarti Today : साल 2025 की अंतिम भस्म आरती में उमड़ा आस्था का सैलाब, जय श्री महाकाल के जयघोष से गूंजी अवंतिका नगरी

Mahakal Bhasm Aarti Today 31 December : उज्जैन : साल 2025 की विदाई और नए साल के स्वागत के उत्साह के बीच आज उज्जैन की पवित्र नगरी पूरी तरह शिव-मय नज़र आ रही है। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकालेश्वर के दरबार में आज तड़के साल की अंतिम भस्म आरती अत्यंत गरिमामय और दिव्य वातावरण में संपन्न हुई। वर्ष के अंतिम दिन बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए देश के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु अवंतिका नगरी पहुंचे हैं।

Mahakal Bhasm Aarti Today 31 December : भस्म आरती का दिव्य स्वरूप: ब्रह्म मुहूर्त में जब मंदिर के पट खुले, तो सबसे पहले बाबा महाकाल का जलाभिषेक और पंचामृत पूजन किया गया। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से लाई गई ताज़ा भस्म से बाबा का दिव्य श्रृंगार हुआ। शंख-डमरू की गूंज और श्रद्धालुओं के हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच जब भस्म आरती शुरू हुई, तो पूरा नंदी हॉल आस्था के उल्लास से भर गया। माना जाता है कि साल के अंतिम दिन भस्म आरती के दर्शन से पूरे वर्ष की त्रुटियों का निवारण और आने वाले वर्ष के लिए सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

Full View


दिनभर के विशेष अनुष्ठान और पूजन क्रम: आज 31 दिसंबर को मंदिर में सुबह से लेकर रात तक विशेष आयोजनों का सिलसिला जारी रहेगा

नैवेद्य और भोग आरती: भस्म आरती के बाद बाबा का राजसी श्रृंगार किया गया है। दोपहर में भोग आरती होगी, जिसमें बाबा को विशेष पकवानों का नैवेद्य अर्पित किया जाएगा।

संध्या आरती: शाम को होने वाली संध्या आरती खास होगी, क्योंकि यह साल 2025 के अंतिम सूर्यास्त की साक्षी बनेगी। इस दौरान बाबा का विशेष स्वरूप में श्रृंगार किया जाएगा।

शयन आरती और नए साल का स्वागत: रात्रि में शयन आरती के साथ ही मंदिर में भजन-कीर्तन का दौर शुरू होगा। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में रुककर 2026 की पहली किरण के साथ बाबा के दर्शन की प्रतीक्षा करेंगे।

सुरक्षा और व्यवस्था : श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने चल-यमान दर्शन व्यवस्था लागू की है। बेरिकेड्स की संख्या बढ़ाई गई है ताकि कतारें निरंतर चलती रहें और किसी भी भक्त को दर्शन में असुविधा न हो। प्रशासन ने शहर में यातायात के लिए भी विशेष रूट मैप तैयार किया है।


उज्जैन में आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दर्शन के प्रमुख केंद्र:

बाबा महाकाल के दर्शन के बाद, आपकी अगली प्राथमिकता काल भैरव मंदिर होनी चाहिए। उज्जैन की परंपरा के अनुसार, काल भैरव को शहर का सेनापति माना जाता है और महाकाल दर्शन तब तक पूर्ण नहीं माने जाते जब तक आप भैरव बाबा के दरबार में हाजिरी न लगा लें। यहाँ भगवान को मदिरा का भोग लगाने की अनूठी परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो आज भी विज्ञान और तर्क के लिए एक रहस्य बनी हुई है। मंदिर का वातावरण एक अलग ही ऊर्जा से भरा होता है, विशेषकर नए साल जैसे मौकों पर यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है।

इसके बाद आप मां हरसिद्धि शक्तिपीठ की ओर रुख कर सकते हैं, जो महाकाल मंदिर के अत्यंत समीप है। यह स्थान सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी का है और 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहाँ का सबसे मुख्य आकर्षण शाम की आरती के समय दो विशाल दीप स्तंभों का प्रज्ज्वलित होना है। जब सैकड़ों दीये एक साथ जलते हैं, तो वह दृश्य अलौकिक होता है। इसके साथ ही, शिप्रा नदी के तट पर स्थित राम घाट पर जाना न भूलें। यहाँ की शाम की आरती और नदी का शांत प्रवाह आपको एक असीम शांति का अनुभव कराएगा, जो साल की भागदौड़ भरी जिंदगी के बाद सुकून देने वाला होता है।

अंत में, शिक्षा और ज्ञान के प्रतीक सांदीपनि आश्रम और मंगलनाथ मंदिर के दर्शन अवश्य करें। सांदीपनि आश्रम वही स्थान है जहाँ भगवान श्री कृष्ण, बलराम और सुदामा ने अपनी शिक्षा ग्रहण की थी। यहाँ आज भी वह पाटी मौजूद है जिस पर कृष्ण ने अंक लिखे थे। वहीं, मंगलनाथ मंदिर को 'मंगल ग्रह की जन्मभूमि' माना जाता है। भूगोल और ज्योतिष की दृष्टि से यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कर्क रेखा पर स्थित है। यहाँ की 'भात पूजा' विश्व प्रसिद्ध है। इन स्थानों के दर्शन आपकी उज्जैन यात्रा को न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध बना देंगे।

Tags:    

Similar News